भारतीय सेना के जवान अपने देश की रक्षा के लिए जान तक न्योछावर कर देते हैं। सरहदों पर धूप-छांव हो या फिर बर्फीला तूफान, वो हमेशा अपनी कमर कसकर और सीना तानकर खड़े रहते हैं, ताकि देश सलामत रहे। उन्हें हर तरह के मौसम में दुश्मनों के सामने डटकर खड़ा रहना पड़ता है। ऐसे में उन्हें अपने स्वास्थ्य का भी ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत है। स्वामी रामदेव के अनुसार योग के द्वारा हिंदुस्तान के जवान खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से फिट रख सकते हैं।सियाचिन की बर्फीली वादियों में पहरा देता जवान हो या फिर तपती रण में दुश्मनों पर नज़र रखने वाला सैनिक, सभी योग के जरिए खुद को फिट रख सकते हैं
देश का हर जवान जरूर करें ये प्राणायाम
भस्त्रिका- इस प्राणायाम को करने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन का ठीक ढंग से प्रवाह होता है। जिससे आपको डायबिटीज के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों से भी निजात मिल जाएगा। इसे 1 मिनट से शुरू करके करीब 3 मिनट तक करें।
कपालभाति- इस प्राणायाम को करने से पैंक्रियाज के बीटा सेल्स दोबारा एक्टिव हो जाते हैं। जिससे तेजी से इंसुलिन बनने लगता है। इसके अलावा इसे करने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहने के साथ मेटाबॉलिज्म बढ़ता है। रेस्पिरेटरी सिस्टम मजबूत होता है। शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है। शरीर के टॉक्सिन बाहर निकलता है।
भ्रामरी- इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद करते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 5 से 7 बार जरूर करना चाहिए। 5 मिनट में ही बॉडी रिचार्ज करें। अनिद्रा, क्रोध और चिंता को करें कम। शरीर की प्रणशक्ति बढाएं।
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अनुलोम विलोम- सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं। इस प्राणायाम को करने से क्रोनिक डिजीज, तनाव, डिप्रेशन, हार्ट के लिए सबसे बेस्ट माना जाता है। इसके अलावा ये मांसपेशियों की प्रणाली को भी ठीक रखता है। इसे 10 से 15 मिनट करें।
सूर्य नमस्कार-जिस तरह से सूर्य नमस्कार करने से आपका वजन बढ़ने के साथ शरीर हेल्दी रहता है। उसी तरह नियमित रूप से इसका अभ्यास करने से आप अपना वजन बढ़ा सकते हैं। इसके लिए रोजाना कम से कम 100 बार सूर्य नमस्कार करें। फिर इसकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ाते जाएं। इस आसन को करने से आपका वजन कम होने के साथ-साथ डायबिटीज सहित कई बीमारियों से कोसों दूर रहेंगे।
सियाचिन के जवान करें ये योगासन
ताड़ासन- इस आसन को करने से घुटने और पीट मजबूत होते हैं। इसके साथ ही कब्ज की समस्या करें दूर। सांस की बीमारी के साथ-साथ थकान से निजात मिलेगा।
त्रिर्यक ताड़ासन- इस आसन को करने से पूरा शरीर लचीला और मांसपेशियां मजबूत होगी।
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वृक्षासन- इस आसन को करने से मानसिक एकाग्रता बढ़ती है। पांव की मांसपेशियों को करें मजबूत, घुटनों और एड़ियों के दर्द को करें कम इसके साथ ही वजन को कंट्रोल करने में मदद करता है।
गरुड़ासन- अगर आपका शरीर फैक्सिबल है तो इस आसन को भी कर सकते हैं। इससे पैर बहुत ही मजबूत होते है। इसके साथ ही घुटनों के बीच गैप होता है। इसके अलावा एक्रागता बढ़ाने में मदद करें।
उष्ट्रासन- इस योगाभ्यास को करने से पेट की चर्बी कम होती है। इसके साथ साथ फेफड़े, दिल ही हेल्दी रहता है। आंखों की समस्या, कमर दर्द, रीढ़ संबंधित समस्याओं से निजात मिलता है।
अर्ध उष्ट्रासन- अगर आप उष्ट्रासन नहीं कर पा रहे हैं को अर्ध उष्ट्रासन कर सकते हैं।
पादहस्तासन- लंबी -लंबी सांसों के साथ इस आसन को करना चाहिए। इस आसन को करने से पेट की चर्बी के साथ पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिलेगा।
त्रिकोणासन- इस आसन को करने से फुल बॉडी एक्सरसाइज होती है। इसके साथ ही तनाव आदि से निजात मिलता है।
कोणासन- इस योगाभ्यास को करने से वजन कम होने के साथ पूरा शरीर हेल्दी रहता है।
मंडूकासन- अधिकतर जवानों को पेट संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में आप ये आसन कारगर होगा। इससे कब्ज, एसिडिटी की समस्या से निजात मिलेगा। इसके साथ ही लिवर और किडनी से जुड़े रोगों से भी दूर रहेंगे।
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भुजंगासन- इस आसम को करने से पूरे शरीर की मांसपेशियों में खिंचाव होता है। इसके साथ ही इस आसन को करने से डायबिटीज और पेट की चर्बी से निजात मिलता है।
मर्कटासन- इस आसन को करने से पीठ और कमर दर्द से निजात मिलेगा। जोड़ों के दर्द को जड़ से खत्म करें। कूल्हों के पेन को भी करें खत्म।
नौकासन- इस आसन को करने से गैस, कब्ज की समस्या से निजात मिलता है। इसके साथ की कमर, पेट सुडौल होता है। पेट की चर्बी कम कर करें।
अर्ध चंद्रासन- इस आसन को करने से डिप्रेशन, चिंता, पेट संबंधी समस्याओं से निजात मिलने के साथ सर्वाइकल और वर्टिगो के पैन से निजात मिलता है।
पादहस्तासन - इस आसन को करने से एसिडिटी की समस्या से निजात मिलता है. इसके साथ ही वजन कम करने में मदद मिलती है।
रण के जवानों के लिए योगासन
रेगिस्तान में 50 डिग्री तक पहुंच जाता है। ऐसे में जवान सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के बाद योगासन और प्राणायाम करें। किसी भी आसन को सहजता के साथ करें। प्राणायाम में भास्त्रिका, कपालभाति, अनुलोम विलोम, भ्रामरी, उद्गीथ के साथ-साथ शीतली और शीतकारी भी करें।
शीतली प्राणायाम
सबसे पहले आराम से रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठ जाएं। इसके बाद जीभ को बाहर निकालकर सांस लेते रहें। इसके बाद दाएं नाक से हवा को बार निकालें। इस प्राणायाम को 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।
शीतकारी प्राणायाम
इस प्राणायाम में होंठ खुले, दांत बंद करें। दांत के पीछे जीभ लगाकर, दांतो से धीमे से सांस सांस अंदर लें और मुंह बंद करें। थोड़ी देर रोकने के बाद दाएं नाक से हवा बाहर निकाल लें और बाएं से हवा अंदर लें।
शीर्षासन- तनाव को दूर करने में मदद करता है। इससे दिमाग शांत रहता है। नाड़ी तंत्र, नर्वस सिस्टम को रखें फिट।
भुजंगसान- गर्दन और कंधे की जकड़न को दूर करता है और सर्वाइकल की समस्याओं के लिए भी एक अच्छा उपाय है।
सर्वांगसान- अगर आप शीर्षासन नहीं कर पा रहे हैं तो इस आसन को कर सकते हैं। इसे करने से थायराइड के साथ-साथ कई समस्याओं से निजात मिलता है।
उष्ट्रासन- इस योगाभ्यास को करने से पेट की चर्बी कम होती है। इसके साथ साथ फेफड़े, दिल ही हेल्दी रहता है। आंखों की समस्या, कमर दर्द, रीढ़ संबंधित समस्याओं से निजात मिलता है।
योग मुद्रासन- इस आसन को करने से डायबिटीज के साथ-साथ पेट की चर्बी से निजात मिलेगा। मानसिक शक्ति बढ़ेंगी। इसके साथ ही शरीर मजबूत होगा। कब्ज के साथ-साथ गैस संबंधी समस्या से निजात मिल जाएगा।
नौकासन- इस आसन को करने से गैस, कब्ज की समस्या से निजात मिलता है। इसके साथ की कमर, पेट सुडौल होता है। पेट की चर्बी कम कर करें।
सेतुबंधासन- इस आसन को करने से डायबिटीज में छुटकारा मिलेगा। हाई ब्लड प्रेशर को कम करने के साथ अनिद्रा से निजात दिलाता है।
शलभासन- यह आसन पीठ में लचीलापन लाता है। पाचन क्रिया को सही करें, हाथों और कंधों को करें मजबूत।