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फाइलेरिया के कारण चलना-फिरना भी हो गया है मुश्किल तो स्वामी रामदेव से जानिए शानदार आयुर्वेदिक उपाय

फाइलेरिया जिसे आम बोलचाल की भाषा में हाथीपांव भी कहते है। आमतौर पर पैर, घुटने से नीचे की भारी सूजन या हाइड्रोसेल (स्क्रोटम की सूजन) हो जाती है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Published : November 21, 2020 11:58 IST

फाइलेरिया जिसे आम बोलचाल की भाषा में हाथीपांव भी कहते है। आमतौर पर पैर, घुटने से नीचे की भारी सूजन या हाइड्रोसेल (स्क्रोटम की सूजन)  हो जाती है। जो आगे चलकर  विकलांगता का भी कारण बन जाती है।

एलीफेंटिटिस यानि श्लीपद ज्वर एक परजीवी के कारण फैलती है जो कि मच्छर के काटने से शरीर के अंदर प्रवेश करता है। यह कीड़े लगभग 50,000 माइक्रो फ्लेरी (सूक्ष्म लार्वा) उत्पन्न करते हैं, जो किसी व्यक्ति के रक्त प्रवाह में प्रवेश कर जाते हैं, और जब मच्छर संक्रमित व्यक्ति को काटता है तो उसमें प्रवेश कर जाते हैं। जिनके रक्त में माइक्रो फ्लेरी होते हैं वे ऊपर से स्वस्थ दिखायी दे सकते हैं, लेकिन वे संक्रामक हो सकते हैं।  वयस्क कीड़े में विकसित लार्वा मनुष्यों में लगभग पांच से आठ साल और अधिक समय तक जीवित रह सकता है। हालांकि वर्षों तक इस कोई लक्षण दिखाई नहीं देता, लेकिन यह लिम्फैटिक प्रणाली को नुकसान पहुंचा सकता है।

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स्वामी रामदेव के अनुसार फाइलेरिया एक बड़ी समस्या है। यह  सबसे अधिक उड़िसा, छत्तसीगढ़, मध्य प्रदेश आदि आदिवासी क्षेत्रों में सबसे ज्यादा देखी है। इस समस्या को भी आयुर्वेद और योग के द्वारा आसानी से सही किया जा सकता है।  

फाइलेरिया के लक्षण

  • बार-बार बुखार आना
  • अंगों, जननांगों में सूजन
  • हाइड्रोसील 
  • त्वचा का एक्सफोलिएट होना
  • हाथों और पैरों में सूजन

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फाइलेरिया से निजात पाने के आयुर्वेदिक उपाय

  • मधोहर वटी, त्रिफला गुग्गुल सुबह-शाम 2-2- गोली खाएं।
  • पूननर्वा मंडूर 2-2 गोली खाएं। 
  • गौधन अर्क 25-50 एमएल खाली पेट पिएं। 

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फाइलेरिया में करे ये प्राणायाम

कपालभाति

रोजाना कपालभाति करने से आपके नर्वस सिस्टम के न्यूरॉन ठीक ढंग से काम करेंगे। इसके साथ ही फाइलेरिया की समस्या से निजात मिलेगा।  इसलिए इसे 5-10 मिनट से शुरू करके 1-1 घंटे करे। 

अनुलोम-विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 15 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं।

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