Highlights
- ये योगासन हाजमा को ठीक रखने के साथ पाचन तंत्र को मजबूत बनाएंगे
- पाचन को ठीक रखने के लिए योग के साथ हेल्दी खानपान जरूरी
खराब लाइफस्टाइल, खानपान के कारण हर तीसरी व्यक्ति पेट संबंधी समस्याओं से परेशान है। अपच से पेट फूलना, पेट में दर्द, एसिडिटी, कब्ज जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इतना ही नहीं ऑफिस में लगातार बैठने वालों की संख्या ज्यादा हैं। जिन्हें सबसे ज्यादा खाना न पचने की समस्या का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल लगातार घंटों बैठे रहने, खाने के बाद न ठहलना या फिर पेट भरने के लिए पैक्ड फूड, जंक फूड खा लेना के कारण पाचन तंत्र पर बुरा असर पड़ता है। इस कारण हाजमा ठीक ढंग से काम नहीं करता है।
सेहतमंद शरीर के लिए भोजन का हेल्दी पाचन जरूरी है। आपके खाने की आदतें और लाइफस्टाइल पाचन प्रक्रिया को सीधे प्रभावित करती हैं। ऐसे में आप अपनी जीवन शैली या खाने की आदतों में बदलाव करके अपने पाचन तंत्र को हेल्दी और मजबूत रख सकते हैं। इसके साथ ही स्वामी रामदेव से जानिए ऐसे योगासनों के बारे में जिनसे आपका हाजमा हमेशा दुरुस्त रहेगा।
योगमुद्रासन
सबसे पहले पद्मासन की अवस्था में बैठ जाए। इसके बाद मुट्ठी बांधकर दोनों हाथों नाभि के पास लाएं। इसके बाद इपने सिर को नीचे झुकाते हुए पैरों के आगे जमीन में छुपाएं। कुछ सेकंड सांस रोकने के बाद धीरे-धीमे ऊपर उठते हुए सीधे अवस्था में बैठ जाए।
सुक्त पद्मासन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले पद्मासन की अवस्था में बैठ जाए। इसके बाद धीरे-धीरे पीछे की ओर जाते हुए पीठ को जमीन से लगा लें और दोनों हाथों को सिर के ऊपर साइड में रख लें। इस अवस्था में कुछ देर रहने के बाद सामान्य अवस्था में आ जाए।
पवनमुक्तासन
सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं । अब सांस लेते हुए धीरे-धीरे घुटनों को मोड़े और हाथों की मदद से छाती तक लाएं। इसके बाद लेटे हुए अपना सिर उठाएं और माथा घुटनों पर लगाने की कोशिश करें। अगर आपको सर्वाइकल की समस्या हैं तो सिर को ऊपर न उठाएं। कुछ सेकंड इसी स्थिति में रहने के बाद सांस अंदर ही रोके रखें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए घुटनों को फैला लें। इसी तरह दूसरे पैर के घुटने के साथ इस आसन को दोहराएं।
वक्रासन
वक्रासन बैठ कर किए जाने वाले आसनों में एक महत्वपूर्ण आसन है। वक्रासन 'वक्र' शब्द से निकला है जिसका मतलब होता टेढ़ा। इस आसन में रीढ़ टेढ़ी या मुड़ी हुई होती है, इसीलिए इसका यह नाम वक्रासन रखा गया है।
गोमुखासन
पहले दोनों पैरों को सामने सीधे एड़ी-पंजों को मिलाकर बैठे। हाथ कमर से सटे हुए और हथेलियां जमीन पर टिकी रहें। अब बाएं पैर को मोड़कर एड़ी को दाएं नितम्ब के पास रखें। दाहिने पैर को मोड़कर बाएं पैर के ऊपर एक दूसरे से स्पर्श करते हुए रखें। इस स्थिति में दोनों जांघें एक-दूसरे के ऊपर रखी जाएंगी। अब सांस भरते हुए दाहिने हाथ को ऊपर उठाकर दाहिने कंधे को ऊपर खींचते हुए हाथ को पीछे पीठ की ओर ले जाएं। इसके बाद बाएं हाथ को पेट के पास से पीठ के पीछे से लेकर दाहिने हाथ के पंजें को पकड़े। गर्दन व कमर सीधी रखें। कुछ देर इसी स्थिति में रुकें और दूसरी तरफ से दोहराएं।