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क्या है मांसपेशियों से जुड़ी दुर्लभ बीमारी ‘ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी’, जानें इसके लक्षण और बचाव के उपाय

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक तरह का दुर्लभ बीमारी है जिसमें व्यक्ति की मांसपेशियां खराब होने लगती हैं। यह बीमारी लगभग 3500 लड़कों में से किसी एक को प्रभावित करती है।

Written By: Poonam Yadav @R154Poonam
Published : Jan 09, 2023 17:40 IST, Updated : Jan 09, 2023 17:40 IST
 Duchenne Muscular Dystrophy,
Image Source : FREEPIK Duchenne Muscular Dystrophy,

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक दुर्लभ बीमारी है, जो मांसपेशियों को कमजोर करने लगती है। यह बीमारी लगभग 3500 लड़कों में से किसी एक को प्रभावित करती है। आपको बता दें फिलहाल इस बीमारी के लिए कोई इलाज मौजूद नहीं है। लेकिन भारत के रिसर्चर्स इस दुर्लभ अनुवांशिक बीमारी के लिए एक इलाज खोजने की जद्दोजहद में जुट गए हैं। भारत में इस बीमारी के लगभग 5 लाख से ज्यादा मरीज हैं। चलिए आपको बताते हैं ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी क्या होती है, साथ ही इसके लक्षण और उपचार के बारे में।

क्या है ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी?

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी एक जेनेटिक डिसऑर्डर है। इसमें  शरीर में पाए जाने वाले डिस्ट्रोफिन नाम के एक प्रोटीन में बदलाव आने लगता है जिससे शरीर में कमजोरी बढ़ने लगती है। आपको बता दें डिस्ट्रोफिन प्रोटीन है शरीर में मांसपेशियों की कोशिकाओं को दुरुस्त रखने का काम करता है। इसके लक्षण ज़्यादातर  2 से 3 साल के बच्चों में पाए जाते हैं। साथ ही हर व्यक्ति में इसके लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। हालांकि इसके मामले महिलाओं में भी देखने को मिले हैं लेकिन वह पुरुषों के मुकाबले काफी कम है।

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क्या है इसके लक्षण?

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी में सबसे नॉर्मल लक्षण मांसपेशियों का कमजोर होना है। ये धीरे-धीरे मांसपेशियों के टीसूज़ को नुकसान पहुंचाता है। आमतौर पर इस बीमारी में पैर और शरीर का निचला हिस्सा ज्यादा प्रभावित होता है। इस बीमारी में पेट की साइड होने वाली मसल्स को ज्यादा परेशानी होती है। इस बीमारी से प्रभावित बच्चे शारीरिक गतिविधियों में बेहद कमजोर होते हैं।  ऐसे बच्चों को चलने में बेहद तकलीफ होती है। इस बीमारी में जैसे-जैसे व्यक्ति को दिल और रेस्पिरेटरी मसल्स में दिक्कत शुरू होती है तो यह लक्षण और गंभीर हो जाते हैं।

मांसपेशियों को पहुंचाता है नुकसान

ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी लगभग 3500 लड़कों में से किसी एक को प्रभावित करती है। इस अनुवांशिक बीमारी से पीड़ित बच्चे 12 साल के होने के बावजूद चलने में असमर्थ हो जाते हैं। उन्हें कहीं भी आने-जाने के लिए व्हीलचेयर का इस्तेमाल करना पड़ता है। वहीं 20 साल तक आते आते व्यक्ति को सपोर्ट वेंटिलेशन की जरूरत पड़ने लगती है।

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इलाज के लिए किया जा रहा शोध 

आपको बता दें अभी तक इस बीमारी का कोई इलाज़ नहीं है। हालांकि इंटीग्रेटिव ट्रीटमेंट के जरिए इस बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है। एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ड्यूकेन मस्कुलर डिस्ट्रॉफी के लिए इलाज या तो बहुत कम है या फिर बहुत ज़्यादा महंगा। एक बच्चे पर इस इलाज का खर्चा हर साल लगभग 2-3 करोड़ रुपये तक आता है। दूसरी तरफ दवाइयां भी ज्यादातर बाहरी देशों से आती हैं। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी जोधपुर ने 'डिस्ट्रोफी एनीहिलेशन रिसर्च ट्रस्ट' बेंगलुरु और ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंसेस जोधपुर के सपोर्ट से डीएमडी के लिए एक रिसर्च सेंटर स्थापित किया है। इस सेंटर का टारगेट इस दुर्लभ और लाइलाज बीमारी के लिए सस्ता इलाज विकसित करना है।

(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)

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