गर्मी के मौसम में अनियमित खानपान और लाइफस्टाइल के कारण कई बीमारियां जन्म ले लेती है। इन्हीं में से एक है ज्वाइंडिस यानी पीलिया की समस्या। पीलिया बड़ों के साथ-साथ बच्चों को भी अपना शिकार बना लेती हैं।
दरअसल हमारे शरीर के रेड ब्लड सेल्स एक तय समय यानी 120 दिन बाद टूट जाते हैं तो बिलिरुबिन नाम का बाई-प्रोडक्ट बनता है। यह पदार्थ लिवर से होते हिए मूलमूत्र के द्वारा शरीर से बाहर निकल जाता है। वहीं अगर शरीर के रेड ब्लड सेल्स 120 दिन से पहले टूट जाते हैं तो लिवर में बिलिरुबिन की मात्रा अधिक बढ़ जाती है जिससे आपको पीलिया हो जाता है। स्वामी रामदेव के अनुसार पीलिया किसी भी स्थिति में हो उसे योग और कुछ घरेलू उपायों के द्वारा आसानी से 3 से 7 दिन के अंदर सौ प्रतिशत सही किया जा सकता है।
कैंसर को हराने के लिए स्वामी रामदेव से जानिए रामबाण उपाय, साथ ही जानें डाइट प्लान
पीलिया के लक्षण
- शरीर में खून की कमी।
- शरीर पीला हो जाना।
- पाचन तंत्र कमजोर हो जाना।
- चेहरे की रौनक कम हो जाना।
- आंखों में पीलापन।
- यूरीन पीली रंग की आना।
- उल्टी जैसा महसूस होना।
- भूख कम लगना।
- चक्कर आना।
- हाथ-पैर पीले पड़ जाना।
- सिरदर्द की समस्या।
- शरीर में थकावट।
- वजन तेजी से कम होना।
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पीलिया से निजात पाने के लिए करें ये प्राणायाम
कपालभाति
कपालभाति करने से हर तरह के कैंसर से निजात मिलता है। हाइपरटेंशन, अस्थमा, खून की कमी, बीपी, हार्ट के ब्लॉकेज वाले लोग 2 सेकंड में एक स्ट्रोक करें।
अनुलोम-विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं।
भ्रामरी प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-21 बार किया जा सकता है।
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उद्गीथ प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं और शांत मन से 'ऊं' के उच्चारण करते हैं। इस प्राणायाम को करने से पित्त रोग, धातु रोग, उच्च रक्तताप जैसे रोगो से निजात मिलता है।।
शीतली प्राणायाम
सबसे पहले आराम से रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठ जाएं। इसके बाद जीभ को बाहर निकालकर सांस लेते रहें। इसके बाद दाएं नाक से हवा को बार निकालें। इस प्राणायाम को 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।
शीतकारी प्राणायाम
इस प्राणायाम में होंठ खुले, दांत बंद करें। दांत के पीछे जीभ लगाकर, दांतो से धीमे से सांस अंदर लें और मुंह बंद करें। थोड़ी देर रोकने के बाद दाएं नाक से हवा बाहर निकाल लें और बाएं से हवा अंदर लें।
पीलिया से निजात पाने के लिए करें ये योगासन
सूक्ष्म व्यायाम- योगासन की शुरुआत सूक्ष्म व्यायाम के साथ करें। जिसमें आप चक्की आसन, स्थित कोणासन, तितली आसन जैसे योगासन शामिल कर सकते हैं। इन आसनों को करने से शरीर फुर्तिला होगा। शरीर की थकान दूर करें। सर्वाइकल में भी राहत दिलाएं।
मंडूकासन- इस आसन को करने से लिवर संबंधी बीमारी, हेपेटाइटिस, फैटी लिवर, पीलिया आदि समस्याओं से निजात दिलाता है। इसके अलावा इस आसन को करने से पेट संबंधी हर समस्या से निजात मिलता है।
अर्ध मत्स्येंद्रासन- इस आसन को करने से मोटापा कम होता है। हाई बीपी नियंत्रित होती है। आपकी रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। इसके साथ-साथ लिवर और किडनी भी स्वस्थ्य रहता है।
पवनमुक्तासन- इस योगासन को करने से पेट की चर्बी कम होती है। मोटापा से दिलाएं निजात, हार्ट को रखें सेहतमंद। ब्लड सर्कुलेशन को रखें ठीक, इसके साथ-साथ रीढ़ की हड्डी को करें मजबूत।
उत्तानपादासन- किडनी- लिवर को करें सक्रिय, गर्दन की मांसपेशियों की खिंचाव करता है। तनाव डिप्रेशन से निजात दिलाता है। इसके साथ ही फेफड़ों को भी रखें हेल्दी।
नौकासन- बदहजमी से निजात दिलाता है। कमर और पेट सुडौल बनता है। इसके साथ ही किडनी और लिवर को हेल्दी रखता है।
भुजंगासन- यह आसन पीलिया के रोगियों के लिए फायदेमंद है। इस आसन को करने से फेफड़ों में खिंचाव होता है। साथ ही फेफड़ों में ऑक्सीजन पहुंचती है। बहुत कमजोर है तो इस आसन को न करें।
अग्निसार- इस आसन को करने से डायबिटीज कंट्रोल होती है। इसके साथ ही तनाव, पेट की चर्बी, कब्ज, लिवर संबंधी समस्याओं से निजात मिलता है।
पीलिया के मरीजों के लिए घरेलू उपाय
- आंवला और एलोवेरा का जूस।
- व्हीटग्रास जूस का सेवन करें।
- अमृत रसायन का सेवन करें। इससे शरीर में ठंडक रहेगी।
- अरंडी के पत्तों का रस पिएं।
- भूमि आंवला, मकोय और पूनर्नवा का पाउडर बनाकर या फिर सर्वकल्प क्वाथ काढ़ा बनाकर पिएं।
- श्योनाक की छाल से बना टोटला क्वाथ रात को भिगोकर सुबह पी लें।
- आंक पौधे का छोटा कूपल आधा इंच लेकर पान की पत्तों में मुंह में डालकर धीमे-धीमे खा लें।
- ताजा पुनर्नवा का रस पिएं।
- मूली और उसके पत्तों का रस पिएं।
- आंवला का जूस।
- नीम की पत्ती का रस पिएं।
- अर्जुन की छाल का काढ़ा।
- जौ का सत्तू, चने का सत्तू का सेवन करें।
- बेल का शर्बत पिएं।
- नींबू पानी पिएं। इसमें आप पुदीना, सेंधा नमक और शहद भी डाल सकते हैं।
- छाछ का सेवन भी लाभदायक।