आपने सुना होगा कि पुराने लोग कहते थे कि कान बांध लो या टोपी पहनलो ताकि सर्दी न लगे। लेकिन, आपने कभी सोचा है कि वो ये बात क्यों कहते थे या इसके पीछे असली में तर्क क्या है। तो, बता दें कि शरीर के कुछ अंग टेंपरेचर सेंसिटिव होते हैं और उन तक सर्दी या गर्मी कुछ भी आसानी से पहुंच जाती है। दरअसल, इसक पीछे तर्क ये है कि ठंड का अहसास तब शुरू होता है जब त्वचा की नसें त्वचा के तापमान के बारे में मस्तिष्क को संकेत भेजती हैं। इसलिए जब हमें ठंड लगती है, तो यह अक्सर उंगलियों, पैर की उंगलियों और अन्य खुले अंगों के तापमान में गिरावट के कारण होता है। इसके अलावा शरीर की संरचना और आकार भी इससे ज्यादा जुड़ा हुआ होता है। तो, आइए जानते हैं किस अंग को सबसे पहले ठंड लगती है।
सबसे पहले ठंड हाथ और पैर को लगती है
दरअसल, सबसे पहले ठंड हाथ और पैर को लगती है क्योंकि ये ज्यादा खुले में रहने वाली व्यापक त्वचा है। इस त्वचा के जरिए ठंड तेजी से शरीर में प्रवेश कर जाता है और दिमाग तुंरत रिएक्ट करता है कि उसे ठंड लग रही है। इसके पीछे दूसरा तर्क ये है कि हाथ और पैरों तक ब्लड सर्कुलेशन पहुंचने में ज्यादा समय लग जाता है और ऐसे में खून के आने और जाने के बीच ये अंग लंबे समय तक धीमे ब्लड सर्कुलेशन को महसूस करते हैं जिससे पैर और हाथ ठंडे हो जाते हैं।
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सबसे ज्यादा ठंड नाक और कान को लगती है
हाथ और पैर के बाद सबसे ज्यादा ठंड नाक और कान में लगती है। इसके पीछे कारण ये है कि ये अंग सबसे ज्यादा खुले रहते हैं और बाहरी तापमान के संपर्क में आते हैं। इसके अलावा सर्द हवा इनके जरिए शरीर में प्रवेश भी कर सकती है जिससे फेफड़ों तक ठंडक पहुंचती है और व्यक्ति ठंडक ज्यादा महसूर करता है। इसलिए इन अंगों के लिए आपको इन उपायों को अपनाना चाहिए जो कि सर्दी लगने से हमें बचाी सकते हैं।
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बचाव के लिए क्या करें
सर्दी से बचाव के लिए सबसे पहले तो अपने हाथ और पैरों में दस्ताने और मोजे पहनकर रखें। दूसरा आपको करना ये है कि आप सर्दियों में अपना कान ढककर रखें। साथ ही टोपी पहनें या शॉल ओढ़कर बाहर निकलें। इस प्रकार से आप खुद को ठंड लगने से बचा सकते हैं और कई बीमारियों से बच सकते हैं।