दुनियाभर में ट्यूबरक्लोसिस (Tuberculosis) यानी टीबी से हर साल लाखों लोग अपनी जान गंवा देते हैं। इस खतरनाक बीमारी का इलाज संभव है लेकिन अक्सर लोगों को लंबे समय तक ये पता ही नहीं चल पाता है कि वह टीबी से पीड़ित हैं, जिसके कारण समस्या गंभीर हो जाती है। टीबी माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरक्लोसिस से फैलती है, जो कि हमारे फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। फेफड़ों से शुरू हुई ये बीमारी धीरे धीरे शरीर के बाकी हिस्सों में भी फैलने लगती है। आइए जानते हैं टीबी रोग की पहचान कैसे होती है और इसका आयुर्वेदिक इलाज।
टीबी के मरीज की पहचान कैसे करें? (What is the best way to detect TB)
- टीबी के मरीजों की खांसी 3 हफ्ते से ज्यादा समय तक रहती है और खांसी के साथ खून भी आ सकता है।
- टीबी के मरीजों को दिनभर थकान महसूस होती है, जिसके कारण वह सुस्त रहते हैं।
- टीबी की बीमारी होने पर भूख कम लगती है, जिस वजह से वजन कम होने लगता है।
- टीबी के मरीजों को ठंड ज्यादा लगती है और अक्सर बुखार आता है।
टीबी का इलाज (TB treatment)
कई आयुर्वेदिक जड़ी बूटियां (Ayurvedic Treatment for TB ) हैं, जिनके इस्तेमाल से टीबी की बीमारी से राहत मिल सकती है। इनमें गिलोय, अश्वगंधा, शतावर, दशमूल, बलामूल, अडूसा, पोहकरमूल तथा अतीस का नाम शामिल है, इन सभी को मिलाकर बनाए गए काढ़े से इम्यूनिटी बूस्ट होती है। इस काढ़े को बनाने के लिए सभी को बराबर मात्रा में लेकर काढ़ा बनाएं और रोजाना सुबह और शाम के समय 20 से 30 ML पिएं। इस काढ़े को पीने से टीबी रोग दूर होता है और शरीर बीमारियों से बचा रहता है।
(ये आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए है, किसी भी उपाय को अपनाने से पहले डॉक्टर से परामर्श अवश्य लें)
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