कोरोना के बाद इंसान के शरीर में कई छोटे-मोटे बदलाव हो रहे हैं। इन बदलावों की मॉनिटिरिंग बहुत जरूरी है, क्योंकि ये बदलाव किसी खतरनाक बीमारी की सिग्नल भी हो सकता है। आपने ध्यान नहीं दिया तो आपकी जिंदगी खतरे में भी पड़ सकती है। ऐसी ही एक बीमारी है लिपोमा। ये स्किन से जुड़ी हुई बीमारी है और इसमें स्किन के अंदर गांठ बन जाती है। ऐसा लगता है कि जैसे स्किन की ऊपरी लेयर के नीचे कोई नन्ही सी गेंद घूम रही हो। जब बात गांठ की आती है तो मन में एक डर भी बैठ जाता है कि कहीं ये गांठ कैंसर तो नहीं।
शरीर में बनने वाली गांठें कई बार जानलेवा होती हैं, लेकिन ऐसे केसेस सिर्फ 1 फीसदी हैं या इससे भी बहुत कम हैं। शरीर में बनने वाली सभी गांठें घातक नहीं होती हैं। ज्यादातर गांठें नॉर्मल फैट का एक गोला सा बन जाती हैं, यानि बिनाइन होती है। जिसमें न दर्द होता है, न किसी तरह की तकलीफ और ये फैलती भी नहीं हैं।
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अब सवाल ये है कि शरीर में गांठ होने की वजह क्या है? इसकी एक वजह है जेनेटिक। और कई बार मेटबॉलिक वजह से भी गांठ बन जाती है। हाई कोलेस्ट्रॉल, डायबिटीज, ओबेसिटी, कम फिजिकल एक्टिविटी, ये सारी वजह गांठें बनने का कारण हो सकती हैं। लाइपोमा शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है।
लिपोमा की गांठें छोटी या बड़ी दोनों साइज की होती हैं। ये महिलाओं से ज्यादा पुरुषों में दिखाई देती है। अच्छी बात ये है कि योगाभ्यास और आयुर्वेदिक उपचार से लिपोमा की गांठों को पिघलाया जा सकता है। स्वामी रामदेव ने इन योगाभ्यासों और आयुर्वेदिक उपायों के बारे में बताया है, जिससे चंद दिनों में इन गांठों से मुक्ति मिल जाएगी।
क्या है लिपोमा?
- ये स्किन में होने वाला सबसे कॉमन कैंसर है।
- अमूमन शरीर की गांठ कैंसर में नहीं बदलते।
- 1 फीसदी से भी कम केस में कैंसर होता है।
शरीर में गांठ की वजह क्या है?
- डायबिटीज
- फैमिली हिस्ट्री
- मेटाबॉलिक
- कोलेस्ट्रॉल
कहां-कहां होता है लिपोमा?
- गर्दन
- चेहरा
- पीठ
लिपोमा कैसे पहचानें?
- गर्दन, कंधे, हाथ, कमर, पेट पर होती है।
- गांठ में ज्यादा दर्द नहीं होता है।
- नस पर दबाव से हल्का दर्द हो सकता है।
- ज्यादातर 1.2 इंच से बड़ी नहीं होती।
गांठ को अनदेखा न करें, डॉक्टर को दिखाएं
- अगर उम्र 40 साल से ज्यादा है
- अगर गांठ लगातार बढ़ रही है
- गांठ 1.2 इंच से बड़ी है
- अगर गांठ बहुत सख्त है
- गांठ के साथ दूसरे लक्षण भी हैं
सूर्य नमस्कार के फायदे
- इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग करता है।
- एनर्जी लेवल बढ़ाने में सहायक
- वजन घटाने में मददगार
- शरीर को डिटॉक्स करता है
- रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है
- पाचन तंत्र बेहतर होगा है
- शरीर को ऊर्जा मिलती है
- फेफड़ों तक ज्यादा ऑक्सीजन पहुंचती है
यौगिक जॉगिंग के फायदे
- बॉडी में एनर्जी आती है
- वजन कम करने में मददगार
- शरीर मजबूत बनता है
- बॉडी को फ्लेक्सिबल बनाता है
- हाथ-पैर मजबूत होते हैं
पादहस्तासन के फायदे
- डिप्रेशन दूर होता है
- फेफड़ों को स्वस्थ बनाता है
- सांस संबंधी दिक्कत दूर होती है
- पाचन संबंधी समस्या दूर होती है
- सिर में रक्त संचार बढ़ता है
दंड बैठक के फायदे
- मसल्स को मजबूत करता है
- चर्बी को दूर भगाता है
- वजन को नियंत्रण में रखता है
- पैरों और जांघों को मजबूती मिलती है
- सीना और भुजाएं चौड़ी होती हैं
- दिल के रोगों से बचा सकता है
मंडूकासन के फायदे
- डायबिटीज को दूर करता है
- पेट और दिल के लिए भी लाभकारी है
- पाचन तंत्र सही होता है
- लिवर और किडनी को स्वस्थ रखता है
सर्वांगासन के फायदे
- एकाग्रता बढ़ाता है
- तनाव और चिंता से मुक्ति मिलती है
- सिरदर्द ठीक करता है
- याद की हुई चीजें भूलते नहीं हैं
गोमुखासन के फायदे
- पीठ, बांहों को मजबूत बनाता है
- रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है
- शरीर को लचकदार बनाता है
- सीने को चौड़ा करने में सहायक
- शरीर का पॉश्चर ठीक होता है
कोरोना के बढ़ते R फैक्टर के बीच कैसे बनाए रखें अपनी इम्यूनिटी? जानें स्वामी रामदेव से
कारगर प्राणायाम
- भस्त्रिका
- भ्रामरी
- उज्जायी
- उद्गीथ
- अनुलोम विलोम
- कपालभाति
कैंसर में औषधि
- एलोवेरा
- नीम
- व्हीटग्रास
क्या खाएं?
- अनाज: पुराना चावल, मक्का, बाजरा, जौं, गेहूं
- दालें: मूंग, मसूर, अरहर
- सब्जियां: लौकी, करेला, सहजन, परवल, कद्दू, गाजर, फूलगोभी, ब्रोकली, शलजम, मूली