Hypocalcemia: शरीर में कैल्शियम की कमी बेहद आम बात है और आज के समय में ये समस्या बढ़ती जा रही है। इसके पीछे दो कारण है पहला डाइट से जुड़ी कमियां और दूसरा, विटामिन डी की कमी। ये दोनों मिलकर ही शरीर में कैल्शियम की मात्रा को बढ़ाते हैं। लेकिन, जब ऐसा नहीं होता है तो शरीर में लगातार कैल्शियम की कमी होने लगती है जो कि हाइपोकैल्सीमिया (hypocalcemia) का कारण बनता है। कैल्शियम की कमी से जुड़ी ये कमी शरीर के कई अंगों को प्रभावित करने लगती है। आइए, जानते हैं कैसे।
हाइपोकैल्सीमिया क्या है?
हाइपोकैल्सीमिया एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब आपके खून में कैल्शियम का स्तर बहुत कम हो जाता है। कई अलग-अलग स्वास्थ्य स्थितियां हाइपोकैल्सीमिया का कारण बन सकती हैं पर यह अक्सर आपके शरीर में पैराथाइरॉइड हार्मोन (पीटीएच) या विटामिन डी के असामान्य स्तर के कारण होता है। इसमें शरीर के कई अंग प्रभावित हो सकते हैं।
ब्रेन को कैसै प्रभावित करता है हाइपोकैल्सीमिया?
हाइपोकैल्सीमिया में कैल्शियम का लो लेवल अत्यधिक थकान का कारण बन सकता है, जिसमें ऊर्जा की कमी और सुस्ती महसूस हो सकती है। इससे अनिद्रा भी हो सकती है। कैल्शियम की कमी से जुड़ी थकान में चक्कर आना, और ब्रेन फॉग के लक्षण महसूस हो सकते हैं। इससे लोगों को फोकस की कमी, भूलने की बीमारी और भ्रम की स्थिति महसूस हो सकती है।
एलोवेरा का जूस कब पीना चाहिए? जानें लिवर की चर्बी कम करने वालों के लिए इसे पीने का सही तरीका
तो, हाइपोकैल्सीमिया से खुद को बचाएं और इसके लिए डेयरी उत्पादों का सेवन करें जिनमें कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है। इसके अलावा आप पर्याप्त विटामिन डी लें जो कि कैल्शियम की कमी का बड़ा कारण बनता है। इन सबके अलावा हर 6 महीने पर कैल्शियम का टेस्ट करवाएं जो कि इसकी कमी से बचने के लिए बेहद जरूरी है। तो, इन तमाम बातों का ख्याल रखते हुए शरीर में कैल्शियम की कमी से बचें।