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Tulsi Vivah 2022: तुलसी-शालीग्राम विवाह के पीछे क्या है पौराणिक कथा, जानें इस पूजा का महत्व

तुलसी विवाह के दिन माता तुलसी, भगवान शालिग्राम का दूल्हा और दुल्हन की तरह श्रृंगार किया जाता है। तुलसी विवाह करने से पति पत्नी के बीच प्यार बना रहता है और हर तरह की दिक्कतें दूर हो जाती हैं।

Written By: Vineeta Mandal
Published : Nov 04, 2022 19:27 IST, Updated : Nov 04, 2022 19:30 IST
Tulsi Vivah 2022
Image Source : FIL IMAGE Tulsi Vivah 2022

Tulsi Vivah 2022: इस साल तुलसी विवाह का पावन दिन 5 नवंबर को पड़ रहा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, माता तुलसी के साथ भगवान शालिग्राम का पूरे रस्म रिवाजों के साथ विवाह कराने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर की प्राप्ति होती है। इतना ही नहीं जिस घर में तुलसी का पौधा होता है उस घर में मां लक्ष्मी-नारायण की कृपा सदैव बनी रहती है। हर साल तुलसी विवाह देवउठनी एकादशी या फिर कार्तिक द्वादशी के दिन मनाई जाती है। तुलसी विवाह विधिवत् करने से दांपत्य जीवन भी सुखमय बना रहता है। पति-पत्नी के बीच के सारे मनमुटाव तुलसी-शालिग्राम पूजा से दूर हो जाती है। 

तुलसी विवाह से जुड़ी पौराणिक कथा 

प्राचीन काल में जालंधर नामक राक्षस ने चारों तरफ हाहाकार मचा रखा था। वह बड़ा वीर और पराक्रमी था। जालंधर की वीरता का रहस्य था, उसकी पत्नी वृंदा का पतिव्रता धर्म। उसी के प्रभाव से वह सर्वजंयी बना हुआ था। जालंधर के उपद्रवों से परेशान देवगण भगवान विष्णु के पास गए और अपनी रक्षा की गुहार लगाई। उनकी प्रार्थना सुनकर भगवान विष्णु ने वृंदा का पतिव्रता धर्म भंग करने का निश्चय किया। उधर, उसका पति जालंधर, जो देवताओं से युद्ध कर रहा था, वृंदा का सतीत्व नष्ट होते ही मारा गया। जब वृंदा को इस बात का पता लगा तो क्रोधित होकर उसने भगवान विष्णु को शाप दे दिया, 'जिस प्रकार तुमने छल से मुझे पति वियोग दिया है, उसी प्रकार तुम भी अपनी स्त्री का छलपूर्वक हरण होने पर स्त्री वियोग सहने के लिए मृत्यु लोक में जन्म लोगे।' यह कहकर वृंदा अपने पति के साथ सती हो गई।

जिस जगह वह सती हुई वहां तुलसी का पौधा उत्पन्न हुआ। एक अन्य प्रसंग के अनुसार वृंदा ने विष्णु जी को यह शाप दिया था कि तुमने मेरा सतीत्व भंग किया है। अत: तुम पत्थर के बनोगे। विष्णु बोले, 'हे वृंदा! यह तुम्हारे सतीत्व का ही फल है कि तुम तुलसी बनकर मेरे साथ ही रहोगी। जो मनुष्य तुम्हारे साथ मेरा विवाह करेगा, वह परम धाम को प्राप्त होगा।' तब से ही कार्तिक मास में तुलसी जी का विवाह शालिग्राम जी के साथ किया जाने लगा।वहीं बिना तुलसी दल के शालिग्राम या विष्णु जी की पूजा अधूरी मानी जाती है। 

भगवान शालिग्राम की पूजा का महत्व

श्रीमद देवी भागवत के अनुसार, कार्तिक महीने में भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पण करने से 10,000 गायों के दान का फल प्राप्त होता है। वहीं शालिग्राम का नित्य पूजन करने से भाग्य बदल जाता है। तुलसी दल, शंख और शिवलिंग के साथ जिस घर में शालिग्राम होता है, वहां पर माता लक्ष्मी का निवास होता है।

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इंडिया टीवी इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।)

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