हमारे शरीर के सर्कुलेटरी सिस्टम में वेन्स का काम ब्लड को हार्ट तक ले जाने का होता है। ब्लड को ऊपर तक ले जाने में मदद करते हैं वाल्व जो वेन्स में होते हैं। जब वाल्व कमजोर हो जाते हैं तो ब्ल्ड रुक जाता है और जमा होने लगता है। जिससे वेन्स क्लॉट हो जाते हैं यानी कि वेन्स का गुच्छा बन जाता है। ये एक बीमारी है जिसे वैरिकोज वेन्स कहते हैं। स्वामी रामदेव ने इस बीमारी से खुद को बचाने के लिए कुछ योगासन बताए हैं।
क्या है वैरिकोज वेन्स
- सर्कुलेटरी सिस्टम में वेन्स होते हैं
- वेन्स का काम ब्लड को हार्ट तक ले जाना है
- वेन्स में बहुत सारे वॉल्व होते हैं
- वाल्व की मदद से ब्लड ऊपर जाता है
- वाल्व कमजोर होने पर ब्लड रुक जाता है
- ऊपर जाने के बदले जमा होने लगता है
- वेन्स के गुच्छे बनने लगता है
वैरिकोज वेन्स के लक्षण
- पैरों में सूजन आना
- मसल्स में ऐंठन होने लगती है
- वेन्स रस्सियों की तरह मुड़ जाती है
- वैरिकोज वेन्स के ऊपर स्किन में खुजली होने लगती है
- पैरों में नीली रंग की वेन्स का गुच्छा साफ दिखने लगता है
वैरिकोज वेन्स से बचाव
- रोजाना योग और व्यायाम करना
- शरीर का वजन कंट्रोल में रखना
- ऊंची हील के जूते और टाइट जुराब न पहनना
- अपने बैठने और खड़े होने के पोस्चर बदलना
सूक्ष्म व्यायाम से होगा फायदा
- उर्जा स्फूति का संचार होता है
- शरीर पूरा दिन स्वस्थ रहता है
- सर्वाइकल में कारगर
- गर्दन को दाएं बाएं घुमाएं
- कोहनी मोड़कर हाथों को कंधों के पाए लाएं और कंधों को घुमाएं
- गर्दन को आगे पीछे की ओर करें
शीर्षासन
- रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
- कार्यक्षमता को बढ़ाकर एनेर्जेटिक बनाता है
- दिमाग में ब्लड सर्कुलेट करता है
- पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों का स्राव नियमित करता है
- स्मरण शक्ति, एकाग्रता, उत्साह, स्फूर्ति, निडरता, आत्मविश्वास और धैर्य बढ़ाता है
सर्वांगासन
- ब्रेन में एनर्जी का फ्लो बढ़ाता है
- एजिंग को रोकने में सहायक
- शारीरिक संतुलन ठीक रहता है
हलासन
- पाचन सुधारने में मदद करता है
- मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है
- वजन घटाने में मदद करता है
- शुगर लेवल को कंट्रोल करता है
- रीढ़ की हड्डी में लचीलापन बढ़ाता और कमर दर्द में आराम मिलता है
- स्ट्रेस और थकान से दूर करता है
- दिमाग को शांति मिलती है
इसके अलावा ये आसन भी करें
- अर्ध हलासन
- पादवृत्तासन
- द्विचक्रिकासन
हमेशा फिट रहने के लिए करें ये प्राणायाम
भस्त्रिका
इस प्राणायाम को करने से पूरे शरीर में ऑक्सीजन का ठीक ढंग से प्रवाह होता है। जिससे आपको डायबिटीज के साथ-साथ कई अन्य बीमारियों से भी निजात मिल जाएगा। इसे 1 मिनट से शुरू करके करीब 3 मिनट तक करें।
कपालभाति
इस प्राणायाम को करने से पैंक्रियाज के बीटा सेल्स दोबारा एक्टिव हो जाते हैं। जिससे तेजी से इंसुलिन बनने लगता है। इसके अलावा इसे करने से ब्लड सर्कुलेशन ठीक रहने के साथ मेटाबॉलिज्म बढ़ता है।
भ्रामरी
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद करते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 5 से 7 बार जरूर करना चाहिए।
अनुलोम विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं। इस प्राणायाम को करने से क्रोनिक डिजीज, तनाव, डिप्रेशन, हार्ट के लिए सबसे बेस्ट माना जाता है। इसके अलावा ये मांसपेशियों की प्रणाली को भी ठीक रखता है। इसे 10 से 15 मिनट करें।
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