वैसे तो सर्दियों का मौसम सेहत के लिए अच्छा माना जाता है, लेकिन ठंड के मौसम में थोड़ी-सी भी लापरवाही परेशानी में डाल देती है। कई बार तो खराब लाइफस्टाइल और ठंड का कॉम्बिनेशन ही बड़ी बीमारी की वजह बन जाता है।
आप प्रोस्टेट से जुड़ी परेशानियों को ही ले लीजिए, सर्दियों में ये ज्यादा दर्दनाक हो जाता है। प्रोस्टेट ग्लैंड एनलार्ज होकर यूरिन फ्लो को रोकते हैं। इससे यूरिन ट्रैक्ट, ब्लैडर और किडनी में प्रॉब्लम हो जाती है। प्रोस्टेट ग्लैंड का बढ़ना खतरनाक है। प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजेन लेवल बढ़ने से प्रोस्टेट कैंसर होता है। लेकिन परेशानी है तो उससे बचने के कारगर उपाय भी हैं। स्वामी रामदेव ने बताया कि कैसे इस बीमारी से निजात पाई जा सकती है।
कैंसर से बचने से लेकर फेफड़ों को मजबूत बनाने तक, स्वामी रामदेव से जानें असरदार उपाय
प्रोस्टेट क्या है?
- पुरुषों में अखरोट के आकार का ग्लैंड होता है।
- प्रोस्टेट ग्लैंड सेमिनल फ्लूड (Seminal Fluid) बनाता है।
- ये ग्लैंड स्पर्म (Sperm) को पावरफुल बनाता है।
प्रोस्टेट बढ़ने पर क्या होता है?
- यूरिन ब्लॉकेज की समस्या होती है।
- यूरिनरी ट्रेक में दर्द होना।
- यूरिन फ्लो पर असर पड़ना।
- यूरिन पर कंट्रोल नहीं हो पाना।
- बैक प्रेशर की वजह से किडनी प्रॉब्लम।
- यूरिन क्लियर नहीं होने से ब्लैडर इंफेक्शन।
प्रोस्टेट रोगों में लापरवाही होने पर ये परेशानियां होती हैं:
- प्रोस्टेट कैंसर
- किडनी में इन्फेक्शन
प्रोस्टेट रोगों में योगाभ्यास:
- अर्धमत्स्येन्द्रासन
- वक्रासन
- गोमुखासन
- भुजंगासन
- उत्तानपादासान
- योगमुद्रासन
- उत्थित पदमासन
- चक्की आसन
- पश्चिमोत्तानासन
- स्थितकोणासान
मंडूकासन के फायदे: पेट और हार्ट के लिए लाभकारी है। डायबिटीज को दूर भगाता है। पाचन तंत्र सही करने में सहायक है। पैनक्रियाज से इंसुलिन रिलीज करता है। लिवर और किडनी को स्वस्थ रखता है।
योग मुद्रासन के लाभ: प्रोस्टेट रोग दूर करता है। किडनी को स्वस्थ रखता है। छोटी-बड़ी आंते सक्रिय होती हैं। पेट से जुड़े रोगों से मुक्ति मिलती है। पेट की चर्बी खत्म होती है। मोटापा कम करने में मददगार है। रीढ़ की हड्डी लचीली होती है। पाचन तंत्र बेहतर होता है।
वक्रासन के फायदे: कब्ज को रोकने का रामबाण इलाज है। डायबिटीज को रोकने में सहायक है। पेट की कई समस्याओं में राहत मिलती है।
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उत्तानपादासन के लाभ: पेट से जुड़ी बीमारियां ठीक होती हैं। कब्ज को दूर करता है। डायबिटीज कंट्रोल होती है। ये आसन तनाव कम करने में मददगार है।
प्रोस्टेट रोगों में प्राणायाम:
- कपालभाति
- अनुलोम विलोम
- भस्त्रिका
- उद्गीत
- भ्रामरी
- उज्जायी
कपालभाति के फायदे: बंद सांस नली खुल जाती है। शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। सेहत अच्छी बनी रहती है। मजबूत बॉडी के लिए फायदेमंद है।
प्रोस्टेट में औषधि:
- चंद्रप्रभावटी, गौक्षुरादि, गुग्गुलू, पुनर्नवादि मंडूर की 2-2 गोली लें।
- सुबह और शाम दोनों बार लें।
- विषतिन्दुक वटी की 1-1 गोली सुबह-शाम लें।
- कांचनार और गुग्गुलू की गोली- दो-दो गोली सुबह-शाम लें।
- पंच तृणमूल क्वाथ का सेवन करें।
- वृक्कदोषहर क्वाथ का सेवन करें।
आयुर्वेदिक औषधि:
वरुण, पुनर्नवा, मकोय, कांचनार और अर्क गोमूत्र के साथ लेने से फायदा मिलता है।
प्रोस्टेट कैंसर में कारगर:
- गिलोय
- तुलसी
- नीम
- व्हीट ग्रास
गोखरु का काढ़ा:
- 10 ग्राम गोखरु, 10 ग्राम कांचनार की छाल 2 ग्लास पानी में उबाल लें।
- आधा ग्लास पानी रहने पर छान लें।
- काढ़ा ठंडा होने पर सुबह-शाम पिएं।
घरेलू उपाय:
- लौकी का जूस, 7 पत्ते तुलसी और 5 काली मिर्च को मिलाकर पिएं।
- ध्यान रखें कि लौकी कड़वी ना हो।
प्रोस्टेट में खान-पान:
- हफ्ते में एक बार कुलथ की दाल खाएं।
- महीने में एक बार गोखरू का काढ़ा पिएं।
- हर दिन 3-4 लीटर लिक्विड फूड या पानी लें।
- छोटे इंटरवल पर थोड़ा-थोड़ा भोजन करें।
- खाने में ज्यादा वेजिटेबल और प्रोटीन लें।
- मकई के रेशे को पानी में पका कर पिएं।
- हफ्ते में एक बार जौ का दलिया जरूर लें।
पत्थरचट्टा का पौधा:
- पत्थरचट्टा के 10 पत्तों को खाएं।
- रोज सुबह खाली पेट खाएं।
- पत्थरचट्टा किडनी के रोगों में फायदेमंद है।
- प्रोस्टेट के रोगों में भी लाभदायक है।