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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस: योग दिवस पर पीएम मोदी ने किस बात पर दिया जोर, एक क्लिक में पढ़िए पूरा भाषण

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग दिवस के दिन देशवासियों को संबोधित किया। अपने इस भाषण में पीएम मोदी ने इस बार के योग दिवस की थीम, कोरोना वायरस और योग से शरीर को क्या-क्या फायदा होता है इस बारे में बताया।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : June 21, 2020 11:18 IST
PM Modi
Image Source : PMO INDIA PM Modi - पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योग दिवस के दिन देशवासियों को संबोधित किया। अपने इस भाषण में पीएम मोदी ने इस बार के योग दिवस की थीम, कोरोना वायरस और योग से शरीर को क्या-क्या फायदा होता है इस बारे में बताया। जानिए विस्तार से पीएम मोदी ने अपने भाषण में क्या-क्या कहा...

पीएम मोदी ने कहा - 'अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का ये दिन एकजुटता का दिन है। ये विश्व बंधुत्व के संदेश का दिन है। जो हमें जोड़े, साथ लाये वही तो योग है। जो दूरियों को खत्म करे, वही तो योग है। पीएम मोदी ने आगे कहा कि कोरोना के इस संकट के दौरान दुनिया भर के लोगों का मेरा जीवन-मेरा योग वीडियो ब्लॉगिंग कंप्टीशन में हिस्सा लेना, दिखाता है कि योग के प्रति उत्साह कितना बढ़ रहा है, कितना व्यापक है।'

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प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि इस साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम घर पर योग और परिवार के साथ योग है।   आज हम सब सामूहिक कार्यक्रमों से दूर रहकर, घर में ही अपने परिवार के साथ मिलकर योग कर रहे हैं। बच्चे हो, बड़े हो, युवा हो, परिवार के बुजुर्ग हो, सभी जब एक साथ योग के माध्यम से जुडते हैं, तो पूरे घर में एक ऊर्जा का संचार होता है। इसलिए, इस बार का योग दिवस, अगर मैं दूसरे शब्दों में कहूं भावनात्मक योग का भी दिन है, हमारी परिवार के प्रति जुड़ाव को भी बढ़ाने का दिन है।

देश को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने आगे कहा कि कोरोना महामारी के कारण आज दुनिया योग की जरूरत को पहले से भी अधिक गंभीरता से महसूस कर रही है। अगर हमारी इम्यून सिस्टम मजबूत हो तो हमें इस बीमारी को हराने में बहुत मदद मिलती है। इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए योग की अनेक विधियां हैं, अनेक प्रकार के आसन हैं। वो आसन ऐसे हैं जो हमारे शरीर को मजबूत बनाते हैं साथ ही साथ मेटबॉलिज्म को शक्तिशाली करते हैं।

कोरोना वायरस का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वायरस खासतौर पर हमारे श्वसन तंत्र पर अटैक करता है। ऐसे में प्राणायाम रेसपिरेटरी सिस्टम को मजबूत करने का काम करता है। सामान्य तौर पर अनुलोम विलोम प्राणायाम ही ज्यादा चर्चित है। ये काफी प्रभावी भी है, लेकिन प्राणायाम के अनेक प्रकार है। इसमें शीतली, कपालभाति, भ्रामरी, भस्त्रिका, ये सब भी होते हैं। 

योग की ये सभी विधाएं, ये तकनीक, हमारे रेसपिरेटरी सिस्टम और इम्यून सिस्टम दोनों को मजबूत करने में बहुत मदद करती हैं। इसलिए आपसे मेरा विशेष आग्रह है आप प्राणायाम को अपने रूटीन में शामिल करें। अनुलोम-विलोम के साथ ही अनेक प्राणायाम को भी सीखिए। योग की इन पद्धतियों का लाभ बड़ी संख्या में आज पूरी दुनिया में कोरोना से पीड़ित मरीज ले रहे हैं। योग की ताकत से उन्हें इस बीमारी को हराने में मदद मिल रही है।

प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि योग से हमें वो आत्मविश्वास और मनोबल भी मिलता है जिससे हम संकटों से जूझ सकें, जीत सकें। योग से हमें मानसिक शांति मिलती है, संयम और सहनशक्ति भी मिलती है। स्वामी विवेकानंद कहते थे- "एक आदर्श व्यक्ति  वो है जो नितांत निर्जन में भी क्रियाशील रहता है, और अत्यधिक गतिशीलता में भी सम्पूर्ण शांति का अनुभव करता है”।

किसी भी व्यक्ति के लिए ये एक बहुत बड़ी क्षमता होती है। जब बहुत ज्यादा विपरीत परिस्थिति हो, तब भी सक्रिय रहना, थककर हार न मानना, संतुलित रहना, ये सारी चीजें योग के माध्यम से हमारे जीवन में स्थान प्राप्त करती है, हमारे जीवन को ताकत देती है। इसलिए, आपने भी देखा होगा, महसूस किया होगा, योग का साधक कभी संकट में धैर्य नहीं खोता है।

 योग का अर्थ ही है- ‘समत्वम् योग उच्यते’ अर्थात, अनुकूलता-प्रतिकूलता, सफलता-विफलता, सुख-संकट, हर परिस्थिति में समान रहने, अडिग रहने का नाम ही योग है।

जब हम योग के माध्यम से समस्याओं के समाधान की बात कर रहे हैं, दुनिया के कल्याण की बात कर रहे हैं, तो मैं योगेश्वर कृष्ण के कर्मयोग का भी आपको पुन: स्मरण कराना चाहता हूं। गीता में भगवान कृष्ण ने योग की व्याख्या करते हुए कहा है- ‘योगः कर्मसु कौशलम्’ अर्थात्, कर्म की कुशलता ही योग है। 

कार्य में दक्षता योग है। यह मंत्रा हमें सिखाता है कि योग के द्वारा जीवन में अधिक योग्य बनने की क्षमता पैदा होती है। अगर हम अपना काम अनुशासन से करते हैं, अपना दायित्व निभाते हैं तो भी ये एक तरह का योग ही है।

पीएम मोदी ने आगे कहा कि कर्मयोग का एक विस्तार और है। हमारे यहां कहा गया है। 

युक्त आहार विहारस्य, युक्त चेष्टस्य कर्मसु। 

युक्त स्वप्ना-व-बोधस्य, योगो भवति दु:खहा।।

अर्थात्, सही खान-पान, सही ढंग से खेल-कूद, सोने-जागने की सही आदतें, और अपने काम, अपनी कार्य को सही ढंग से करना ही योग है। इसी कर्मयोग से हमें सभी तकलीफों और समस्याओं का समाधान मिलता है। 

इतना ही नहीं, हमारे यहां निष्काम कर्म को, बिना किसी स्वार्थ के सभी का उपकार करने की भावना को भी कर्मयोग कहा गया है। कर्मयोग की ये भावना, भारत की रग-रग में रची-बसी है। जब भी जरूरत पड़ी, भारत के इस नि:स्वार्थ भाव को पूरी दुनिया ने अनुभव किया है।

जब हम योग से चलते हैं, कर्मयोग की भावना से चलते हैं, तो व्यक्ति के तौर पर, समाज के तौर पर, देश के तौर पर हमारी शक्ति भी कई गुना बढ़ जाती है। आज हमें इसी भावना से संकल्प लेना है- हम अपने स्वास्थ्य के लिए, अपनों के स्वास्थ्य के लिए हर संभव प्रयास करेंगे। एक सजग नागरिक के रूप में हम परिवार और समाज के रूप में एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे।

 हम प्रयास करेंगे कि घर पर योग और परिवार के साथ योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। अगर हम यह करेंगे तो हम जरूर सफल होंगे, हम जरूर विजयी होंगे। 


 

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