
हर साल 21 मार्च को राष्ट्रीय एनीमिया दिवस मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य एनीमिया के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। खासकर, महिलाएं अनीमिया का शिकार ज़्यादा होती हैं। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (2019-21) के अनुसार, भारत में 15 से 49 वर्ष की आयु की 57% महिलाएँ एनीमिया से पीड़ित हैं। यानी पुरुषों की तुलना में महिलाओं में एनीमिया अधिक आम है। गुरुग्राम में फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के प्रिंसिपल डायरेक्टर और चीफ बीएमटी डॉ. राहुल भार्गव बता रहे हैं कि महिलाएं एनीमिया की चपेट (What is the main cause of anemia in women) में ज़्यादा क्यों आती हैं और इससे बचने के लिए क्या करना चाहिए?
महिलाओं में क्यों होती है एनीमिया की समस्या:
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महिलाओं में एनीमिया होने की एक सबसे बड़ी वजह पीरियड्स है। पीरियड्स की वजह से शरीर में खून की कमी होती है, खास तौर पर मासिक धर्म से पीड़ित महिलाओं में।
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गर्भावस्था में भी एनीमिया का जोखिम बढ़ जाता है क्योंकि भ्रूण के विकास के लिए शरीर को अधिक आयरन की आवश्यकता होती है।
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इसके अलावा, महिलाओं में आमतौर पर पुरुषों की तुलना में आयरन की मात्रा कम होती है। इसकी वजह उनका डाइट अच्छा नहीं होना है।
ज़्यादातर महिलाएँ, खास तौर पर कम आय वाले परिवेश में, लाल मांस, पत्तेदार सब्ज़ियाँ और फलियाँ जैसे आयरन युक्त खाद्य पदार्थों का पर्याप्त मात्रा में सेवन नहीं करती हैं। इसके अलावा, विटामिन बी12 और फोलिक एसिड जैसे अन्य पोषक तत्वों की कमी जो लाल रक्त कोशिकाओं के संश्लेषण के लिए महत्वपूर्ण हैं। पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करने वाली आंतों की स्थिति या गुर्दे की बीमारी जैसी पुरानी बीमारियाँ भी कुछ मामलों में एनीमिया का कारण बन सकती हैं।
एनीमिया को दूर करने के उपाय:
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महिलाओं को एनीमिया का सामना न करना पड़े इसलिए उन्हें अपनी डाइट में आयरन, विटामिन और खनिज युक्त संतुलित आहार लेना चाहिए।
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विशेष रूप से गर्भावस्था में महिलाओं को आयरन की खुराक और फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ आयरन की कमी को रोक सकते हैं।
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शुरुआती चरण में एनीमिया की पहचान करने के लिए नियमित आधार पर स्वास्थ्य जांच आवश्यक है।
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मासिक धर्म के स्वास्थ्य कार्यक्रम और भारी रक्तस्राव जैसी स्थितियों का इलाज भी रक्त की कमी को कम कर सकता है।
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महिलाओं के पोषण पर केंद्रित स्वास्थ्य कार्यक्रम भी एनीमिया की दर को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।
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आहार और स्वास्थ्य संबंधी पहलुओं पर ध्यान देकर महिलाओं में एनीमिया को काफी हद तक कम किया जा सकता है।