हमारे शरीर पर खानपान के साथ जलवायु और मौसम का असर भी पड़ता है। वेदों में भी बताया गया है कि मौसम और सेहत में गहरा संबंध है। हर मौसम के हिसाब से रहन-सहन और खानपान के निर्देश भी वेदों में दिए गए हैं, जो कि आप स्वस्थ रहने के लिए अपना सकते हैं। वहीं कई स्टडी ने वजन घटाने से जुड़े कारकों पर मौसम के प्रभावों का विश्लेषण किया है। हमारे भारत के भौगोलिक स्थिति के अनुसार भारत में मुख्यत; साल में तीन मौसम होते हैं, जिसमें गर्मी, सर्दी और वर्षा या मानसून शामिल है। हर मौसम में शरीर अलग-अलग खाने-पीने की मांग करता है।
सर्दी के मौसम में खानपान और जीवनशैली
सर्दियों में वजन बढ़ना एक सामान्य घटना है, जो आमतौर पर कम एक्टिविटी लेवल और छुट्टियों के दौरान कैलोरी की अधिक खपत सहित कारकों के कारण होती है। सर्दी के मौसम में रात लंबी होने के कारण शरीर को आराम और खाना पचाने का पर्याप्त समय मिलता है। इस कारण इन दिनों भूख ज्यादा लगती है। पाचन तंत्र तेज होने के कारण भारी मात्रा में खाया गया खाना भी आसानी से पच जाता है और सर्दी के मौसम में उनके साथ आलस्य भी बढ़ जाता है। खाना अधिक खाने और कामकाज करने के कारण वजन में बढ़ोतरी हो जाती है। सर्दी के मौसम में घी, मक्खन, तेल, खीर, दूध, रबड़ी, मलाई, हलवा, मिठाई आदि का सेवन किया जाता है।
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गर्मी के मौसम में खानपान
गर्मी के मौसम में तापमान काफी बढ़ जाता है और ऐसे में गर्मी के चलते पसीना ज्यादा निकलता है और शरीर में पानी की कमी महसूस होती है। इस मौसम में उल्टी दस्त और पेचिश की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है और गर्मियों के मौसम में हल्का चिकना आसानी से पचने वाला भोजन किया जाता है। छाछ लस्सी और ठंडे तरल पदार्थों का सेवन भी अधिक किया जाता है जिससे गर्मी और पसीने से छुटकारा मिल सके और शरीर हाइड्रेट रहे। सब्जियों में साग, करेला पुदीना नींबू आदि का उपयोग होता है जो कि हमारा वजन संतुलित रखता है और वेट को बढ़ने नहीं देता।
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मॉनसून में खानपान
बारिश के मौसम में वातावरण काफी गंदा हो जाता है, जिसके कारण मक्खी और मच्छर से बढ़ने वाले संक्रमण का खतरा और अधिक बढ़ जाता है। वर्षा ऋतु में हल्के ताजे और गर्म भोजन का सेवन किया जाता है। दालों में अरहर और मूंग का सेवन लाभकारी होता है। सेब, करेला, पके देसी आम भी वर्षा ऋतु में खूब खाए जाते हैं, जो हमारा वजन बढ़ा ही देता है।