अस्थमा फेफड़ों से संबंधित एक बीमारी है। इसके प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए हर साल मई के पहले मंगलवार को विश्व अस्थमा दिवस मनाया जाता है। अस्थमा के मरीजों को कोरोना वायरस के संक्रमण का खतरा अधिक है इसलिए उन्हें अपना खास ख्याल रखना चाहिए। इसके लिए गर्मी के मौसम की शुरुआत हो गई हैं ऐसे में अस्थमा के मरीजों को घर पर ही रहना चाहिए क्योंकि हवा में उड़ने वाले धूल के कण सांस लेने में समस्या उत्पन्न कर सकते हैं।
साल 2019 में आई एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में करीब 3 करोड़ लोग अस्तमा से से ग्रसित है। आपको बता दें कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों को ये बीमारी धूल रेस्पिरेटरी के कारण सबसे ज्यादा होती है। जानिए आखिर क्या है अस्थमा, लक्षण, कारण ट्रीटमेंट।
अस्थमा क्या है?
अस्थमा फेफड़ों की एक बीमारी है। जिसमें श्वास नलियों में सूजन हो जाने के कारण श्वास मार्ग सिकुड़ जाता है। जिससे सांस लेने में समस्या होती है। इसके अलावा मरीज को सांस लेते समय आवाज आना, खांसी आदि प्रॉब्लम होती है।
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अस्थमा होने का कारण
- अस्थमा जेनेटिक भी हो सकता है जो उसे अपने माता-पिता से मिलता है।
- वायरल इंफेक्शन
- एलर्जी वाले फूड्स का सेवन
अस्थमा के लक्षण
- खांसी विशेष रूप से रात में जब हंसते हुए या व्यायाम के दौरान
- सांस लेते समय घरघराहट, सीटी की आवाज
- छाती में जकड़न
- सांस लेने में कठिनाई
- थकान
- कई बार उल्टी होना।
- बलगम वाली खांसी या सूखी खांसी।
- सांस लेने में समस्या।
ऐसे करें खुद का बचाव
अस्थमा योगासनके साथ-साथ कुछ उपायों द्वारा सही किया जा सकता है।
ब्रीदिंग एक्सरसाइज -स्वामी रामदेव के अनुसार अगर आपको अस्थमा की समस्या है तो ब्रीदिंग एक्सरसाइज धीरे-धीरे करें। इससे लाभ मिलेगा। इस एक्सरसाइज के अलावा धीरे-धीरे सूर्य नमस्कार, कपालभाति, उज्जयी आदि प्राणायाम कर सकते हैं।
दवाओं का सेवन- अस्थमा के लक्षणों को रोकने के लिए दवाओं को दैनिक लिया जाना चाहिए। कुछ बचाव उपचार जैसे कि इनहेलर्स और नेबुलाइज़र, दैनिक उपयोग किए जा सकते हैं।
इंहेलर थेरेपी- अस्थमा के लिए इंहेलर्स सबसे अच्छी दवा है। इंहेलर्स से दवा सीधे फेफड़ों में पहुंचती है, जिससे पीड़ित को आराम महसूस होता है। यह सीरप के मुकाबले ज्यादा फायदेमंद है।
करें इन चीजों का सेवन
अगर आपको अस्थमा की समस्या है तो अपनी डाइट में विटामिन डी से भरपूर जैसे अंडे, दूध, ऑरेंज जूस शामिल करें। इसक अलावा मछली, टमाटर औक विटामिन ई से भरपूर नट्स और बीज का सेवन करें। इसके अलावा रेड मीट को न खाएं।