कोरोना काल से पहले लोग योग और आयुर्वेद के बारे में जानते जरूर थे लेकिन आयुर्वेदिक उपायों का इस्तेमाल कम करते थे। कोरोना काल में योग और आयुर्वेद ब्रह्मास्त्र साबित हुए। गिलोय, अदरक, काली मिर्च और हल्दी के काढ़े ने न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में लोगों की इम्यूनिटी को बूस्ट किया। इससे ये साफ हो गया कि बीमारी कोई भी क्यों न हो आयुर्वेद के पारंपरिक पक्के तरीकों से उसका इलाज हो सकता है। बस जरूरी है कि योग और आयुर्वेद को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करें। आयुर्वेद को औषधियों का खजाना कहा गया है। वैसे तो आयुर्वेद में लगभग 1200 जड़ी बूटियां हैं। हर जड़ी बूटी के अपने फायदे होते हैं लेकिन उसका ज्ञान होनी भी बहुत जरूरी है। आज स्वामी रामदेव से जानिए उन जड़ी बूटियों के बारे में जो आसानी से मिल जाती है और आप उसे अपने घर में लगा सकते हैं।
जड़ी बूटी से भागेगा रोग
- अर्जुन
- आंवला
- हरड़
- बहेड़ा
- धतूरा
- एलोवेरा
- विधारा
- थूहर
- शतावर
- अश्वगंधा
- गिलोय
- नीम
- तुलसी
अश्वगंधा के लाभ
- अश्वगंधा के पाउडर का सेवन जरूरी
- अश्वगंधा ताकत और इम्यूनिटी बढ़ाता है
- आयुर्वेद में अश्वगंधा सबसे प्रभावी
शतावर
- शतावर आयुर्वेदिक रासायनिक औषधि है
- शतावर के सेवन से शरीर ताकतवर होता है
- महिलाओं के लिए शतावर सबसे ज्यादा गुणकारी
- शतावर की जड़ को सुखाकर पाउडर बनाएं
आंवला
- आंवले को आयुर्वेद में रसायन कहा जाता है
- स्किन, फीवर और लूज मोशन में कारगर
- हार्ट के लिए आंवला फायदेमंद
- आंवला खाने से शरीर की इम्यूनिटी बढ़ती है
गिलोय
- गिलोय का दूसरा नाम अमृता है
- अर्थराइटिस और गाउट में कारगर
- खून में प्लेटलेट्स बढ़ाने में कारगर
तुलसी
- तुलसी शरीर में इम्यूनिटी बढ़ाता है
- तुलसी का पौधा हर घर में मिलता है
- सर्दी, खांसी में तुलसी की पत्ती रामबाण
नीम के फायदे
- स्किन प्रॉब्लम में नीम के पत्ते कारगर
- नीम का पेड़ बेहद उपयोगी होता है
- पत्ते के सेवन से खून प्यूरिफाई होता है
सहजन के फायदे
- सहजन पूरे भारत में मिलता है
- सहजन के पत्ते और फलियों का कई रोगों में कारगर
जड़ी बूटियों के सेवन के साथ-साथ ये प्राणायाम भी जरूरी
कपालभाति
- थायराइड की समस्या से निजात दिलाता है।
- सिगरेट की लत से छुड़ाने में मददगार है कपालभाति।
- जिन लोगों को सिगरेट पीने की लत हो जाती है तो उनके फेफड़े ब्लॉक हो जाते हैं। कपालभाति की मदद से फेफड़े की ब्लॉकेज को सही कर सकता है।
- कपालभाति से क्रॉनिक लिवर, क्रॉनिक किडनी और फैटी लिवर की समस्या दूर होती है।
- हैपेटाइटिस की समस्या को भी कपालभाति दूर करने में मददगार है।
अनुलोम विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं। इस प्राणायाम को करने से क्रोनिक डिजीज, तनाव, डिप्रेशन, हार्ट के लिए सबसे बेस्ट माना जाता है। इसके अलावा ये मांसपेशियों की प्रणाली को भी ठीक रखता है। इसे 10 से 15 मिनट करें।
भ्रामरी
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद करते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 5 से 7 बार जरूर करना चाहिए।
उज्जायी
मन शांत रहता है, अस्थमा, टीबी, माइग्रेम, अनिद्रा आदि समस्याओं से दिलाएं निजात।
भ्रामरी
इस आसन को करने से तनाव से मुक्ति के साथ मन शांत रहेगा।
उद्गीथ
इस प्राणायाम को करने से पित्त रोग, धातु रोग, उच्च रक्तताप जैसे रोगो से निजात मिलता है।
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