सर्वाइकल कैंसर महिलाओं में मौत का एक आम कारण है। 15 से 44 वर्ष की आयु में भारतीय महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का दूसरा सबसे आम कारण सर्वाइकल कैंसर के रूप में सामने आया है। यह स्थिति और भी खराब इसलिए हो जाती है कि देश में मात्र 3.1 प्रतिशत महिलाओं की जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साये में ही जीती हैं। सर्वाइकल कैंसर सर्विक्स की लाइनिंग, यानी यूटरस के निचले हिस्से को प्रभावित करता है। सर्वाइकल कैंसर ज्यादातर मानव पैपीलोमा वायरस या एचपीवी के कारण होता है। एचपीवी के खिलाफ स्क्रीनिंग और टीकों की कमी के कारण महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर मौत की एक बड़ी वजह है। जनवरी महीने में सर्वाइकल कैंसर मंथ अवेयरनेस का जागरूकता अभियान चलाया जाता है ताकि लोग इस बीमारी के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा जानें। ऐसे में स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ नैन्सी नागपाल बता रही है सर्वाइकल कैंसर के लक्षण, कारण और बचाव के उपाय
सर्वाइकल कैंसर के कारण:
सर्वाइकल कैंसर का सबसे आम कारण एचपीवी में लंबे समय से चला आ रहा संक्रमण है। एचपीवी संक्रमण आम है और सभी एचपीवी संक्रमण से कैंसर नहीं होता है। एचपीवी कई प्रकार के होते हैं। अन्य एचपीवी प्रकार आमतौर पर जननांगों या त्वचा पर मस्से का कारण बनते हैं।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
- योनि से खून बहना बंद और चालू,
- दुर्गंधयुक्त योनि स्राव,
- संभोग के बाद रक्तस्राव,
- संभोग के दौरान दर्द,
- पेट के निचले हिस्से में दर्द होना,
- मीनोपॉज के बाद भी योनि से रक्तस्राव,
- असामान्य योनि से रक्तस्राव,
- थकान, भूख में कमी, वजन कम होना, पेल्विक में दर्द होना जैसी लक्षण शामिल हैं।
कब होता है सर्वाइकल कैंसर का खतरा?
18 साल की उम्र से पहले सेक्स करना। कई यौन साथी होना। एचआईवी संक्रमण। कमजोर प्रतिरक्षा। धूम्रपान
सर्वाइकल कैंसर टीकाकरण:
एचपीवी वैक्सीन 9 से 45 साल की उम्र के लिए स्वीकृत है। यौन गतिविधि की शुरुआत से पहले टीका लगवाना सबसे अच्छा है। यदि सर्वाइकल कैंसर का पता चलता है तो उपचार कैंसर के प्रकार, अवस्था और उसके प्रसार पर निर्भर करता है। इसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी शामिल हैं।
सर्वाइकल कैंसर की रोकथाम:
पैप स्मीयर परीक्षण और एचपीवी स्क्रीनिंग के साथ सर्वाइकल स्क्रीनिंग। समय पर एचपीवी टीकाकरण। धूम्रपान से परहेज और उचित जीवन शैली और अच्छे यौन स्वास्थ्य को बनाए रखना।