डर सबको लगता है..जी हां डर ऐसी चीज है जो अच्छे से अच्छे बहादुरों को सिकुड़ने पर मजबूर कर देती है। लेकिन फिर भी लोगों को डरावनी फिल्में देखने में काफी मजा आता है। भले ही डर रहे हों, हाथ पैर फूल रहे हों लेकिन डर डर कर भी भूतिया फिल्म देखने का लुत्फ नहीं छोड़ पाते। डरावनी फिल्मों की बात करें तो अक्सर ऐसा होता है कि जब डरावने सीन आते हैं तो दर्शक की हार्ट बीट बढ़ जाती है, यानी उसके दिल की धड़कनें तेज हो जाती है। ऐसा क्यों होता है, क्यों गला सूखने लगता है, लगता है कि दिल उछल कर बाहर आ जाएगा।
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दरअसल, ये सभी एड्रीनलीन हार्मोन की वजह से होता है। ये हॉर्मोन तभी सक्रिय होता है जब आपका दिल जोर जोर से धड़कने लगे या फिर आप तनाव पूर्ण स्थिति में हो। ये हार्मोन शरीर को खतरे से बचने के लिए तैयार करने की एक महत्वपूर्ण प्रतिक्रिया का हिस्सा है।
जानिए क्या है एड्रीनलीन हार्मोन
एड्रीनलीन ग्रंथियों को पिट्यूटरी ग्रंथि द्वारा कंट्रोल किया जाता है। ये ग्रंथियां दो भागों में विभाजित हैं। बाहरी ग्रंथियां और आंतरिक ग्रंथिया। ये आंतरिक ग्रंथियां ही एड्रीनलीन हार्मोन स्त्रावित करती हैं।
ये एक ऐसा हार्मोन है जो संकट के क्षण में ही स्त्रावित होता है। यह दिल को उत्तेजित करने और मेहनत करने के लिए उत्तेजित करता है। इससे मांसपेशियों में रक्त का प्रवाह बढ़ता है और किसी भी आकस्मिक समस्या से शरीर को लड़ने के लिए तैयार करता है। इसके साथ ही दिमाग को संदेश भेजने का भी काम करता है।
इस तरह खतरे से बचाता है एड्रीनलीन हार्मोन
एड्रीनलीन हार्मोन को फाइट या फ्लाइट, लड़ो या फिर भागो हार्मोन भी कहा जाता है। ये शरीर को ये भी संदेश पहुंचाता है कि उन्हें मुश्किल परिस्थिति में भागना या फिर लड़ना है। इस हार्मोन को इस वजह से इमरजेंसी हार्मोन भी कहते हैं। जब कोई संकट की स्थिति उत्पन्न होती है तो ये शरीर को सुरक्षित रखने के लिए दिल की धड़कन को बढ़ा देता है। इससे शरीर में रक्त का प्रवाह तेज हो जाता है जिससे शरीर के कार्य करने की क्षमता में इजाफा होता है। इसी वजह से जब भी आप किसी तनाव, भूतिया फिल्म या फिर डर की स्थिति में होती हैं। तब शरीर के रोंगटे खड़े हो जाते हैं, दिल तेजी से धड़कने लगता है साथ ही मुंह सूख जाता है। इन्हीं सब परिस्थियों से निपटने में एड्रीनलीन हार्मोन मदद करता है।