जब हमारा शरीर ऊर्जा के लिए कार्बोहाइड्रेट के जगह फैट और प्रोटीन का इस्तेमाल करता है, तो ऐसी स्थिति में शरीर में एक रसायन का निर्माण होता है जिसे कीटोन कहा जाता है। ये कीटोन टॉयलेट के जरिए शरीर से बाहर निकल जाते हैं, लेकिन कई बार यूनिर में इनकी मात्रा बढ़ जाकी है। इससे गंभीर स्थिति कीटोन्यूरिया पैदा होती है। इससे डायबिटीज कीटोएसिडोसिस भी हो सकता है।
क्या है कीटोन्यूरिया?
जब टॉयलेट में कीटोन की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो इससे कीटोन्यूरिया की स्थिति पैदा होती है। कीटोंस को लिवर प्रोड्यूस करता है और ये 3 तरह के होते हैं, एसीटोएसिटेट, β-हाइड्रॉक्सीब्यूटाइरेट, और एसीटोन। यूरिन में कोटोंस की मात्रा तब बढ़ती है जब शरीर एनर्जी के लिए शरीर के बैकअप यानि फैट और प्रोटीन सेल्स को तोड़ने लगता है। डायबिटीज के मरीज को इस समस्या को खत्म करने की जरूरत होती है क्योंकि इससे शरीर में फैट और प्रोटीन की कमी होने लगती है। जब इंसुलिन कम हो जाता है तो टाइप 1 डायबिटीज के मरीज को कीटोन्यूरिया होने का खतरा रहता है।
कब होता है कीटोंस का लेवल हाई?
ज्यादा लंबे समय तक भूखे रहनें से, कम खाना खाने से, शरीर में फैट, कार्बोहाइड्रेट, स्टार्च और ग्लूकोज की मात्रा कम होने से कई बार प्रेगनेंसी में भी या फिर फास्टिंग के कारण भी यूरिन में कीटोन बढ़ने लगते हैं। डायबिटीज कंट्रोल नहीं है तो कीटोन्यूरिया का कारण हो सकती है। टाइप 1 डायबिटीज में शरीर बहुत ही कम मात्रा में इंसुलिन बनाता है जिससे शरीर खुद ही प्रोटीन्स को तोड़कर कीटोन्स बनाने लगता है।
कीटोन्स बढ़ने का खतरा कब और कैसे होता है?
- अगर आप इंसुलिन लेते है और हाई ब्लड शुगर के मरीज हैं तो कीटोन्स का टेस्ट करवा लेना चाहिए।
- जब यूरीन में नॉर्मल से ज्यादा कीटोन्स पाए जाते हैं तो इंसान को ट्रीटमेंट की जरूरत होती है।
- नॉर्मली यूरिन में कीटोन नहीं होता, लेकिन किसी इंफेक्शन, बुखार, ज्यादा देर तक भूखे रहने, ओवर वर्कआउट, गर्भवस्था और कुछ बीमारियों में यूरिन में कीटोन बढ़ने लगते हैं।
कीटोन्यूरिया के लक्षण
- प्यास लगना
- मतली
- डिहाईड्रेशन
- बार-बार पेशाब लगना
- सांस लेने में पेरशानी
- आंखों की पुतलियों को फैलना
- मेंटल कंफ्यूजन
कीटोन्यूरिया से कैसे बचें
- शरीर में ब्लड ग्लूकोज लेवल को कंट्रोल रखें
- इंसुलनि लेने वाले सही समय पर इंसुलनि लें
- ज्यादा देर तक भूखे रहने से बचें
- वत्र में जूस पीते रहें, जिससे शरीर में शुगर लेवल कंट्रोल रहे