नई दिल्ली: कैंसर एक ऐसा नाम है जिसे सुनते ही लोगों को तनाव होने लगता है। हाल ही WHO की रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि लिवर कैंसर ऐसी बीमारी है जिससे हर साल पूरी दुनिया में 7.88 करोड़ लोगों की जान चली जाती है। ऐसे में इस बीमारी को बढ़ने से रोकने और इसे ठीक करने के लिए आइआइटी बीएचयू, बीएचयू, रूस और रोमानिया के वैज्ञानिकों ने एक उपलब्धि पाई है। क्योंकि इस वैज्ञानिकों की टीम ने एक रिसर्च की है जिसमें पाया गया है कि रातरानी (सिस्ट्रम नाकनर्टनम) के पत्ते का काढ़ा इस बीमारी को ना सिर्फ बढ़ने से रोकता बल्कि पूरे से ठीक भी कर सकने में सक्षम है।
लैब में तैयार हुआ पौधा
इस वैज्ञानिकों की टीम ने लैब में 5 जीन के बारे में पता लगाया है, जो कैंसर सेल्स के बढ़ने की वजह हैं। इन पांचों जीन पर रातरानी के काढ़े का प्रभाव देखा गया है। जिससे यह पता लगा है कि रातरानी से ये 5 कोशिकांए निष्क्रिय हो रही हैं। इस प्रयोग में जिस रातरानी के पत्ते के काढ़े का इस्तेमाल किया गया वह टिश्यू कल्चर से तैयार किया गया था। यह बीएचयू के आयुर्वेदिक विभाग के हर्बल गार्डन में तैयार किया गया था। इस रिसर्च को अमेरिका के एक साइंटिफिक जर्नल में प्रकाशित किया गया था।
रातरानी के पत्तों के 33 तत्वों पर बड़ा खुलासा
इस रिसर्च टीम में शामिल बीएचयू के प्रदीप कुमार और अमित कुमार सिंह ने जानकारी दी है कि रिसर्च किया जाने वाला रातरानी का पौधा उनके वनस्पति विभाग में कल्चर विधि से विकसित किया गया था। इसके पत्तों का काढ़ा बनाकर इसमें पाए जाने वाले 33 तत्वों को खोजकर यह प्रयोग आगे बढ़ाया गया। खोज में यह पता लगा है कि कैंसर की कोशिकाओं पर इन तत्त्वों का असर हो रहा है। आपको बता दें कि इन दोनों के साथ इस रिसर्च में एकडमी ऑफ बायोलॉजी एंड बायोटेक्नोलॉजी, साउथर्न फेडरल यूनिवर्सिटी रूस और फैकल्टी ऑफ मेडिसिन एंड फॉर्मेसी यूनिर्वसिटी ऑफ रोमानिया से विष्णु डी राजपूत, तातिना मिकिना, सिमोना कावालू व ओविडियू पाप शामिल हैं।
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1800 कारक हैं लिवर कैंसर के लिए जिम्मेदार
आपाके जानकार हैरानी होगी कि इस रिसर्च में यह बात भी सामने आई है कि लिवर कैंसर के लिए तकरीबन 1800 कारक जिम्मेदार हैं। इसमें से 5 सबसे बड़े कारक हैं टीपी 53, एकेटी 1, ईएसआरआई, सीएएसपी 3 और जेनएन। इस पांच कारकों को कंट्रोल करने वाला तत्व है एपीजेनिन जो इस पत्ते में मौजूद है।
अब हम यह उम्मीद कर सकते हैं कि जल्द ही इस रिसर्च के कुछ सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे और जल्द ही लिवर कैंसर के मरीजों को आयुर्वेदिक दवाएं मिलेंगी।