फेफड़े का कैंसर होने की वजह मुख्य वजह स्मोकिंग, तंबाकू और गुटखा माना जाता है। तंबाकू और गुटका का सेवन ज़्यादातर पुरुष करते हैं ऐसे में लंग कैंसर का शिकार ज़्यादातर पुरुष होते हैं। लेकिन हाल ही में एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आयी है। दरअसल, इंटरनेशनल जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित एक नए रिसर्च के अनुसार, 30 से 50 वर्ष की आयु के बीच की महिलाओं में पुरुषों की तुलना में फेफड़ों के कैंसर की संभावना अधिक होती है। इस रिसर्च के मुताबिक़, लंग्स कैंसर की बीमारी में पुरुषों के मुकाबले अब महिलाओं की संख्या में तेजी से इज़ाफ़ा हुआ है। ऐसे में हमने नोएडा में स्थित न्यूबर्ग डायग्नोस्टिक्स के लैब प्रमुख डॉ. विज्ञान मिश्रा से बातचीत कर यह जानना चाहा कि आखिर अब महिलाएं लंग कैंसर की चपेट में तेजी से क्यों आने लगी हैं?
इन वजहों से महिलाएं हो रही हैं लंग कैंसर का शिकार:
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बायोलॉजिकल फैक्टर: आनुवंशिक और हार्मोनल अंतर के कारण महिलाएं फेफड़ों के कैंसर की चपेट में तेजी से आने लगी हैं। उदाहरण के लिए, एस्ट्रोजन कुछ प्रकार के फेफड़ों के कैंसर को तेजी से ढ़ाता है। अध्ययनों से पता चलता है कि महिला के फेफड़े तंबाकू के धुएं और अन्य प्रदूषकों के कार्सिनोजेनिक प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं।
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धूम्रपान करने की वजह: धूम्रपान करने वाली महिलाओं को धूम्रपान करने वाले पुरुषों की तुलना में लंग कैंसर होने का जोखिम ज़्यादा होता है। दरअसल, महिलाओं के फेफड़ों पर तंबाकू के धुएं में मौजूद कार्सिनोजेन्स जल्दी असर डालते हैं।
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सेकंडहैंड स्मोक: महिलाएं अक्सर सेकंडहैंड स्मोक के संपर्क में ज़्यादा आती हैं, जिससे उनके फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
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रेडॉन एक्सपोजर: महिलाएं रेडॉन से अफेक्ट हो सकती हैं। यह फेफड़ों के कैंसर से जुड़ी एक नेचुरल रेडियोधर्मी गैस है, क्योंकि वे घर पर अधिक समय बिताती हैं जहाँ रेडॉन का स्तर जमा हो सकता है।
ऐसे करें बचाव?
लंग कैंसर से बचाव के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं। धूम्रपान और शराब का सेवन बिलकुल भी न करें। अपनी डाइट बेहतर करें। संतुलित आहार लें जिसमें फलों और सब्जियों की भरपूर मात्रा हो। नियमित व्यायाम करें। प्रदूषण में जानें से बचें। अगर आप किसी ऐसी जगह काम करती हैं जहां कैंसर का खतरा ज्यादा है तो सुरक्षा सावधानियां बरतें।
पुरुष और महिलाओं की शारीरिक रचना और उनके फेफड़े में अंतर होता है।इसलिए, कैंसर का पता लगाने और उसक इलाज करने के तरीके भी अलग होते हैं। महिलाओं में एडेनोकार्सिनोमा कैंसर का पता देरी से लगता है। इसलिए, इन कारणों को अच्छी तरह समझने से कैंसर से बचाव और उपचार किया जा सकता है।