Highlights
- ब्लू लाइट आंखों के लिए मानी जाती है खतरनाक
- अंधेरे में मोबाइल इस्तेमाल करने से आंखों पर पड़ता है बुरा असर
आज के समय में मोबाइल जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। घर से लेकर ऑफिस तक हर कोई मोबाइल पर निर्भर हैं। मोबाइल ही नहीं लैपटॉप, कम्प्यूटर का भी इस्तेमाल भी अधिक होने लगा है। लेकिन आपको इस बात का शायद अंदाजा नहीं हैं कि इससे निकलने वाली किरणें आपकी आंखों के लिए कितनी खतरनाक है। मोबाइल से निकलने वाली ब्लू लाइट के कारण आपको मैक्यूलर डिजनरेशन (Macular Degeneration) की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
आमतौर पर मैक्यूलर डिजनरेशन की समस्या बुजुर्ग लोगों में देखने को मिलती थी लेकिन आज के समय में मोबाइल आदि से निकलने वाली ब्लू लाइट के कारण युवा भी तेजी से इस समस्या के शिकार हो रहे हैं।
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अंधेरे में मोबाइल चलाने का सबसे ज्यादा बुरा असर रेटिना पर पड़ता है। जब आप अंधेरे में कई घंटों तक मोबाइल चलाते रहते हैं तो एक समय के बाद आपको दिखना बंद हो जाता है।
क्या है मैक्यूलर डिजनरेशन?
मैक्यूलर डिजनरेशन को साधारण भाषा में समझा जाए तो जिस तरह कैमरे में मौजूद फिल्म पर तस्वीर बनती है ठीक उसी तरह से हमारी आंखों के रेटिना में तस्वीर बनती है। अगर रेटिना खराब हो जाए तो आंखों की रोशनी जा सकती है। इस बीमारी में मैक्यूल (रेटिना के बीच के भाग में) असामान्य ब्लड वैसेल्स बनने लगते हैं जिससे केंद्रीय दृष्टि प्रभावित होती है। मैक्यूला के क्षतिग्रस्त होने पर इसे दोबारा ठीक करना मुमकिन नहीं है।
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आंखों को हेल्दी रखने का उपाय
- अपना मोबाइल चलाते समय अपनी पलकों को जरूर झपकाएं ताकि आंखों को ड्राईनेस की समस्या का सामना ना करना पड़े।
- आमतौर पर व्यक्ति मोबाइल का इस्तेमाल करीब 8 इंच की दूरी से करता है। लेकिन कोशिश करें कि इससे ज्यादा दूरी पर आपका मोबाइल हो।
- मोबाइल चलाते समय ऐसा चश्मा पहनें जो खरतनाक ब्लू लाइट से आंखों का सीधा संपर्क होने से रोक सकता हो।
- अगर आप रात के समय मोबाइल का इस्तेमाल कर रहे तो लाइट जलाकर करें।