Friday, November 22, 2024
Advertisement
  1. Hindi News
  2. हेल्थ
  3. थायराइड की वजह से बढ़ जाता है मोटापा और तनाव, प्याज और हरी धनिया का ये घरेलू उपाय है कारगर

थायराइड की वजह से बढ़ जाता है मोटापा और तनाव, प्याज और हरी धनिया का ये घरेलू उपाय है कारगर

आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने वाले हैं जिसकी मदद से आप घर पर थायराइड कंट्रोल कर सकते हैं।

Edited by: Jyoti Jaiswal @TheJyotiJaiswal
Updated on: June 13, 2022 16:03 IST
घर पर भी कंट्रोल हो सकता है थायराइड- India TV Hindi
Image Source : INDIA TV थायराइड कंट्रोल करने के घरेलू नुस्खे

Highlights

  • थायराइड दो प्रकार की होती है- पहली हाइपोथायराडिज़्म एवं दूसरी हायपरथायराडिज़्म।
  • थायराइड की समस्या पुरूषों की तुलना में महिलाओं को कई गुना अधिक हैं।
  •  भारत में चार करोड़ से अधिक थायराइड के मरीज हैं।

थायराइड की समस्या उनमें से एक है जो मेटाबालिज्म से जुड़ी बीमारी है और महिलाओं में अधिक होती है। इसमें थायराइड हार्मोन का स्राव असंतुलित हो जाता है जिससे शरीर की समस्त भीतरी कार्यप्रणालियां अव्यवस्थित हो जाती हैं। भारत में चार करोड़ से अधिक थायराइड के मरीज हैं। इसकी कई वजहें हैं कि क्यों आजकल यह रोग आम होता जा रहा है। सबसे प्रमुख वजह में है- प्रदूषण, कीटनाशक दवाओं का सब्जियों और फसलों में बेइंतहा प्रयोग, दवाओं के साइड इफ़ेक्ट, बेवजह आयोडीन युक्त नमक का प्रयोग, तनाव एवं अनियमित जीवनशैली, जंक फूड का अत्यधिक सेवन। अधिकांश को थायराइड की समस्या किसी अन्य बीमारी के समय होने वाली जांच से पता चलती है।

थायराइड की समस्या पुरूषों की तुलना में महिलाओं को कई गुना अधिक हैं। स्थिति यह है कि हर दस थायराइड मरीजों में से आठ महिलाएं ही होती हैं। थाइराइड से पीड़ित महिलाओं को मोटापा, तनाव, अवसाद, बांझपन, कोलेस्ट्राल, आस्टियोपोरोसिस आदि परेशानियां हो सकती हैं। जाने माने आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ अबरार मुल्तानी से समझते हैं थायराइड क्या है और किन घरेलू उपायों से आप थायराइड घर पर कंट्रोल कर सकते हैं।

थायराइड क्या है?

थायराइड शरीर का एक प्रमुख एंडोक्राइन ग्लैंड है जो तितली या कांचनार के पत्ती के आकार की होती है एवं गले में स्थित है। इसमें से थायराइड हार्मोन का स्राव होता है जो हमारे मेटाबालिज्म (चयापचय) की दर को संतुलित करते हैं। थायराइड हार्मोन के असंतुलन अर्थात कम या ज्यादा स्राव होने से अनेक शारीरिक परेशानियां होती हैं।

यह थायराइड की समस्या भी दो प्रकार की होती है, पहली हाइपोथायराडिज़्म एवं दूसरी हायपरथायराडिज़्म। 

हाइपोथायराडिज़्म थायराइड के लक्षण

  1. हाइपोथायराडिज़्म में थायराइड ग्लैंड कम सक्रिय होती जिससे शरीर में आवश्यकता के अनुसार टी.थ्री व टी. फोर हार्मोन नहीं पहुंच पाता है। 
  2. इस बीमारी की स्थिति में वजन में अचानक वृद्घि हो जाती है जबकि भूख कम लगती है। 
  3. रोजाना की गतिविधियों में रूचि कम हो जाती है। ठंड बहुत महसूस होती है। 
  4. कब्ज होने लगता है। 
  5. आंखें सूज जाती हैं। 
  6. नींद अधिक आती है। 
  7. मासिक चक्र अनियमित हो जाता है। 
  8. त्वचा सूखी व बाल बेजान होकर झड़ने लगते हैं। 
  9. सुस्ती महसूस होती है। पैरों में सूजन व ऐंठन की शिकायत होती है। 
  10. इनकी कार्यक्षमता कम हो जाती है।
  11. रोगी तनाव व अवसाद से घिर जाते हैं और बात-बात में भावुक हो जाते हैं।
  12. जोड़ों में दर्द होता है।  
  13. मांसपेशियों में हल्का दर्द होता है। 
  14. चेहरा सूज जाता है। 
  15. आवाज रूखी व भारी हो जाती है।

हायपरथायराडिज़्म के लक्षण

  1. हायपरथायराडिज़्म में थायराइड ग्लैंड बहुत ज्यादा सक्रिय हो जाती है और टी. थ्री, टी. फोर हार्मोन अधिक मात्रा में निकलकर रक्त में पहुंचता है।
  2. इस स्थिति में वजन अचानक कम हो जाता है। 
  3. अत्यधिक पसीना आता है। 
  4. ये रोगी गर्मी सहन नहीं कर पाते। 
  5. इनकी भूख में वृद्घि होती है। 
  6. मांसपेशियां कमजोर हो जाती है। 
  7. निराशा हावी हो जाती है। 
  8. हाथ कांपते हैं और आंखें उनींदी रहती हैं। 
  9. आंखें बाहर आ जाएंगी, ऐसा लगता है। धड़कन बढ़ जाती है। 
  10. नींद नहीं आती या कम आती है। 
  11. दस्त होते हैं। 
  12. मासिक रक्तस्राव ज्यादा एवं अनियमित हो जाता है। 
  13. गर्भपात के मामले सामने आते हैं।

थायराइड के दोनों प्रकार में रक्त की जांच जाती है। रक्त में टी थ्री, टी फोर एवं टी एस एच लेवल में सक्रिय हार्मोन्स का लेवल जांच किया जाता है।

आयुर्वेद चिकित्सक की देखरेख में निम्न घरेलू इलाज करें

  1. प्याज़ का रस निकालकर उसकी मालिश थायराइड पर करें।
  2. हरे धनिये का रस निकालकर पिएं।
  3. कांचनार की पत्तियों का चूर्ण आधा चम्मच सुबह शाम लें।
  4. 3 से 4 कालीमिर्च को रोज़ाना साबुत निगल लें।

परहेज़

  1. हाइपोथायराडिज़्म के रोगी आयोडीन की अधिकता वाले खाद्य पदार्थ से बचे
  2. रेड मीट न लें।
  3. अल्कोहल एवं जंक फूड से बचें।
  4. वनस्पति घी या डालडा घी न लें।
  5. फूल गोभी एवं पत्ता गोभी न लें।

जलीय वनस्पति में पाए जाने वाले क्लोरोफिल, फाइटोबिलीप्रोटीन और जेंथोफिल्स मेटाबोलिज्म को ठीक रखने में काफी हद तक मददगार होते हैं। इन वनस्पति में मौजूद माइक्रोन्यूट्रिएंट्स जैसे नाइट्रेट, फास्फेट व सेलीसिलिक एसिड भी उपापचय की प्रक्रिया को दुरुस्त रखते हैं।

(ये जानकारी आयुर्वेदिक नुस्खों के आधार पर लिखी गई हैं, कृपया कोई भी उपाय अपनाने से पहले डॉक्टर से संपर्क करें)

किडनी से जुड़ी बीमारियों को दूर करता है गिलोय का काढ़ा, जानिए कैसे बनाएं?

White Bread VS Brown Bread: सफेद ब्रेड और ब्राउन ब्रेड में कौन सी है ज्यादा हेल्दी? जानिए फायदे और नुकसान

Uric Acid: बढ़े हुए यूरिक एसिड को कंट्रोल करने में असरदार है प्याज, इस तरह करें इस्तेमाल

Latest Health News

India TV पर हिंदी में ब्रेकिंग न्यूज़ Hindi News देश-विदेश की ताजा खबर, लाइव न्यूज अपडेट और स्‍पेशल स्‍टोरी पढ़ें और अपने आप को रखें अप-टू-डेट। News in Hindi के लिए क्लिक करें हेल्थ सेक्‍शन

Advertisement
Advertisement
Advertisement