विटामिन डी कोई जादुई गोली नहीं है जिसे किसी भी समस्या में बिना सोचे समझे खा लिया जाए। कुछ लोग बिना टेस्ट कराए ही विटामिन डी का सेवन करने लगते हैं। पिछले कुछ समय से लोगों के शरीर में विटामिन डी की कमी ज्यादा होने लगी है। डॉक्टर टेस्ट के बाद विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं, लेकिन अब यूनाइटेड एंडोक्राइन सोसाइटी की एक नई रिसर्च में कहा गया है कि युवाओं को बिना सोचे समझे विटामिन डी सप्लीमेंट्स नहीं लेने चाहिए। विटामिन डी की दवाओं की बजाय दैनिक जरूरत को पूरा करने पर जोर देना चाहिए। विटामिन डी, विटामिन से अधिक एक हार्मोन है, जो शरीर के अलग अलग कार्यों के लिए जरूरी है। जरूरत से ज्यादा सप्लीमेंट्स आपको नुकसान पहुंचा सकते हैं।
विटामिन डी एक हार्मोन है
इस रिसर्च में कहा गया है कि दूसरे विटामिनों की तरह विटामिन डी को बाहर से सप्लीमेंट्स लेकर पूरा करने की जरूरत नहीं है। इसे हमारा शरीर खुद अपने इंग्रीडिएंट्स से बनाता है। टेक्निकली अगर देखा जाए तो विटामिन डी एक विटामिन नहीं बल्कि एक हार्मोन है। इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स भी विटामिन डी के सप्लीमेंट्स देने से पहले सावधानी बरतते हैं।
क्या विटामिन डी मैजिकल पिल है?
- सिर्फ विटामिन नाम के वजह से और जिस तरह से इसे हेल्थ पिल के रूप में सोशल मीडिया पर लोगों के बीच फैलाया जा रहा है, उसकी वजह से लोग अक्सर बिना सोचे समझे विटामिन डी सप्लीमेंट्स लेने लगे हैं।
- विटामिन डी सूर्य के प्रकाश के संपर्क में आने के बाद त्वचा में पैदा होता है। फिर ये लिवर और किडनी इसे एक्टिव फॉर्म में चेंज करते हैं। जिसके बाद शरीर के अलग-अलग कामों के लिए इसका उपयोग किया जाता है।
विटामिन डी के टेस्ट की जरूरत कब है?
अगर आपको लग रहा है कि शरीर में विटामिन डी की कमी हो रही है तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें। मांसपेशियों में कमजोरी, शरीर में दर्द या उठने बैठने में परेशानी है तो इन कंडीशन को देखते हुए डॉक्टर टेस्ट की सलाह देते हैं।
किसे है विटामिन डी सप्लीमेंट्स की जरूरत
अगर डॉक्टर टेस्ट के बाद शरीर में विटामिन डी की कमी और उसके सप्लीमेंट्स लेने की सलाह देते हैं तो आप खा सकते हैं। भारत में विटामिन डी की कमी की मुख्य वजह हमारा खाना है। पश्चिमी देशों के उलट यहां दूध, जूस, आटा या ब्रेड जैसे खाद्य पदार्थों को आमतौर पर विटामिन डी से भरपूर नहीं हैं। इसलिए प्रेगनेंसी के दौरान शरीर में विटामिन डी की कमी हो सकती है। नवजात बच्चों के शरीर में विटामिन डी कम होने पर सप्लीमेंट्स दिए जा सकते हैं। सीनियर सिटीजन यानि 70-75 साल के बाद विटामिन डी की खुराक ली जा सकती है।