World Pneumonia Day 2023: दिल्ली-एमसीआर की हवा इन दिनों बेहद खराब हो गई है। स्थिति ऐसी है कि हर व्यक्ति इस हवा में सांस लेकर लगभग 16 सिगरेट के बराबर स्मोकिंग कर रहा है। आलम ये है कि फफेड़ों इस समय सबसे खराब स्थिति में हैं और लोगों को सांस लेने से जुड़ी दिक्कतें लगातार हो रही हैं। ऐसी स्थिति में सबसे ज्यादा लोगों को निमोनिया का खतरा है। दरअसल, जिस हवा में आप सांस ले रहे हैं ये आपके फेफड़ों को प्रभावित ही नहीं कर रही है बल्कि, इनके अंदर इंफेक्शन भी पैदा कर रही है। कैसे और क्यों , कौन हैं वो लोग जो सबसे ज्यादा खतरे में हैं। जानते हैं इन तमाम चीजों के बारे में विस्तार से Dr. Shrey Srivastav, Assistant professor -Internal medicine, Sharda hospital
वायु प्रदूषण से निमोनिया कैसे होता है-How does air pollution cause pneumonia?
वायु प्रदूषण श्वसन तंत्र में हानिकारक कणों और गैसों को पहुंचाकर निमोनिया की शुरुआत में योगदान देता है। पार्टिकुलेट मैटर, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे प्रदूषकों के सांस लेने से फेफड़ों में जलन हो सकती है और प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। यह जलन श्वसन पथ को निमोनिया जैसे संक्रमणों के प्रति अधिक संवेदनशील बना सकती है।
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कौन लोग हैं सबसे ज्यादा खतरे में?
वायु प्रदूषण की वजह से जिन लोगों को सबसे ज्यादा दिक्कत है उनमें विशेष रूप से बच्चे, बुजुर्ग और पहले से मौजूद श्वसन समस्याओं वाले लोगों जैसी कमजोर आबादी आती है। इतना ही नहीं जिन लोगों को फेफड़ों की टीबी और कैंसर जैसी बीमारी है या जिन्हें पहले फेफड़ों की टीबी हुई थी या कोविड की वजह से गंभीर रूप से बीमार थे, उनमें भी निमोनिया का खतरा ज्यादा होता है।
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कैसे करें खुद का बचाव
वायु प्रदूषण के कारण होने वाले निमोनिया के खतरे को रोकने और कम करने के लिए, प्रदूषण के स्तर को कम करने वाले उपायों की वकालत करना और उन्हें लागू करना महत्वपूर्ण है। जैसे कि स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों के उपयोग को बढ़ावा देना, वाहन उत्सर्जन को कम करना, वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए अधिक पेड़ लगाना। इसके अलावा घर के अंदर उचित वेंटिलेशन सुनिश्चित करना और घर के बाहर मास्क पहन कर निकलना इस खतरे को कम कर सकता है। साथ ही अगर आपको निमोनिया की बीमारी है तो घर से बाहर न निकलें और फेफड़ों को मजबूत करने वाले योग करें और डाइट में इम्यूनिटी बूस्टर हर्ब्स को शामिल करें।