World Parkinson's Day: पार्किंसंस रोग एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है जो तब होती है जब हमारे ब्रेन में कुछ गतिविधियां प्रभावित होकर बदल जाती हैं। फिर ये हमारे तंत्रिकाओं यानी न्यूरॉन्स को प्रभावित करता है, जिसकी वजह से शरीर के अलग-अलग अंगों में बदलाव होने लगता है। ये इतना गंभीर है कि शरीर के जिन अंगों में तंत्रिकाएं प्रभावित होने लगती हैं वो अंग स्लो पड़ जाते हैं। साथ ही हाथ-पैर में लगातार कपकपाहट रहती है, कई अंग-बार सुन्न पड़ जाते हैं और कई बार पूरा शरीर यहां तक मुंह के खाने और बोलने की स्पीड तक प्रभावित हो जाती है। धीमे-धीमे शरीर धीमा हो जाता है और समय के साथ काम करना बंद कर देता है। पार्किंसन रोग को विटामिन बी 12 और विटामिन डी की कमी से (vitamin d and b12 deficiency in parkinson's) भी जोड़कर देखा जाता रहा है। कैसे, समझते हैं इस बारे में।
विटामिन बी12 की कमी से पार्किंसन-Does vitamin b12 help with parkinson's
AdoCbl (5'-deoxyadenosylcobalamin) नामक एक कंपाउंड सिर्फ विटामिन B12 में ही पाया जाता है जो कि जीन में आनुवंशिक उत्परिवर्तन के कारण पार्किंसंस रोग में डोपामाइन के नुकसान (dopamine loss in Parkinson's disease) को कम कर सकता है। दरअसल, डोपामाइन शरीर की तंत्रिकाओं के लिए उस तेल के समान है जिसकी मदद से गाड़ी चलती है। जब इसकी कमी होती है तो तंत्रिकाओं का काम और बिगड़ जाता है। इतना ही नहीं विटामिन बी 12 की गंभीर कमी शरीर में कंपन और कपकपाहट (shakiness and tremors) पैदा कर सकती है।
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इसके अलावा विटामिन बी12 सेरोटोनिन (serotonin) और डोपामाइन (dopamine) के उत्पादन के लिए भी जरूरी है, जो मूड-बढ़ाने वाले न्यूरोट्रांसमीटर हैं। नतीजतन, विटामिन बी 12 की कमी डिप्रेशन और चिंता बढ़ा सकती है और पार्किंसंस रोग के लक्षणों को और खराब कर सकती है।
विटामिन डी की कमी से पार्किंसन-Vitamin d in parkinson's disease
विटामिन डी मस्तिष्क के विकास और इनकी गतिविधियों को बेहतर बनाने में मददगार है। पार्किंसंस रोग (पीडी) न्यूरोलॉजिकल है और इसके लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए विटामिन डी की जरुरत होती है। इतना ही नहीं, आपके शरीर में विटामिन डी की कई भूमिकाएं हैं, जिनमें डोपामाइन जैसे कुछ न्यूरोट्रांसमीटर को बैलेंस करना भी शामिल हैं। ऐसे में इसकी कमी से डोपामाइन के स्तर में कमी हो सकती है और ये गंभीर रोग तेजी से बढ़ सकता है।
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तो, इस बीमारी से बचने के लिए अपने खाने में इन दोनों विटामिन की मात्रा बढ़ाएं, स्ट्रेस कम लें और लक्षणों से संकेत मिलते ही तुरंत अपने डॉक्टर के पास जाएं।