Friday, November 22, 2024
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PART 3- Tuberculosis TB Disease: इलाज के बीच अगर 1 दिन की दवा छोड़ दें तो क्या होगा? जानिए टीबी से जुड़े अहम सवालों के जवाब

Tuberculosis TB Disease: मरीज सोच में पड़ जाता है, कि आखिर उसे क्या हुआ है और क्या वह ठीक हो पाएगा? तो इसी समस्या का समाधान करने के लिए हम आज टीबी से जुड़े सवालों के जवाब आपको देने वाले हैं।

Reported By: Shilpa
Updated on: September 18, 2022 13:42 IST
Tuberculosis TB Disease-Dr. Ajay Kochhar - India TV Hindi
Image Source : INDIA TV Tuberculosis TB Disease-Dr. Ajay Kochhar

Highlights

  • टीबी की दवा एक दिन भी नहीं छोड़नी चाहिए
  • टीबी ठीक होने के बाद शरीर को कमजोर न होने दें
  • इलाज के बाद सामान्य जिंदगी जी जा सकती है

Tuberculosis TB Disease: टीबी के इलाज के लिए दवा का कोर्स होता है, जो 6 महीने, 9 महीने या फिर 12 महीने तक चलता है। लेकिन लोगों के जहन में ये सवाल रहता है कि अगर इलाज के दौरान एक दिन की दवा छूट जाए, तो क्या हो सकता है? इसके अलावा मरीज इस सवाल का जवाब भी तलाशने की कोशिश करते हैं, कि अगर इलाज पूरा हो जाए, तो क्या दोबारा भी टीबी होने का खतरा रहता है? इससे किस तरह बचा जा सकता है? तो हम इन्हीं सवालों के जवाब आपको देने जा रहे हैं। ये टीबी पर लिखे गए लेख का PART-3 है। पिछले दो पार्ट पढ़ने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। 

PART 1- Tuberculosis TB Disease: मन में टीबी से जुड़ा कोई भी सवाल है, तो तुरंत करें क्लिक, डॉक्टर से जानें इसके लक्षण से लेकर इलाज तक सबकुछ

PART 2- PART 2- Tuberculosis TB Disease: टीबी के दौरान कौन सी 2 चीजें सबसे जरूरी? किस तरह रखें अपना ध्यान, जानिए बीमारी से जुड़ा हर जवाब

आपके सवालों का जवाब देने के लिए हमने जाने माने डॉक्टर अजय कोच्चर से बात की है। वह ट्यूबरकुलोसिस और चेस्ट डिजीज स्पेशलिस्ट हैं। वह दिल्ली के संजीवन हॉस्पिटल के अलावा अपने टीबी सेंटर में भी मरीजों का इलाज करते हैं। डॉक्टर कोच्चर के पास करीब 34 साल का अनुभव है। वह 1988 से टीबी के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। हमने डॉक्टर कोच्चर से टीबी पर विस्तार से बात की है, जिसमें पूरी कोशिश की गई है कि कोई भी सवाल न छूटे और आपको पूरी जानकारी मिल सके। ये आर्टिकल का PART-3 है।

21. अगर किसी ने टीबी का कोर्स पूरा कर लिया है, तो क्या वो आगे शादी करने के बारे में सोच सकता है क्योंकि कई लोगों को ये डर रहता है कि आगे चलकर उन्हें दोबारा बीमारी हो सकती है इसलिए वो किसी और की जिंदगी बर्बाद नहीं करना चाहते, तो अकेले ही रहते हैं। इसका मानसिक तौर पर भी उनपर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है?

जवाब- अगर मरीज ठीक हो गया है और जीवन में आगे वो अपने शरीर का, खाने पीने का ध्यान रखता है, तो वो एक सामान्य व्यक्ति की तरह ही जिंदगी जी सकता है। जैसे कि उसे कभी टीबी हुआ ही नहीं था। वो इतना सामान्य तक बना रहता है। लेकिन उसे पूरी जिंदगी अपनी सेहत का, खाने पीने का ध्यान रखना होगा। इलाज के बाद पत्नी या बच्चे को बीमारी फैलने का कोई खतरा नहीं होता है। ये बीमारी केवल हवा के जरिए फैलती है, वो भी शुरुआत में। ये किसी दूसरे तरीके से नहीं फैलती है। 

कुछ लोगों को ठीक होने के बाद भी बीमारी के दोबारा होना का डर होता है, तो इस डर से वह निकल सकते हैं, उन्हें बस अपने खाने-पीने का ध्यान रखना है। अच्छा पैष्टिक खाना खाना है। और एक्सरसाइज करनी है। तो टीबी कभी दोबारा होगा ही नहीं।

22. टीबी मानसिक रूप से किसी को कैसे प्रभावित करता है?

जवाब- टीबी मानसिक रूप से भी लोगों को प्रभावित करता है। मरीज ये सोचते हैं कि पता नहीं हम ठीक होंगे या नहीं। आसपास वालों को लगता है कि हमें न हो जाए। मरीजों को डर यही होता है कि अगर हम ठीक न हुए, तो क्या होगा। इसी वजह से डिप्रेशन आता है। टीबी शरीर को बहुत कमजोर बना देता है। 

23. इलाज के दौरान क्या क्या समस्याएं/दिक्कतें मरीज को हो सकती हैं, शुरुआत में, 3 महीने, 6 महीने या 9 महीने बाद?

जवाब- नंबर एक- दिक्कतें शरीर में कमजोरी की वजह से ही आती हैं। नींद न आने के पीछे भी यही कारण है।

नंबर दो- जब शरीर दवा को स्वीकार नहीं करे तो आती हैं।

नंबर तीन- डिप्रेशन हो जाता है। 

25. क्या टीबी का असर सेक्सुअलिटी पर पड़ता है? बेशक वो इंसान शादीशुदा नहीं है फिर भी?

जवाब- इलाज के दौरान ऐसा होता है। लेकिन अगर इलाज के बाद भी हो रहा है, तो वो मनोवैज्ञानिक कारणों से होता है। इलाज के दौरान मरीज के मस्तिष्क में काफी तनाव होता है, जिस वजह से वह ठीक से परफॉर्म नहीं कर पाता। बाद में ये दिक्कत नहीं रहती है। केवल उन्हीं मरीजों में ये दिक्कत देखने को मिलती है, जो बहुत ज्यादा तनाव में रहते हैं। इसके पीछे मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं। 

26. मान लीजिए किसी की उम्र 24-25 साल के बीच है, उसका टीबी का इलाज चल रहा है, तो क्या कोर्स पूरा होने के बाद वो आगे चलकर शादी करने के बारे में सोच सकता है, इससे उसकी होने वाली पत्नी पर तो कोई असर नहीं होगा या आगे चलकर पैदा होने वाले बच्चे पर?

जवाब- वो बिलकुल सामान्य जिंदगी जी सकता है। उसकी पत्नी या बच्चे को किसी तरह की समस्या नहीं आएगी। 

27. उदाहरण के तौर पर, एक टीबी का मरीज है, जिसमें नेगिटिविटी बहुत भर गई है। उसे लगता है कि ये बीमारी अभी ठीक हो भी गई, तो दोबारा हो सकती है, तो ऐसे लोगों को आप क्या कहना चाहेंगे? 

जवाब- शरीर में कमजोरी की वजह से टीबी दोबारा हो सकता है। लेकिन नेगिटिविटी की वजह से उनके मस्तिष्ट पर प्रभाव पड़ता है। टीबी दोबारा होने का खतरा तब होता है, जब व्यक्ति का शरीर कमजोर हो और वह टीबी के मरीज के संपर्क में आए। 

28. हमें अपनी तरफ से किसी को ठीक करने के लिए क्या कोशिश करनी चाहिए?

जवाब- मरीज को भरोसा दिलाएं, उसके साथ अच्छा व्यवहार करें। उसे जितनी जल्दी हो सके, जब तक डॉक्टर सलाह देते हैं, नॉर्मल रूटीन में डाल दें। इससे उसका दिमाग दूसरी तरफ काम में लगेगा। कभी भी काम छोड़कर नहीं बैठना चाहिए। क्योंकि उससे लोग सोच में पड़ जाते हैं। 

29. कैसे पता चलता है कि दवा काम नहीं कर रहीं, अगर काम नहीं कर रहीं, तो आगे क्या?

जवाब- इलाज के दौरान अगर बीमारी कम नहीं हो रही या बीमारी बढ़ गई है, ये जांच करने से पता चलेगा। इसके इलाज के तौर पर दवाओं में बदलाव किया जाता है। पूरा सेट बदला जाता है। दवा काम न करने के पीछे के कारण होते हैं, इलाज का लगातार न चलना। जो लोग रेगुलर इलाज नहीं लेते, उनकी दवा काम करना बंद कर देती है।

एक अन्य कारण हो सकता है, रेसिस्टेंट वाला टीबी हो जाना। अगर कोई रेसिस्टेंट वाले टीबी का मरीज है, तो वो दूसरे को भी रेसिस्टेंट वाला टीबी ही देगा। उसमें मरीज की गलती नहीं है। ये बात भी जांच से ही शुरुआत में पता चल जाती है। 

30. दवा लेना अगर एक दिन भूल जाएं तो क्या हो सकता है? 

जवाब- इससे दिक्कत होती है क्योंकि बैक्टीरिया बढ़ जाते हैं। और वो पता नहीं चल सकता कि कितने बढ़े हैं। फिर अनुमान लगाया जाता है। इसलिए यही सलाह दी जाती है कि दवा को मिस मत करो। ऐसा एक बार में भी हो सकता है। 

31.  मान लीजिए, कोई कोर्स के बीच एक दिन दवा लेना भूल गया, अगले दिन से उसने समय पर दवा ली, लेकिन बीच में फिर ऐसा ही हुआ वो फिर से दवा लेना भूल गया, तो इसका क्या असर पड़ेगा?

जवाब- यही रेसिस्टेंट बनाता है। फिर वो ठीक होने में दिक्कत होती है। इसका इलाज लंबा चलता है। बाकी डॉक्टर बीच-बीच में अपने हिसाब से दवा बदलते हैं। तो डॉक्टर को दिखाकर ही लंबे वक्त तक इलाज चलता है। ताकि वो बीच-बीच में जांच करते रहें कि बीमारी कितनी कम हो रही है। ताकि जरूरत पड़ने पर दवा में बदलाव किया जाए। कभी मरीज को अपनी मर्जी से दवा नहीं लेनी है। कि वो एक बार डॉक्टर के पास आया और फिर वही दवाई लंबे समय तक खा रहा है, ये गलत है। 

इसके साथ ही रेसिस्टेंट वाले मरीजों को सामान्य डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहिए। उन्हें उन्हीं डॉक्टरों के पास जाना चाहिए, जो रेसिस्टेंट टीबी के मामले देखते हैं। सामान्य टीबी के मामले में सामान्य डॉक्टर के पास जाकर दिखाने में कोई हर्ज नहीं है, वह सही है। लेकिन रेसिस्टेंट वाले टीबी को उसी डॉक्टर को दिखाना चाहिए, तो इस तरह के मामले देखते हैं।

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