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World Down Syndrome Day: पैदाइशी होती है ये बीमारी, मां-बाप से मिलने वाला 1 Extra Chromosome बर्बाद कर देता है जिंदगी

National Down Syndrome Society (NDSS) के अनुसार हर साल लगभग 700 शिशुओं में से 1 डाउन सिंड्रोम के साथ पैदा होता है। सबसे आम जेनेटिक बीमारी है। आइए, जानते हैं इस बीमारी के बारे में सब कुछ।

Written By: Pallavi Kumari @Shabdita_Pallav
Published on: March 21, 2024 10:17 IST
down syndrome kya hai- India TV Hindi
Image Source : SOCIAL down syndrome kya hai

डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome) एक जेनेटिक बीमारी है जिसके बारे में जागरूकता फैलाने के लिए World Down Syndrome Day मनाया जाता है। दरअसल, हर साल कुछ बच्चे इस जेनेटिक बीमारी के साथ पैदा होते हैं। दरअसल, ये बीमारी जिन बच्चों में पैदाइशी होती है, उनमें जीवन के अंत तक बनी रहती है। हालांकि, साइंस इतना आगे बढ़ चुका है कि अब प्रेगनेंसी में ही ऐसे बच्चों का पता लगा लिया जाता है। तो, आइए जानते हैं डाउन सिंड्रोम क्या है? जानते हैं इसका कारण और लक्षण।

डाउन सिंड्रोम किसके कारण होता है

माता-पिता दोनों अपने जीन अपने बच्चों को हस्तांतरित करते हैं। ये जीन क्रोमोसोम (chromosomes) में ट्रांसफर होते हैं। जब बच्चे की कोशिकाएं विकसित होती हैं, तो प्रत्येक कोशिका को कुल 46 क्रोमोसोम के लिए 23 जोड़े क्रोमोसोम प्राप्त होने चाहिए। आधे क्रोमोसोम माता के और आधे पिता के होते हैं। डाउन सिंड्रोम वाले बच्चों में, क्रोमोसोम में से एक ठीक से अलग नहीं होता है। शिशु के पास दो के बजाय गुणसूत्र 21 की तीन प्रतियां या एक अतिरिक्त आंशिक प्रतिलिपि होती है। यह अतिरिक्त गुणसूत्र मस्तिष्क और शारीरिक विशेषताओं के विकसित होने पर समस्याएं पैदा करता है।

 डाउन सिंड्रोम के लक्षण

जन्म के समय, डाउन सिंड्रोम वाले शिशुओं में आमतौर पर कुछ विशिष्ट लक्षण होते हैं, जिनमें शामिल हैं-

-सपाट चेहरा
-छोटा सिर और कान
-छोटी गर्दन होने की पैदाइशी बीमारी
-उभरी हुई जीभ
-आंखें जो ऊपर की ओर झुकी हों
-असामान्य आकार के कान

down syndrome symptoms causes

Image Source : SOCIAL
down syndrome symptoms causes

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बड़े होने पर नजर आते हैं ये लक्षण

-मानसिक और सामाजिक विकास में देरी 
-आवेगपूर्ण व्यवहार
-पढ़ने-लिखने में दिक्कत
- धीमी सीखने की क्षमता
-बहुत स्लो ग्रोथ

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ध्यान देने वाली बात ये है कि गर्भावस्था के दौरान डाउन सिंड्रोम का पता लगाने के लिए दो बुनियादी प्रकार के परीक्षण उपलब्ध हैं: स्क्रीनिंग टेस्ट और डायग्नोस्टिक टेस्ट। ये दोनों एक महिला और उसके स्वास्थ्य सेवा प्रदाता को बता सकता है कि उसकी गर्भावस्था में डाउन सिंड्रोम होने की संभावना कम है या अधिक है। तो, प्रेगनेंसी के दौरान ही इसका पता चल सकता है और इस प्रकार की प्रेगनेंसी में क्या करना है डॉक्टर आपको सही राय दे सकते हैं।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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