जंग कोई भी हो, उसूल एक ही होता है वार सहो, वार करो और फिर जिसका वार ज़्यादा घातक होता हैजीत उसी की होती है। लेकिन हुसैन, उस जंग को कैसे जीते जिसमें वार पर वार तो हो लेकिन दुश्मन नज़र ही ना आए। ऐसे में जब दुश्मन अनजान हो छुपकर वार करे तो बेहतर ये है कि अपना डिफेंस इतना मज़बूत कर लो कि हर वार बेअसर हो जाए लेकिन यहां पर कौन सी जंग और किस दुश्मन की बात हो रही हैं।
मैं बात कर रही हूं गर्मी के इस मौसम में घर में छिपे डस्ट माइट्स की जो देखने में तो नजर नहीं आते लेकिन शरीर में घुसकर आपका जीना जरूर मुश्किल कर देते हैं। दरअसल जिस तरह सूर्यदेव आग उगल रहे है और धूल धक्कड़ वाली आंधी चल रही हैउससे बचने के लिए लोग खिड़की-दरवाज़ों को सील पैक वाले मोड में लॉक करके एसी कूलर में वक्त बिता रहे हैं। बंद कमरे में बढ़ती नमी, धूप की कमी से वहां पर मौजूद धूल में डस्ट माइट्स पैदा हो जाते हैं सोफे, कारपेट, पायदान और बाथरूम इन कीड़ों के पसंदीदा स्पॉट होते हैं।
इन डस्ट माइट्स के शरीर में घुसने से एलर्जी, बैक्टीरियल, फंगल इंफेक्शन जैसी दिक्कतें हो जाती हैं, सांस के मरीज़ों की मुश्किलें काफी हद तक बढ़ जाती हैं। खासकर अस्थमा के मरीजों का तो खांस खांसकर हाल और बेहाल हो जाता है। अगर वक्त रहते ट्रीटमेंट ना लिया जाए तो मरीज़ COPD तक का शिकार हो सकता है जो आगे चलकर दूसरी बीमारियों की भी वजह बनती है मांसपेशिया हड्डियां कमज़ोर होने लगती हैं खून की कमी और हार्ट डिज़ीज़ का रिस्क भी बढ़ जाता है।
इतना ही नहीं इम्यूनिटी कमज़ोर होने से टीबी जैसी बीमारी भी शरीर में घुसने की राह तलाशने लगती है जिससे फेफड़े खतरे में आ जाते हैं। यानि घूम फिरकर हमला लंग्स पर ही होता है इसलिए अगर सांसों की डोर को मज़बूत करना है तो फेफड़ों को फौलादी बनाना ही होगा। लंग्स को स्ट्रॉन्ग बनाने के साथ साथ धूल के डेडली अटैक से भी बचना होगा और इसके लिए अपने बिज़ी शेड्यूल में कुछ वक्त योग के लिए निकालना होगा।
और इसके लिए कोई लंबी चौड़ी प्लानिंग करने की जरूरत नहीं है बस एक काम कीजिए अपना योगा मैट और चटाई जो आपके पास इस वक्त एवेलेबल हो उसे बिछाइए और अगले 40 मिनट योग करके इस शुभ काम की शुरुआत कर दीजिए क्योंकि योगक्लास लगाने के लिए स्वामी रामदेव हमारे साथ जुड़ चुके हैं। वातावरण में धूल कण बढ़ गए हैं। इससे टीबी, अस्थमा से पीड़ित मरीजों के साथ स्वस्थ लोग खांसते-खांसते परेशान हैं।
क्या होती है डस्ट एलर्जी?
डस्ट एलर्जी असल में धूल से एलर्जी नही होती, बल्कि धूल में मौजूद कीड़ों से एलर्जी होती है। डस्ट माइट्स (Dust Mite Allergy) नामक छोटे-छोटे कीड़े आपके घर में रहते हैं। आपके सोफे, कारपेट, पायदान और बाथरूम इन कीड़ों की पसंदीदा स्पॉट होते हैं।
डस्ट माइट्स गर्म और नमी वाली जगहों पर पनपते हैं। भारत का मौसम ऐसा है जहां माइट्स आसानी से बढ़ते रहते हैं। यूं तो ये माइट्स बहुत समय नहीं जीते हैं, लेकिन इनकी मरी हुई बॉडी भी एलर्जी पैदा करने के लिए काफी है। धूल के साथ ये माइट्स आपकी नाक में चले जाते हैं। शरीर में पहुंचकर इनके विरुद्ध हिस्टामिन बनने लगती है। इससे नाक में इंफ्लामेशन यानी सूजन आ जाती है।
धूल के सम्पर्क में आते ही अगर आपको ये लक्षण नजर आते हैं तो आप डस्ट माइट्स से एलर्जिक हैं।
·नाक बहना या ब्लॉक हो जाना
·आंखों से पानी आना
·लगातार छींक आना
·आंखों में खुजली और लालामी
·नाक और गले में खुजली और उलझन
लंग्स धूल में छिपे कीड़े
बच्चों की सेहत के दुश्मन
सर्दी हो या गर्मी घर में धूप आनी चाहिए
धूल पर्दे कालीन
माइट्स का खाना ही डेड स्किन
और ये पनपते हैं धूप नहीं आए से
एलर्जी देती है
डेड स्किन पर इंटरेस्टिंग फेक्ट
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अस्थमा की परेशानी, सांसों पर इमरजेंसी
मौसम बदलना
एलर्जी
हॉर्मोनल चेंज
ज्यादा टेंशन
प्रदूषण
अस्थमा के लक्षण
बार-बार खांसी आना
देर तक खांसी होना
ब्रीदिंग में सीटी जैसी आवाज
चेस्ट में जकड़न-भारीपन
सांस फूलना
अस्थमा में आराम
गुनगुना पानी पीएं
भरपूर नींद लें
गिलोय का काढ़ा पीएं
तुलसी के पत्ते चबाएं
अनुलोम-विलोम करें
लंग्स हेल्दी बनाएं
बेसन की रोटी
भुना चना लें
मुलेठी चबाएं
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फेफड़े बनेंगे फौलादी, क्या करें?
रोज प्राणायाम करें
दूध में हल्दी-शिलाजीत लें
त्रिकुटा पाउडर लें
गर्म पानी पीएं
तला खाने से बचें
अस्थमा में रामबाण
100 ग्राम बादाम लें
20 ग्राम कालीमिर्च लें
50 ग्राम शक्कर लें
बादाम,कालीमिर्च,शक्कर मिला लें
दूध के साथ 1 चम्मच खाने से फायदा
हल्दी है रामबाण
दूध में कच्ची
हल्दी पकाएं
हल्दी-दूध में शिलाजीत मिलाएं
हल्दी दूध लंग्स के लिए फायदेमंद
गले में एलर्जी
नमक पानी से गरारा
बादाम तेल से नस्यम
मुलेठी चूसने से फायदा
आंखों में जलन
ठंडे पानी से आंखे धोएं
गुलाब जल आंखों में डालें
दूध-महात्रिफला घी खाएं