एक 5-6 फीट के इंसान और एक पैदा हुए बच्चे के साइज़ में ज़मीन-आसमान का फर्क होता है। बच्चा जैसे जैसे बड़ा होता है। वैसे वैसे उसका शरीर ग्रो करता है। हाथ-पैर, सिर, कान, नाक और सबका आकार बढ़ता है। लेकिन, कुदरत का करिश्मा देखिए बाकी अंगों की तरह हड्डियों का साइज़ तो बढ़ता है। लेकिन उनकी गिनती कम होती जाती है जैसे बच्चा 300 हड्डियों के साथ जन्म लेता है जो बाद में घटकर 206 रह जाती हैं।
गिनती चाहे जो हो, लेकिन सच तो यही है कि बच्चे हों या बड़े हेल्दी बॉडी के लिए इन हड्डियों का स्ट्रॉन्ग होना बेहद ज़रूरी है क्योंकि बोन स्ट्रक्चर ना सिर्फ बॉडी को शेप देता हैं। बल्कि शरीर के अंगों की सुरक्षा भी करता है। लेकिन लोगों के खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान ने बोन्स की हेल्थ को बर्बाद करके रख दिया है पर अफसोस उनका इस तरफ ध्यान तक नहीं जाता।
फिर हड्डियों के तमाम रोग लगा बैठते हैं, जिनमें सबसे खतरनाक है ऑस्टियोपोरोसिस इस बीमारी में हड्डियां इस कदर अंदर से खोखली हो जाती है कि ज़रा से झटके से टूट जातीं है और तो और कई बार तो खांसने-छीकने पर भी फ्रेक्चर हो जाता हैं।
दरअसल, बोन्स लगातार रीमॉडलिंग के प्रोसेस में रहती हैं पुराने सेल्स डेड होते हौ और नए सेल्स बनते हैं। लेकिन, ओस्टियोपोरोसिस में खून की सप्लाई की कमी से ये प्रोसेस डिस्टर्ब हो जाता है जिससे हड्डियां हल्की और कमज़ोर हो जाती हैं। शुरुआती दिनों में ऑस्टियोपोरोसिस के लक्षण दिखाई नहीं देते पता तब चलता है जब कूल्हे, रीढ़ की हड्डी या कलाई में फ्रेक्चर होने लगता है। इसके अलावा कुछ सिंपटम्स हम आपको स्क्रीन पर दिखा रहे हैंजो ऑस्टियोपोरोसिस का अलर्ट देते हैं।
देश में एक करोड़ से ज़्यादा लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं। उनमें भी पुरुषों के मुकाबले महिलाओं पर बोन डेथ का खतरा ज़्यादा है। बोन डेथ मैने इसलिए कहा क्योंकि ओस्टियोपोरोसिस के लास्ट स्टेज में हड्डियां गलने तक लगती हैं। ये खतरनाक स्टेज ना ही आए पुरुष-महिलाएं दोनों की हड्डियां फौलाद सी मज़बूत रहे। उसके लिए चलिए योगगुरू से जानते हैं योगिक-आयुर्वेदिक उपाय
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