ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी कैमरून ग्रीन लंबे अरसे से किडनी की बीमारी से जूझ रहे हैं। उनकी किडनी करीब 60 प्रतिशत तक डैमेज हो चुकी हैं और ब्लड को ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती हैं। दरअसल हमारे शरीर में मौजूद विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम किडनी ही करती हैं। अगर किडनी में कोई परेशानी होती है तो इससे ब्लड ठीक तरह से फिल्टर नहीं हो पाता और खून में विषाक्त पदार्थ बढ़ने लगते हैं। इससे किडनी फेलियर भी हो सकता है। वहीं क्रोनिक किडनी रोग एक लंबी बीमारी है जिसमें किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती है।
शारदा हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ भुमेश त्यागी के मुताबिक, क्रोनिक किडनी रोग (सीकेडी) किडनी की कार्यक्षमता में महीनों या कई सालों तक होने वाली क्रमिक गिरावट को कहते है, जिससे किडनी के धीरे-धीरे विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में कमी आने लगती है। इसे ईजीएफआर के आधार पर 5 स्टेज में डिवाइड किया गया है। सामान्य कारणों में डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर, उम्र और किडनी की समस्याओं की फैमिली हिस्ट्री होना शामिल है। इन बीमारियों के लंबे समय तक रहने के साथ-साथ पॉलीसिस्टिक किडनी रोग और ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस जैसी स्थितियां भी CKD यानि क्रोनिक किडनी डिजीज में योगदान कर सकती हैं।
डॉक्टर्स भुमेश का कहना है कि इसके शुरुआती लक्षण कई बार पता नहीं चलते है, लेकिन जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, व्यक्तियों को थकान, सूजन जो सबसे पहले चेहरे पर दिखाई देती है, सांस लेने में कठिनाई और टॉयलेट कम जाना और कंट्रोलन कर पाना जैसे लक्षण दिखते हैं।
क्रोनिक किडनी डिजीज से कैसे बचें
- स्वस्थ जीवन शैली बनाए
- धूम्रपान से दूरी बनाकर रखें
- शराब का सेवन सीमित कर दें
- हेल्दी वजन बनाए रखें
- नियमित शारीरिक गतिविधि करें
- ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखें
- नमक का सेवन सीमित कर दें
- ब्लड शुगर को कंट्रोल रखें
- नियमित चिकित्सा जांच कराएं
क्रोनिक किडनी रोग के लक्षण
- जब शरीर में हानिकारक पदार्थ और विषाक्त धीरे-धीरे जमा होने लगते हैं तो इससे उल्टी और मितली जैसा महसूस होती है
- क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित व्यक्ति की भूख पर भी इसका असर पड़ता है। ऐसे में भूख में कमी आती है।
- पीड़ित व्यक्ति का अचानक वजन कम होना और थकान होना भी क्रोनिक किडनी डिजीज के लक्षण हैं।
- बहुत कमजोरी महसूस होना और किसी भी हल्के वर्कआउट में बहुत थकान महसूस करना।
- क्रोनिक किडनी रोग के में किडनी ठीक से फंक्शन नहीं कर पाती और टॉयलेट कम या रुक-रुक कर आता है।
क्रोनिक किडनी रोग की स्टेज
क्रोनिक किडनी डिजीज की 5 स्टेज होती हैं। हर स्टेज पर आपको किडनी के डैमेज होने की स्थिति के बारे में पता चलता है। इससे किडनी की वर्तमान स्थिति के बारे में भी पता लगाया जा सकता है।
स्टेज1- इस स्टेज पर किडनी बहुत कम डैमेज होती है। आप अपने ज्यादातर काम खुद से कर सकते हैं। नॉर्मल 90 और उससे ज्यादा eGFR रिजल्ट होता है। इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता सिर्फ कंट्रोल किया जा सकता है।
स्टेज 2- इस स्टेज पर ईजीएफआर के रिजल्ट थोड़ा परेशान करने लगते हैं। जो 60 और 89 के बीच होते हैं। दूसरी स्टेज पर हाथ और पैरों में सूजन, हाई ब्लड प्रेशर, टॉयलेट में संक्रमण जैसे लक्षण नज़र आते हैं।
स्टेज 3- ये ऐसी स्थिति है जो काफी चिंताजनक है। इसमें ईजीएफआर का रिजल्ट 30 और 59 के बीच होता है। किडनी ठीक से काम नहीं कर पाती और ब्लड को फिल्टर नहीं कर पाती। इस स्टेज पर हाथ-पैरों में सूजन, हाई ब्लड प्रेशर और हड्डियों की बीमारी होने लगती है।
स्टेज 4- क्रोनिक किडनी डिजीज के स्टेज 4 में ईजीएफआर टेस्ट का रिजल्ट 15 से 29 के बीच दिखाता है। ये चिंताजनक स्थिति होती है। ये किडनी फेलियर से पहले की आखिरी स्टेज होती है। इसमें पीठ के निचले हिस्से में काफी दर्द रहता है।
स्टेज 5- इस स्टेज पर ईजीएफआर 15 से कम होता है। ये सबसे खतरनाक स्थिति है। इस स्टेज पर पीड़ित व्यक्ति की किडनी बुरी तरह से डैमेज हो चुकी होती हैं।
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