आजकल ज्यादातर माता पिता बच्चों के हाइपरएक्टिव होने से परेशान हैं। पार्क में खेल रहे 10 में से 4-5 बच्चे आपको इस तरह के मिल जाएंगे। हाइपर एक्टिव बच्चों को संभाल पाना काफी मुश्किल हो जाता है। कई बार तो ऐसे बच्चों को थेरेपी लेने की भी जरूरत पड़ जाती है। ऐसा ही एक डिसऑर्डर है ADHD जिसे अटेंशन डिफीसिटएट हाइपरएक्टिव डिसऑर्ड कहते हैं। ये एक न्यूरो डेवलपमेंट कंडीशन है। जिससे आपका बच्चा भी पीड़ित हो सकता है। ये डिसऑर्डर कई बार उम्र बढ़ने पर खत्म हो जाता है और कई बार वैसा का वैसा ही बना रहता है। जानिए क्या है ADHD डिसऑर्डर और इसके लक्षण क्या हैं?
मायो क्लीनिक में छपी एक रिपोर्ट की मानें तो ADHD यानि अटेंशन डिफीसिटएट हाइपरएक्टिव डिसऑर्ड एक तरह की न्यूरो डेवलेपमेंटल स्थिति है। जिससे लाखों बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। ADHD में बच्चों को डेली के काम करने में परेशानी आ सकती है। ऐसे में कई बार ध्यान लगाने में कठिनाई या बच्चे के हाइपरएक्टिव होने के लक्षण दिखते हैं। कुछ मामलों में ADHD से पीड़ित बच्चों में कॉन्फिडेंस की कमी, रिश्तों को सही से समझ न पाना, स्कूल में ठीक से उम्र के हिसाब से परफॉर्म न कर पाने जैसी समस्याएं हो सकती हैं। कई बार लोग इससे उबर जाते हैं लेकिन कुछ लोगों को जिंदगीभर ऐसी समस्याएं झेलनी पड़ सकती हैं।
क्या हैं ADHD के लक्षण (Symptoms of Attention-deficit/hyperactivity disorder)
ADHD के लक्षण बच्चों में 2 से 12 साल तक की उम्र में ही दिखने लगते हैं। शुरुआत में हल्के लक्षण हो सकते हैं। जो कई बार गंभीर भी हो सकते हैं। बढ़ती उम्र में भी ये लक्षण बने रह सकते हैं। एडीएचडी महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में ज्यादा होता है। बच्चों में ये लक्षण नजर आ सकते हैं।
- किसी काम या खेल में ध्यान न लगा पाना
- कोई बात स्पष्ट कहने पर भी ध्यान न देना
- बातों को मानने में कठिनाई होना
- दिए और बताए हुए काम को पूरा न कर पाना
- रोज के काम करना भूल जाना या न कर पाना
- हाथों या पैरों में बेचैनी महसूस होना और कुछ करते रहना
- लगातार चलते रहना या फिर कुछ करते रहना
- शांत होकर खेलने या किसी काम को करने में परेशानी होना
- अपनी बारी का इंतजार करने में कठिनाई आना
इस तरह के लक्षण बच्चे में नजर आएं तो आपको एक बार मेंटल हेल्थ एक्सपर्ट से बातचीत जरूर करनी चाहिए। डॉक्टर्स इसके लिए खास थेरेपी कराते हैं। जिससे काफी सुधार आ सकता है।
ADHD का क्या है इलाज?
हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो इस स्थिति में बच्चे पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। बच्चे को ऐसे कामों में लगाएं जहां वो एकाग्र हो। ऐसे बच्चों से ज्यादा से ज्यादा बात करें। उन्हें सही डायरेक्शन दें। आप काफी हद तक अपने व्यवहार में बदलाव कर इन बच्चों को ठीक कर सकते हैं। एडीएचडी के गंभीर मामलों में आप डॉक्टर से थेरेपी ले सकते हैं। कई बार डॉक्टर कुछ दवाएं भी देते हैं।