आज के वक्त में पढ़ाई का मतलब सिर्फ और सिर्फ नंबरों की रेस बनकर रह गया है। इस रेस में जो पिछड़ने लगते हैं वो ज़िंदगी से हार मान लेते हैं और खुद की जान ले लेते हैं। राजस्थान के कोटा में एक के बाद एक छात्र सुसाइड कर रहे हैं। अगस्त के महीने में अब तक 6 तो इस साल 23 बच्चे खुदकुशी कर चुके हैं। 27 अगस्त को 5 घंटे के अंदर 2 छात्रों ने आत्महत्या कर ली थी। एक ने पंखे से लटककर फांसी लगाई तो दूसरा 6ठी मंज़िल से कूद गया।
दरअसल, बचपन से हम सबको एक ही चीज रटाई जाती है कि खानदान का नाम रोशन करना इसके लिए न जाने किस-किस की मिसाल दी जाती है। जिससे कामयाब होने की घुट्टी हमारी रगों में दौड़ने लगती है। फिर शुरू होती है नंबरों की दौड़ जो बच्चों पर इस कदर प्रेशर बढ़ाती है कि उसे हैंडल कर पाना मुश्किल हो जाता है। पेरेंट्स की काफी जद्दोजहद से अच्छे स्कूल-कॉलेज में एडमिशन लाखों की कोचिंग फीस बच्चों के पास सिर्फ एक ही ऑप्शन बचता है सक्सेसफुल बनना।
वो जी जान से औरों से आगे निकलने की होड़ में जुट जाते हैं। पढ़ाई और उम्मीदों के इसी बोझ तले दबकर कुछ अपनी जान दे देते हैं तो कुछ डिप्रेशन में चले जाते हैं। स्कूल-कॉलेज की ये टेंशन उन्हें 10-12 साल की उम्र में ही हाइपरटेंशन का मरीज़ बना रही है। एक स्टडी के मुताबिक देश में हर 3 या 4 में से एक बच्चा हाई बीपी लिए घूम रहा है।
बचपन में डिप्रेशन, हाइपरटेंशन तो 25 की उम्र आते आते युवा दिल और किडनी की बीमारियों का शिकार हो जाते हैं। तभी तो भारत में 25 से 40 की उम्र में हार्ट अटैक, किडनी फेलियर और ब्रेन हैमरेज जैसे मामले तेज़ी से बढ़ रहे हैं। इसलिए पेरेंट्स हो या कोचिंग सेंटर्स, उन्हें ये समझना होगा कि हर बच्चा टॉपर नहीं बन सकता लेकिन उसी बच्चे में कोई ऐसा टैलेंट होगा जो उसे दूसरो से आगे रखेगा।
भारत में 10 से 12 साल के 35% बच्चे और 13 वर्ष की उम्र के ऊपर के 25% बच्चे हाइपरटेंशन की चपेट में हैं। जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) के मुताबिक भारत में हर 3 या 4 बच्चों में से 1 को हाई ब्लड प्रेशर है। 13 साल से ऊपर के बच्चों में यदि बीपी 130/80 से ऊपर है तो इसे हाइपरटेंशन माना जाता है।
10-12 साल के बच्चे भी हाइपरटेंशन की चपेट में
भारत में 10 से 12 साल के 35% बच्चे और 13 वर्ष की उम्र के ऊपर के 25% बच्चे हाइपरटेंशन की चपेट में हैं। जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) के मुताबिक भारत में हर 3 या 4 बच्चों में से 1 को हाई ब्लड प्रेशर है। 13 साल से ऊपर के बच्चों में यदि बीपी 130/80 से ऊपर है तो इसे हाइपरटेंशन माना जाता है। बचपन में हाइपरटेंशन तो 25 की उम्र में किडनी और दिल की बीमारियां
देश में 25 से 40 वर्ष के बीच के युवाओं को हार्ट अटैक, किडनी की बीमारी और ब्रेन हैमरेज जैसी समस्याएं झेलनी पड़ती हैं। बच्चों पर हर वक्त पढ़ाई का दबाव बनाते रहना ठीक नहीं। उनका खेलना-कूदना भी उतना ही जरूरी है, जितना पढ़ना।
अक्सर उस मानसिक तनाव की ही चर्चा होती है जिससे वे अक्सर जूझते हैं। मगर इस पर कम ही लोग ध्यान देते हैं कि जिन बच्चों पर पढ़ाई और परफॉर्मेंस का प्रेशर होता है, उनकी शारीरिक गतिविधियां भी कम हो जाती हैं। आजकल जो छात्र सातवीं-आठवीं क्लास से ही डॉक्टरी-इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोचिंग क्लास में दाखिला ले रहे हैं, उन पर अच्छा रिजल्ट लाने का इतना दबाव होता है कि वह खेलने-कूदने तक के लिए समय नहीं निकाल पाते। अब सोचने वाली बात यह है कि जिस जनरेशन के लोग अपने बचपन और जवानी में खूब खेले हैं, चले-दौड़े हैं, वह भी 45-50 साल की उम्र में बढ़ते वजन, घुटने के दर्द और सर्वाइकल जैसी बीमारियों से परेशान हो जाते हैं। ऐसे में जो बच्चे बचपन से शारीरिक रूप से एक्टिव नहीं हैं, डॉक्टरों का कहना है कि उनके जल्दी बीमार होने की संभावनाएं अधिक होती हैं।
बढ़ जाएगा आर्थराइटिस और स्पॉन्डलाइटिस का खतरा
सिरदर्द, माइग्रेन और टाइप 2 डायबिटीज की शिकायत आम हो गई है। फिर मोटापा तो सामान्य है ही जिस वजह से बीपी की समस्या भी होती है। कई युवाओं को इसी वजह से स्ट्रोक भी हो जाता है जो पहले कम उम्र में इतना नहीं होता था। देशभर में लाखों छात्र मानसिक तनाव से ग्रस्त हैं। स्कूल के प्रेशर से बच्चे हो सकते हैं डिप्रेशन का शिकार।
'सुसाइड फैक्ट्री' कोटा ?
राजस्थान का कोटा शहर कोचिंग हब के तौर पर पहचान रखता है लेकिन अब इसी शहर में छात्रों की खुदकुशी के मामले बढ़ रहे है। कोटा के कोचिंग सेंटर्स में चल क्या रहा है। कैसे हफ्ते-हफ्ते होने वाले टेस्ट छात्रों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। राजस्थान की गहलोत सरकार ने अगले दो महीनों तक परीक्षाओं पर रोक लगा दी है। लेकिन क्या इतना काफी होगा। ऐसा क्यों है सिर्फ कोटा से ही इतने ज्यादा सुसाइड केस सामने आ रहे हैं। ऐसे हालात ही क्यों बने कि आज कोटा में पढ़ने वाले छात्र तनाव में हैं और पेरेंट्स के दिल में किसी अनहोनी का डर न सभी सवालों के जवाब आप हमारी इस रिपोर्ट में देखिए।
खुद को दूसरों से कंपेयर मत करो
अगर आपको बच्चा पढ़ाई में कमजोर है और खुद को किसी पढ़ाई में तेज बच्चे के कंपेयर कर रहा है, तो उसे कुछ बातें समझाना जरूरी है। उसे बताएं कि खुद को कभी किसी से कंपेयर नहीं करना चाहिए, सिर्फ खुद को बेहद बनाने में ही सारा ध्यान लगाना चाहिए। बच्चे को बताएं कि जब हम खुद को दूसरों के साथ कंपेयर करने में समय व्यर्थ कर रहे होते हैं, उस समय दूसरे मेहनत करके आगे निकल रहे होते है।
स्ट्रेस-टेंशन का बच्चों पर असर
- फिजिकली वीक
- मेंटल हेल्थ डिस्टर्ब
- स्ट्रेस से एनर्जी लेवल डाउन
- जल्दी थक जाते हैं
- पढ़ते-पढ़ते सो जाते हैं
बच्चा बनेगा तेजतर्रार, ब्रेन होगा शार्प
- ब्राह्मी
- शंखपुष्पी
- अश्वगंधा
बच्चों की ब्रेन पावर कैसे बढ़ाएं
5 बादाम, 5 अखरोट पानी में भिगोएं। अच्छे से पीसकर ब्राह्मी मिलाएं शंखपुष्पी,ज्योतिषमति डालकर पीएं।
इन सुपर फूड्स से बच्चे बनेंगे ऊर्जावान
- दूध
- ड्राई फ्रूट
- ओट्स
- बींस
- मसूर की दाल
- शकरकंद
मजबूत इम्यूनिटी
- गिलोय-तुलसी काढ़ा
- हल्दी वाला दूध
- मौसमी फल
- बादाम-अखरोट
फिजिकल ग्रोथ बढ़ेगी
- आंवला-एलोवेरा जूस
- दूध के साथ शतावर
- दूध के साथ खजूर + केला
बच्चे बनेंगे जीनियस
- शार्प मेमोरी
- शानदार कंसंट्रेशन
- तेज दिमाग
- अच्छी ग्रोथ
दूर करें हाइपरटेंशन
- खूब पानी पीएं
- स्ट्रेस, टेंशन कम लें
- खाना समय से खाएं
- जंक फूड ना खाएं
हार्ट के लिए सुपर फूड
- अलसी
- लहसुन
- दालचीनी
- हल्दी
ऐसे बनाएं हड्डियां मजबूत
- गिलोय का काढ़ा
- हरसिंगार फूल का रस
- हल्दी-मेथी-सौंठ पाउडर
- हल्दी दूध