Preeclampsia Day 2023: प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia), प्रेगनेंसी में हाई बीपी की समस्या से जुड़ी गंभीर स्थिति है। इस स्थिति से हर साल हजारों महिलाओं और उनके पेट में पल रहे बच्चों की जान चली जाती है। पर ज्यादातर महिलाओं में या कहें कि आम लोगों में इस बीमारी को लेकर अब भी जागरूकता की कमी है। तो, आइए आज जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से।
प्रीक्लेम्पसिया क्या है-What is Preeclampsia
प्रीक्लेम्पसिया, प्रेगनेंसी में होने वाली हाई बीपी की दिक्कत है। आमतौर पर ये 20 सप्ताह के बाद शुरू होती है यानी 5वें महीने में ये सामने आ सकती है। इसमें हाई बीपी के कारण पेशाब में प्रोटीन का लेवल ज्यादा हो सकता है जो किडनी डैमेज का कारण बन सकती है। इतना ही नहीं ये बच्चों में भी किसी प्रकार की क्षति पैदा कर सकती है। ऐसी स्थिति में अक्सर जल्दी डिलीवरी की सलाह दी जाती है। आइए, जानते हैं इस बीमारी का कारण।
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प्रीक्लेम्पसिया का कारण-Preeclampsia causes
-प्रीक्लेम्पसिया का पहला कारण है, पिछली प्रेगनेंसी में भी इसका होना।
-एक से अधिक बच्चे के साथ गर्भवती होना।
-जेनेटिक डिसऑर्डर
-पहले टाइप 1 या टाइप 2 डायबिटीज की वजह से।
-किडनी से जुड़ी समस्याएं
-ऑटोइम्यून डिजीज के कारण
प्रीक्लेम्पसिया के लक्षण-Preeclampsia symptoms
प्रीक्लेम्पसिया होने पर सबसे पहले आपको आंखों से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। जैसे कि आंखों से साफ न दिखना और लाइट के प्रति सेंसिटिविटी। दूसरा, आपको बार-बार सिर दर्द हो सकता है। साथ ही आपको पेट से जुड़ी समस्याएं, जैसे मतली और उल्टी आसकती है। इसके अलावा ऐसी महिलाओं को रह रहकर घबराहट हो सकती है। साथ ही आप ऊपरी दाहिने पेट में या कंधे में दर्द, अचानक से वजन बढ़ना और हाथ, पैर और चेहरे में सूजन महसूस कर सकती हैं।
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प्रीक्लेम्पसिया से बचाव के उपाय-Preeclampsia prevention tips
प्रीक्लेम्पसिया से बचाव के लिए पहले को स्ट्रेस लेना बंद करें। प्रेगनेंसी के पहले से ही स्मोकिंग बंद करें। सोने-उठने की टाइमिंग से लेकर खान-पान तक सभी चीजों का ध्यान रखें। डॉक्टर के पास रेगुलर चेकअप के लिए जाएं और लक्षणों को नजरअंदाज न करें।