बुखार आना एक आम बीमारी है। आमतौर पर बुखार मौसम के बदलाव के साथ-साथ इंफेक्शन के कारण होता है। जब हमारी इम्यूनिटी सिस्टम ठीक ढंग से काम नहीं करता हैं तो कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस हमारे शरीर में हावी हो जाते हैं। स्वामी रामदेव के अनुसार बुखार अपने आप में कोई बीमारी नहीं है। जिस तरह आपको कोई बीमारी है तो आपके शरीर में कोई न कोई रिएक्शन जरूर होता है। इसी तरह जब हमारे शरीर में बैक्टीरिया प्रवेश कर जाते हैं तो 'हाइपोथाइमस' पूरे शरीर को सिग्नल देता है कि शरीर का तापमान बढ़ा लें। जिससे डब्लूबीसी (WBC) बढ़ जाते हैं जो बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करते हैं। शरीर के बढ़े तापमान में आप जब कोई दवा का सेवन करते हैं तो उससे सिर्फ शरीर का तापमान कम हो जाता है। बुखार जड़ से नहीं जाता है जो कुछ दिनों बाद फिर से आ जाता है। ऐसे में कुछ योगासन और औषधियां काफी फायदेमंद है।
स्वामी रामदेव का दावा हैं कि उन्हें 40 साल से बुखार नहीं है। इसका पूरा श्रेय वह आयुर्वेद और योग को देते हैं। आप योग और आयुर्वेद के द्वारा हर बीमारी को खुद से कोसों दूर रख सकते हैं। अगर किसी को 102 से 104 डिग्री बुखार है तो वह अनुलोम-विलोम, शीतली, शीतकारी करें इससे तापमान कम हो जाएगा।
बुखार से निजात पाने के लिए प्राणायाम
भस्त्रिका
इस प्राणायाम को 3 तरह से किया जाता है। पहले में 5 सेंकड में सांस ले और 5 सेंकड में सांस छोड़े। दूसरे में ढाई सेंकड सांस लें और ढाई सेंकड में छोड़ें। तीसरा तेजी के साथ सांस लें और छोड़े। इस प्राणायाम को लगातार 5 मिनट करें।
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कपालभाति
इस प्राणायाम को 5 से 10 मिनट करें। हर 5 मिनट के बाद 1 मिनट आराम करें। सामान्य व्यक्ति 3 बार 5-5 मिनट करें।
अनुलोम-विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं।
उज्जायी प्राणायाम
गले से सांस अंदर भरकर जितनी देर रोक सके उतनी देर रोके। इसके बाद दाएं नाक को बंद करके बाएं नाक के छिद्र से छोड़े।
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भ्रामरी प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पहले सुखासन या पद्मासन की अवस्था में बैठ जाएं। अब अंदर गहरी सांस भरते हैं। सांस भरकर पहले अपनी अंगूलियों को ललाट में रखते हैं। जिसमें 3 अंगुलियों से आंखों को बंद करते हैं। अंगूठे से कान को बंद कते हैं। मुंह को बंदकर 'ऊं' का नाद करते हैं। इस प्राणायाम को 3-21 बार करें।
उद्गीथ प्राणायाम
इस प्राणायाम को करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठ जाएं और शांत मन से 'ऊं' के उच्चारण करते हैं।
शीतली प्राणायाम
सबसे पहले आराम से रीढ़ की हड्डी सीधी करके बैठ जाएं। इसके बाद जीभ को बाहर निकालकर सांस लेते रहें। इसके बाद दाएं नाक से हवा को बार निकालें। इस प्राणायाम को 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।
शीतकारी प्राणायाम
इस प्राणायाम में होंठ खुले, दांत बंद करें। दांत के पीछे जीभ लगाकर, दांतो से धीमे से सांस सांस अंदर लें और मुंह बंद करें। थोड़ी देर रोकने के बाद दाएं नाक से हवा बाहर निकाल लें और बाएं से हवा अंदर लें।
नाड़ी शुद्धि प्राणायाम
यह प्राणाायाम भी अनुलोम -विलोम की तरह होता है। लेकिन इसमें सांस को थोड़ी रोककर रख सकते हैं। इसके बाद दाएं नाक से हवा बाहर निकालें और बाएं नाक से हवा अंदर भरें। इससे शरीर के अंदर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन अंदर जाती है।
बुखार से निजात पाने के लिए योगासन
स्वामी रामदेव के अनुसार कई लोगों को लिवर , फेफड़े कमजोर होने के कारण बुखार की समस्या हो जाती हैं। ऐसे में लिवर और फेफड़ों को कमजोर करने के लिए नियमित रूप से करें ये योगासन।
मंडूकासन- इस आसन को करने से लिवर और फेफड़े हेल्दी होते हैं। इसके साथ ही पाचन संबंधी समस्याओं से निजात मिल जाता है।
योग मुद्रासन- इससे लिवर ठीक रहता है शरीर मजबूत होता है। इस आसन को 1 मिनट से 5 मिनट तक कर सकते हैं। इसके साथ ही पैंक्रियांज में इंसुलिन बनने लगता है। मानसिक शक्ति मिलती है। इसके साथ ही रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
वक्रासन- इस आसन को करने से आपको किडनी और लिवर संबंधी हर समस्या से निजात मिलेगा। इसे रोजाना आधा से 1 मिनट करें।
उत्तानपादासन- किडनी- लिवर को करें सक्रिय, गर्दन की मांसपेशियों की खिंचाव करता है। तनाव डिप्रेशन से निजात दिलाता है।
नौकासन- किडनी क्षमता को बढ़ता है। किडनी की समस्या दूर होती है। कमर और पेट को बनाएं सुडौल। इसके साथ ही वजन को कम करने में मददगार साबित होगा।
पवनमुक्तासन- इस आसन को करने से हार्ट हेल्दी रहता है। जिससे दिल संबंधी बीमारियां नहीं होती हैं। इसके अलावा रीड़ की हड्डी को मजबूत रखें, जांघों, पेट और कूल्हों को वसा मुक्त रखें।
बुखार से निजात पाने के लिए औषधियां
- रोजाना गिलोय पीने से इम्यूनिटी बढ़ती है।
- तुलसी 11 पत्ते, अदरक, हल्दी 1-1 इंच, काली मिर्च 3-4, 1 इलायची, 2 लौंग डालकर काढ़ा बनाकर पी लें। इससे तुरंत लाभ मिलेगा। अगर बुखार हैं तो दिन में 2-2 घंटे में इस काढ़ा का सेवन करें।
- ज्वर नाशन क्वाथ का सेवन करें।
- ज्वर नाशक वटी का सेवन करें।
- 2-3 ग्राम खूबकला, 3 अंजीर, 5-7 मुन्नका डालकर काढ़ा बनाएं और इसका सेवन करें। इसके साथ-साथ गिलोय की गोली का सेवन करें। इससे 3 दिन में टाइफाइड सही होगा। इसके साथ ही 7 दिन के अंदर टाइफाइड जड़ से खत्म हो जाएगा।
- आंवला और एलोवेरा जूस का सेवन करें।