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शरीर में दिखें गांठ तो घबराएं नहीं, इन औषधियों और प्राणायाम के द्वारा पाएं लिपोमा से छुटकारा

स्वामी रामदेव के अनुसार गांठ तक हमारे शरीर में बनती है जब बॉडी मेटाबॉलिज्म कम होता है। जिसके कारण फैट डिपोजिट हो जाता है और यहीं चर्बी शरीर में गांठ बन जाती है। जानें कैसे प्राणायाम और औषधियों द्वारा इस समस्या से निजात पाया जा सकता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated : April 21, 2020 13:05 IST

शरीर में कभी-कभी ये गांठ छोटी तो कभी बड़ी होती है जिसे लोग नजरअंदाज करते हैं। लेकिन आपको बता दें कि यह गांठ आगे चलकर कैंसर आदि जानलेवा बीमारी का कारण बन सकती है। 

स्वामी रामदेव के अनुसार गांठ तक हमारे शरीर में बनती है जब बॉडी मेटाबॉलिज्म कम होता है। जिसके कारण फैट डिपोजिट हो जाता है और यहीं चर्बी शरीर में गांठ बन जाती है। कई बार ये गांठ एक ही जगह पर इकट्ठी हो जाती है या फिर शरीर के विभिन्न भागों में एकत्र हो जाती है। कई बार आगे चलकर ये गांठे कैंसर का कारण बन जाती है। 

कैंसर क्या है?

स्वामी रामदेव के अनुसार  जब आपका शरीर की कोशिकाओं का नियंत्रण हट गया तो वह कही न कही से बढ़ने लगती है जिसे कैंसर कहा जाता है। इस समस्या से हमेशा के लिए निजात पाना चाहते है तो योग करना बहुत ही जरूरी है। 

कैसे होता है गांठ का टेस्ट

स्वामी रामदेव के अनुसार शरीर की बाहर की गांठों को तो आप आसानी से देख सकते हैं लेकिन शरीर के अंदर किडनी, फेफड़े, पेट आदि में पड़ी गांठो के लिए अलग-अलग टेस्ट होते है।  जिसमें एक्स रे, एमआईआर, अल्ट्रासाउंड जैसी तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। 

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शरीर की गांठ के लिए प्राणायाम

स्वामी रामदवे के अनुसार शरीर की अंदर पड़ी गांठों के लिए कोई योगाभ्यास फायदेमंद नहीं होगा। इसके लिए बस आप प्राणायाम करें। 

सूर्य नमस्कार- इस प्राणायाम को करने से  शरीर को ऊर्जा मिलती है। जिससे कैंसर की गांठ को पिघलने में मदद करता है। जिस तरह कैंसर के लिए कीमोथेरेपी दी जाती है वैसे ही सूर्य नमस्कार एक नैचुरल थेरेपी है। इसे करके आसानी से गांठों से निजात पाया जाता सकता है।  

कपालभाति- इस प्राणायाम को 10 से 15 मिनट से शुरू करके आधा घंटा करें। इससे 1 माह के अंदर गांठ खत्म हो जाती है। 

अनुलोम-विलोम- कपालभाति से आधा समय अनुलोम-विलोम करने से शरीर में एनर्जी का फ्लो बढ़ता है। जिससे गांठ को पिघलने में मदद मिलती है।  

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लिपोमा का औषधियों के द्वारा इलाज

  • रोजाना खाली पेट ताजी हल्दी खाएं।
  • खाली पेट 2 ग्राम  हल्दी का पाउडर लें। इससे गांठ घुलने शुरू हो जाती है। 
  • कचनार की पेड़ की छाल किसी भी प्रकार की गांठ के लिए लाभदायक है। इसके लिए 10-20 ग्राम छाल को 400 ग्राम पानी में पका लें। जब पानी 100 से 50 ग्राम रह जाए तो उसे छानकर पी लें।
  • अगर शरीर में बहुत अधिक गांठे है तो शिला सिंदूर 4 ग्राम, प्रभाल पिष्टी 10 ग्राम  के साथ मोती और गिलोय मिलाकर सात पूड़िया बना लें। इसे सुबह-शाम खिलाएं। इससे 99 प्रतिशत तक गांठ से निजात मिल जाता है। एक से 3 माह में लाभ मिल जाता है।  

जिसको बार-बार गांठ हो जाती है वो करें ये काम

कई लोगों की समस्या होती है कि लिपोमा ऑपरेशन के बाद दोबारा हो जाती है। इसी क्रम को खत्म करने के लिए हमें अपनी एनर्जी को जगाना होगा। इसके लिए रोजाना कपालभाति, अनुलोम- विलोम करें।

गर्दन में पीठ की तरफ गांठ

कई लोगों को गर्दन में पीठ की तरफ गांठे हो जाती है। जिनमें दर्द नहीं होता है लेकिन इसके कारण गर्दन, सिरदर्द की समस्या है। ऐसे में स्वामी रामदेव का कहना है कि जब  गर्दन में गांठ हो जाती है तो दिमाग के अंदर एनर्जी का फ्लो रूकेगा। जिसके कारण दिमाग में परेशानी होगी। 

  • सुबह-शाम 2 ग्राम हल्दी का पाउडर लें। इसके अलावा कचनार लें।
  • कपालभाति और अनुलोम विलोम आधा-आधा घंटे सुबह-शाम करें। 

बच्चें की गर्दन में गांठ

कई बच्चों की गर्दन में दोनों तरफ गांठ हो जाती है। जो छुने में दर्द नहीं होती हैं। यह कफ के कारण भी हो सकते हैं।  इसके लिए बच्चों को घी देना बंद कर दें। इसके साथ ही लौ फैट दूध के साथ हल्दी डालकर दें। इससे 1 माह में लाभ मिल जाएगा।

  • कचनार 10 ग्राम,  बहेड़ा और त्रिकूटा 20-20 ग्राम लेकर 1 ग्राम शहद के साथ चटा दें। 
  • बच्चों को कपालभाति, अनुमोम विलोम के साथ उज्जयी प्राणायाम भी कराएं। 

पेट में छोटी गांठ के लिए उपचार

अगर पेट में छोटी गांठ है तो उन लोगों को तुरंत ही थोड़े दिनों के लिए घी और दूध बंद कर देना चाहिए।

  • नियमित रूप से गौमुख अर्क पिएं।
  • कपालभाति, अनुलोम-विलोम के साथ रोजाना मंडुक आसन 1 मिनट करें।

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