पिछले साल पूरे भारत में लंपी वायरस का कहर देखा गया था। इस दौरान हर राज्य में बड़ी संख्या में पालतू जानवरों की इससे मौत हुई थी। अब एक बार फिर पूरे छत्तीसगढ़ में लंपी वायरस का प्रकोप गोवंश में तेजी से फैल रहा है। इस बीमारी से कई गाय और बैल इससे संक्रमित होकर मर भी रहे हैं। लंपी वायरस (lumpy skin), असल में एक स्किन से जुड़ी वायरल बीमारी है जो कि मूल रूप से मवेशियों को प्रभावित करती है। ये खून पीने वाले कीड़ों से फैलती है, जैसे मक्खियों, मच्छरों की कुछ प्रजातियां और टिक। इससे जानवरों को बुखार होता है, त्वचा पर गांठें पड़ जाती हैं और मृत्यु भी हो सकती है।
क्यों और कैसे फैल सकती है ये स्किन की बीमारी -Causes of lumpy virus
लंपी वायरस जिसे लंपी स्किन डिजीज वायरस (lumpy skin disease virus) भी कहा जाता है, ये असल में एक प्रकार का पॉक्सवायरस (poxviruses) है। इसकी वजह से पशु बुरी तरह से संक्रमित होते हैं और इसकी शुरुआत पशुओं के बाल से होती है जिसमें टिक बैठे रहते हैं। इसके बाद बुखार होता है। पशुओं में दूध का उत्पादन कम हो जाता है और त्वचा पर गांठें निकल आती हैं। इसके अलावा इसमें पशुओं को मास्टिटिस की समस्या भी होती है जिसमें कि लिम्फ नोड्स की सूजन हो जाती है। पशुओं को भूख न लगती, नाक बहने लगता है और आंखों से पानी भी आने लगता है। इसके अलावा संक्रमित गायों और बैलों में लंबे समय तक बांझपन की समस्या भी देखी जाती है।
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लंपी वायरस को फैलने से कैसे रोका जा सकता है-How do you prevent lumpy skin disease from spreading?
लंपी वायरस को फैलने से रोकने का एक तरीका ये है कि आपको इन तमाम लक्षणों को देखते ही अपने पशुओं की टेस्टिंग करवानी चाहिए। इसके अलावा आपको अपने संक्रमित मवेशियों से दूसरे मवेशियों अलग कर लेना चाहिए। साथ ही इस बीमारी की रोकथाम के लिए इन टिप्स की मदद लेनी चाहिए। जैसे कि
-टीकाकरण
-दवाएं और अन्य प्रबंधन रणनीतियां।
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इसके अलावा लोगों को संबंधित अधिकारियों और पशु चिकित्सकों से सलाह लेती रहनी चाहिए। साथ ही आपको अपने दूसरे पशुओं पर सख्त नजर रखना चाहिए और इस दौरान इन पशुओं के दूध के सेवन से बचना चाहिए।