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इस बीमारी में गुब्बारे की तरह सूज जाते हैं गाल, थूक निगलने तक में होती है परेशानी

मम्स क्या है: मम्स एक संक्रामक बीमारी है जो कि गंभीर लक्षणों के साथ लोगों को परेशान कर सकती है। खास बात ये है कि इस मौसम में ये बीमारी ज्यादा होती है। जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।

Written By: Pallavi Kumari
Published : Jul 20, 2023 16:11 IST, Updated : Jul 20, 2023 16:11 IST
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Image Source : SOCIAL mumps_in_hindi

मम्स क्या है: बरसात का मौसम है और ये मौसम वायरल बीमारियों का है। ऐसे में हमें सचेत रहने की जरुरत है क्योंकि जहां इम्यूनिटी कमजोर पड़ी आप तेजी से इन संक्रामक बीमारियों के शिकार हो सकते हैं। ऐसी ही एक संक्रामक बीमारी है मम्स (mumps in hindi)। आम भाषा में इसे गलसुआ रोग कहते हैं। गलसुआ पैरामाइक्सोवायरस (paramyxovirus) नामक वायरस के कारण होता है। ये असल में हवा में थूक के कण  या कहें कि छींक, नाक और गले से निकलमे वाले संक्रामक एयरड्रोपलेट्स की वजह से एक से दूसरे व्यक्ति में फैलता है। छींकने या करीबी बातचीत से हवा में मौजूद संक्रमित बूंदें सांस के जरिए अंदर जा सकती हैं और संक्रमण का कारण बन सकती हैं।

गलसुआ रोग के लक्षण-Mumps symptoms  in hindi

गलसुआ रोग में पैरोटिड ग्रंथियां (parotid glands) में सूजन हो जाती है और फिर ये दर्दनाक हो जाता है। पैरोटिड ग्रंथियां, लार ग्रंथियां हैं जो आपके कान और जबड़े के बीच स्थित होती हैं। इस दौरान गाल में सबसे ज्यादा सूजन होती है जिसे पैरोटाइटिस के नाम से जाना जाता है। ये आपके चेहरे के एक या दोनों तरफ हो सकती है। इसमें अन्य लक्षण भी दिखते हैं जैसे

-आपके गाल फूलमे के साथ जबड़े में सूजन आ जाती है। 
-तेज बुखार
-मसल्स में दर्द
-थकान
-भूख न लगना

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Image Source : SOCIAL
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इन लोगों में मम्स खतरा है ज्यादा-People at risk 

मम्स का सबसे ज्यादा खतरा उन लोगों में होता है जिनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसके अलावा बच्चों में या बूढ़े लोगों को भी ये रोग आसानी से हो सकता है। साथ ही संक्रामक व्यक्ति के संपर्क में रहने वाले लोगों में भी ये समस्या ज्यादा होती है।

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मम्स होने पर क्या करें-Treatment for Mumps

मम्स के लक्षण दिखते ही सबसे पहले अपने डॉक्टर को दिखाएं। इसके बाद घर में कुछ उपचारों को फॉलो करें जिसमें शामिल है 
-ज्यादा से ज्यादा तरल पदार्थों का सेवन
-नमक और गर्म पानी का गार्गल करें।
-बहुत आराम से खाएं, धीमे-धीमे और चबा-चबा कर।
-एसिडिक फूड्स के सेवन से बचें जिससे आपको बार-बार पानी पीना पड़े।
-गले की खराश को शांत करने के लिए बर्फ का टुकड़ा चूसें।
-सूजी हुई ग्रंथियों पर बर्फ या हीट पैक रखें।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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