केरल में 'दिमाग खाने वाला अमीबा' (brain eating amoeba) से एक पांच साल की बच्ची की मौत का मामला सुर्खियों में है। आपको बता दें यह अमीबा लाइलाज माना जाता है। ये मरीज के दिमाग की कोशिकाओं को ही नष्ट कर देता है। ऐसा पहली बार नहीं है जब अमीबा के कारण किसी की मौत हुई है बल्कि इससे पहले भी दुनियाभर में कई लोग अमीबा के कारण अपनी जान गवां चुके हैं। नेगलेरिया फाउलेरी जिसे अमीबा कहा जाता है वह मिट्टी और ताजे पानी जैसे झीलों, नदियों और झरनों में रहता है। जब अमीबा युक्त पानी नाक में जाता है तो यह मस्तिष्क में संक्रमण का कारण बन सकता है। चलिए जानते हैं अमीबा के लक्षण क्या है और इससे अपना बचाव कैसे किया जाए?
क्या है अमीबा?
अमीबा एककोशिकीय जीव है, यह दिखने में बेहद छोटा होता है इसलिए इसे केवल माइक्रोस्कोप से ही देखा जा सकता है। यह यह बेहद गर्म वातावरण के पानी में पनपते हैं जैसे- जीव नदियों और झरनों के पानी। ऐसे में गर्मियों के मौसम में तालाब या वाटर पार्क में नहाना भारी पड़ सकता है। दरअसल, जब अमीबा का पानी नाक के जरिए आपके शरीर में जाता है तो लोग संक्रमित होते हैं। अमीबा नाक में घुसकर दिमाग के टिश्यू को नष्ट कर देता है। अमीबा को नेगलेरिया फाउलेरी भी कहा जाता है।
नेगलेरिया फाउलेरी के लक्षण
नेगलेरिया फाउलेरी संक्रमण के लक्षण में सिरदर्द बहुत तेज होता हो, साथ ही बुखार, मतली या उल्टी होती है। संक्रमण बढ़ने पर गर्दन में अकड़न, दौरे, और दिमाग का काम न करना शामिल हैं। इसमें लोगों की मृत्यु हो आती है
इस संक्रमण से बचाव के तरीके
- गर्मी और बरसात के महीनों में इस बीमारी की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है। इसलिए वाटर पार्क या तालाब के पानी में जाते समय लोगों को हमेशा सचेत रहना चाहिए। क्योंकि इस संक्रमण का खतरा बना रहता है। साथ ही तैरते समय ध्यान रखें कि पानी नाक में न जाए
- गर्मी और बरसात के मौसम में में नदी, झरनों और झील में गोता लगाने से बचना चाहिए।
- झरनों में अपनी सिर भिगाने से बचना चाहिए क्योंकि इसके रास्ते नाक तक पानी पहुंच सकता है।