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Stockholm Syndrom: जानें क्या बला है ये बीमारी जिसका विदेश मंत्री पर किया गया तंज, पढ़िए पूरी डिटेल

What is Stockholm syndrome: कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनाते ने विदेश मंत्री एस जयशंकर को ताना मारते हुए 'स्‍टॉकहोम सिंड्रोम' का शिकार बताया है। आइए, जानते हैं क्या है ये बीमारी।

Written By: Pallavi Kumari
Published on: February 22, 2023 15:36 IST
s jaishankar- India TV Hindi
Image Source : FREEPIK s jaishankar

स्‍टॉकहोम सिंड्रोम, अचानक से चर्चा में आ गया है। दरअसल, कांग्रेस नेता सुप्रिया श्रीनाते ने चीन के मुद्दे पर भारत सरकार के रूख पर ताना देते हुए कहा है कि विदेश मंत्री एस जयशंकर 'स्‍टॉकहोम सिंड्रोम' के शिकार हो गए हैं शायद। पर दुनिया की नजर इस बात पर रही कि स्‍टॉकहोम सिंड्रोम (Stockholm syndrome), है क्या जिसे लेकर विदेश मंत्री एस जयशंकर पर तंज किया गया। तो, स्वास्थ्य के लिहाज से देखें तो ये एक मानसिक स्थिति है जिसका कोई भी व्यक्ति शिकार हो सकता है। इसे कुछ ऐसे समझें कि पीड़ित व्यक्ति ही अपराधी के प्रति सहानुभूति महसूस करने लगता है। आइए, जानते हैं इस बीमारी के बारे में विस्तार से।

स्‍टॉकहोम सिंड्रोम क्‍या है-What is Stockholm syndrome

स्‍टॉकहोम सिंड्रोम की बात करें तो ये एक मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया है। स्टॉकहोम सिंड्रोम वाले लोग अपने अपहर्ताओं के साथ एक मनोवैज्ञानिक संबंध बनाते हैं और उनके साथ सहानुभूति रखने लगते हैं। ये कुछ ऐसा होता है कि व्यक्ति अपने किडनैपर से ही प्यार करने लगता है। स्टॉकहोम सिंड्रोम में व्यक्ति, उनसे दुर्व्यवहार करने वाले व्यक्ति से भी संबंध बनाने लगता है। कई मेडिकल एक्सपर्ट अपराधी के प्रति पीड़ित की सकारात्मक भावनाओं को एक मनोवैज्ञानिक प्रतिक्रिया मानते हैं, जिसका उपयोग वे आघात या दुर्व्यवहार के दौरान भी हफ्तों या वर्षों तक जीवित रहने के लिए करता है। 

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स्‍टॉकहोम सिंड्रोम के लक्षण क्या हैं-Stockholm syndrome symptoms

स्‍टॉकहोम सिंड्रोम के लक्षण कई हैं। जैसे कि ये लोग 

-शोषण करने वाले से ही एक बंधन बना लेते हैं।
-लाचारी वाली सहानुभूति रखने लगते हैं। 
-अपराधी के दुख से खुद को जोड़ने लगते हैं। 

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कहां से हुई इस बीमारी की शुरुआत

स्वीडन की राजधानी स्टॉकहो में 23 अगस्‍त 1973 को एक बैंक में हुई ढकैती ने इस बीमारी को नाम दिया। इसमें डकैतों द्वारा बंधक बनी लड़कियों का छुड़ाने के लिए सामने आना हैरान करने वाला था। दरअसल, बंधक लड़कियों ने किडनैपर्स के खिलाफ एक शब्‍द नहीं कहा और उनके मन में बदमाशों के लिए सहानुभूति हो रही थी। यही नहीं जब केस बना तो लड़कियों ने गवाही देने से मना कर दिया और किडनैपर्स को केस लड़ने के लिए पैसा दिया और उनसे मिलने जेल भी गईं। इस तरह लड़कियों की इस मानसिक स्थिति को स्‍टॉकहोम सिंड्रोम का नाम दिया गया।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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