कोरोना वायरस के बदले स्ट्रेन का खतरा काफी बढ़ गया है। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ-साथ लोगों को मास्क पहनना बेहत आवश्यक हो गया है। मगर कोरोना के इस बदले रूप से एक मास्क से काम चलना थोड़ा मुश्किल है, इसलिए मास्क के कई लेयर्स का होना जरूरी है। इंडिया टीवी के स्वास्थ्य संवेलन में डॉक्टर्स का मानना है कि कोरोना के खिलाफ इस जंग में मास्क के डबल लेयर का होना जरूरी है।
न्यू यॉर्क से जुड़े डॉक्टर धीरज कौल ने कहा कि कोरोना से बचने का नंबर 1 फॉर्म्यूला है बचाव। बचाव का तरीका है कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना और डबल मास्किंग का ध्यान रखना।
डॉक्टर धीरज कौल ने कहा कि कहा डबल मास्किंग अब इसलिए जरूरी है क्योंकि अब रेयर स्ट्रेन भारत में बहुत बढ़ चुका हैं। ये स्ट्रेन बहुत तेजी से फैल रहा है। हवा में वायरस तैर सकता हैं। भारत में वैक्सीनेशन का रेट बड़ा इशू है। वैक्सीनेशन आपको मृत्यु और बड़ी बीमारी से बचाएगा। उन्होंने कहा कि टेस्टिंग एक जरूरी चीज है, जिससे कोविड से लड़ा जा सकता है। वायरस क्लस्टर के अंदर फैल रहा है, नया स्ट्रेन पूरे परिवार को बीमार कर रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों को लक्षण होने पर RT-PCR टेस्ट जरूर करना जरूर करना चाहिए। निगेटिव आने पर 24 से 48 घंटे बाद टेस्ट को रिपिट करिए।
कार्यक्रम में शंघाई से शिरकत कर रहे डॉ. संजीव चौबे ने बताया कि यूरोपीय देशों में भी कोरोना की तीसरी लहर चल रही है। लैंसेट की नई स्टडी के मुताबिक, ये वायरस हवा में है। कुछ लोगों का मानना है कि ड्रॉपलेट हैं लेकिन अगर ये हवा में है ये बहुत घातक है। ये बड़ी समस्या है। भारत के हालातों पर उन्होंने कहा कि दिसंबर के बाद मामले कम होने पर हम लोग रिलैक्स हो गए लेकिन दोबारा ये फिर से अपना वैरिएंट चेंज करके आ रहा है। लोगों की भीड़ वाले किसी भी कार्यक्रम को बंद करना चाहिए। जो भी आदमी भीड़ में गया है उसका चेकअप किया जाना चाहिए।
आइए जानते हैं क्यों जरूरी हो जाता है मास्क लगाना
‘हवा में कई दिनों तक रह सकते हैं अतिसूक्ष्म कण’
अमेरिका के जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के वैज्ञानिकों समेत विशेषज्ञों ने कहा कि मास्क बनाने में इस्तेमाल सामग्री, इसकी कसावट और इसमें इस्तेमाल की गयी परतें नोवेल कोरोना वायरस के संक्रमण के प्रसार को प्रभावित कर सकती हैं। एयरोसोल साइंस एंड टेक्नोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन में विभिन्न किस्म के पदार्थों से अत्यंत छोटे कणों के निकलने के प्रभाव के बारे में अध्ययन किया गया। अध्ययनकर्ता नगा ली ने कहा, ‘एक अतिसूक्ष्म कण हवा में घंटों तक और दिनों तक रह सकता है और यह हवा के आने-जाने के मार्ग पर निर्भर करता है, इसलिए यदि किसी कमरे में हवा निकासी की उचित व्यवस्था नहीं है तो ये छोटे कण बहुत लंबे समय तक रह सकते हैं।’
दुनिया के कई देशों में तेजी से फैल रहा है कोरोना
वैज्ञानिकों ने अपने अनुसंधान में 33 विभिन्न व्यावसायिक रूप से उपलब्ध पदार्थों का परीक्षण किया जिनमें सूती और पॉलिस्टर जैसे एक परत वाले बुने हुए कपड़े शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘हमें पता चला कि एक ही तरह के पदार्थ में से भी तत्वों के निकलने के विविध परिणाम सामने आए।’ बता दें कि दुनिया के कई देशों में कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों में तेज बढ़ोत्तरी हो रही है। इन देशों में भारत भी शामिल है जहां अब एक दिन में 80 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं। ऐसे में बढ़िया क्वॉलिटी का मास्क पहनना और लोगों से उचित दूरी बनाए रखना ही संक्रमण को ज्यादा फैलने से रोकने के असरदार तरीके हैं।