गुड़गांव के एक रेस्तरां में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें माउथ फ्रेशनर की जगह ड्राई आइस खाते ही 5 लोगों के मुंह से खून (dry ice gurgaon) निकलने लगा। पुलिस का मानना है कि एक वेटर ने गलती से उन्हें माउथ फ्रेशनर की जगह ड्राई आइस (Dry Ice) परोस दिया था। इसे खाने पर, उन्हें अपने मुंह में जलन का अनुभव हुआ, जिसके बाद मुंह से ब्लीडिंग होने लगी। कुछ को उल्टियां होने लगीं और स्थिति गंभीर हो गई है। इसके बाद ये लोग अस्पताल पहुंचे जहां उन्हें मालूम हुआ कि उन्होंने माउथ फ्रेशनर की जगह ड्राई आइस खा ली थी, जिसकी वजह से ये स्थिति आई। तो, आइए जानते हैं क्या है ये और इसे खाने के नुकसान डॉ. पंकज वर्मा, सीनियर कंसलटेंट, इंटरनल मेडिसिन, नारायणा हॉस्पिटल, गुरुग्राम से।
क्या होती है Dry Ice?
Dry Ice एक प्रकार से सूखी बर्फ है जिसका तापमान -80 डिग्री तक होता है। ये केवल ठोस कार्बन डाइऑक्साइड से बना होता है। इसे ऐसे समझें कि नॉर्मल बर्फ को जब आप मुंह में रखते हैं तो वो पिघलकर पानी बनने लगता है लेकिन, ये पिघलने पर सीधे कार्बन डाइऑक्साइड गैस में फैल जाता है। ड्राई आइस का उपयोग अक्सर इसके असाधारण रूप से कम तापमान के कारण किराने के सामान और मेडिकल चीजों को स्टोर करने के लिए किया जाता है। इसके अलावा इसका इस्तेमाल फोटोशूट और थियेटर में होता है।
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सेहत के लिए क्यों खतरनाक है Dry Ice?
डॉ. पंकज वर्मा, के अनुसार ड्राई आइस कार्बन डाइऑक्साइड का ही ठोस रूप है जो आमतौर पर कूलिंग एजेंट की तरह प्रयोग की जाती है। अगर आपने ड्राई आइस को ऐसी जगह पर रखा है जहां पर वेंटिलेशन नहीं है, तो ऐसे में कार्बन डाइऑक्साइड का कॉन्सन्ट्रेशन इतना बढ़ सकता है कि आपको दम घुटना, सिर दर्द, सांस लेने में तकलीफ होना, होंठ या नाखून नीले पड़ने लगना जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ड्राई आइस को लंबे समय तक प्रयोग करने से फ्रॉस्टबाईट और त्वचा को नुकसान भी पहुंचता है। इसलिए इसका प्रयोग काफी सावधानी से और हवादार वातावरण में करना चाहिए।
इस तरह ड्राई आइस शरीर के लिए बहुत गंभीर खतरा हो सकती है जो खाते ही मुंह की गर्मी से पिघलेगी और तुरंत पूरे मुंह में फैल जाएगी। जैसे ही ये बर्फ पिघलती है, यह कार्बन डाइऑक्साइड गैस में बदल जाती है और आस-पास के टिशूज और सेल्स का नुकसान करती है। इससे एक व्यक्ति बेहोश हो सकता है और कुछ मामलों में मर भी सकता है। खाना तो छोड़िए ड्राई आइस को अपनी स्किन से भी दूर रखें। इसे कभी छूएं भी तो कपड़े या चमड़े के दस्ताने पहनकर और तौलिये आदि का उपयोग करके। नहीं तो, स्किन के संपर्क में आते ही ये ब्लीडिंग का कारण बन सकती है।
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इतना ही नहीं कार्बन डाइऑक्साइड के संपर्क में आने से सिरदर्द, चक्कर आना, सांस लेने में कठिनाई, कंपकंपी, भ्रम और कानों में घंटियां बजने की समस्या हो सकती है। ज्यादा एक्सपोजर से कोमा और मृत्यु तक हो सकती है।