सूर्य नमस्कार (Surya Namaskar) अक्षय ऊर्जा का सबसे बड़ा स्त्रोत है। सूर्य नमस्कार अपने आप में एक कंप्लीट एक्सरसाइज है। इस आसन को करने से आप निरोग स्वस्थ्य और तेजस्वी होंगे। नियमित रूप से सूर्य नमस्कार करने आप हर तरह के रोग से कोसों दूर रहेंगे।
स्वामी रामदेव के अनुसार आप 1 मिनट में 4-5 बार कर सकते हैं। इसे आप कुछ ही दिनों में 100-100 बार भी कर सकते हैं। इस आसन को करने से दिमाग शांत होता है। अगर आपने सूर्य नमस्कार 24 बार किया तो करीब 400 कैलोरी बर्न कर लिया है।
सूर्य नमस्कार के 12 आसन
1- प्रणामासन
इस आसन के लिए बिल्कुल सीधे खड़े हो जाए। दोनों हाथों को जोड़कर सीने से सटा लें और लंबी-लंबी सांस लें। इस आसन को करने से मन को शांति के साथ तनाव से मुक्ति मिलती है।
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2- पादहस्तासन
सांस अंदर भरकर हाथों को धीमे-धीमे पीछे लेकर जाएं और थोड़ा झुके। इस बात का ध्यान रखें कि दोनों हाथों की अगुंलिया सटी हुए हुए कान के पास से पीछे जाएं। हाथों को पीचे करते हुए आप भी पीछे की ओर झुक जाएं।
3- हस्त पादासन
हस्तोतानासन की मुद्रा से सीधे हस्त पादासन की मुद्रा में आना होता है। अब सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों। इसके साथ ही सिर से घुटनों को छुने की कोशिश करें।
4- अश्व संचालनासन
हस्त पादासन से सीधे उठते हुए सांस लें और दाएं पैर को आगे लगाते हुए घुटने से मोड़ते हुए छाती के दाहिने हिस्से से सटाएं। हाथों को जमीन पर पूरे पंजों को फैलाकर रखें। इसके साथ ही बांए पैर को पीछे की ओर ले जाएं। ऊपर की ओर देखते हुए गर्दन को पीछे की ओर ले जाएं।
5- पर्वतासन
अश्व संचालनासन के बाद सीधे पर्वतासन करें। इसके लिए दोनों पैरों को पीछे ले जाकर कमर को थोड़ा उठाएं और पंजो पर थोड़ा जोर दें। सिर झुकाकर नाभि को देखें।
6- साष्टांगासन
अब धीरे-धीरे गहरी सांस लेते हुए घुटनों को जमीन से छुआएं और सांस छोड़ें। पूरे शरीर पर ठोड़ी, छाती, हाथ, पैर को जमीन पर छुआएं और अपने कूल्हे के हिस्से को ऊपर की ओर उठाएं। इस बात का ध्यान रखें कि लेटना नहीं है। बस शरीर को जमीन में टच कराना है।
7- भुजंगासन
साष्टांगासन के बाद सीधे भुजंगासन करते हैं। इसमें कोहनी को कमर से सटाते हुए हाथों के पंजे के बल से छाती को ऊपर की ओर उठाएं। गर्दन को ऊपर की ओर उठाते हुए पीछे की ओर ले जाएं। इसमें धीरे-धीरे सांस लेते रहें।
8- अधोमुख सवासन
इस आसन को भुजंगासन के बाद तुरंत करते हैं। इस आसन में सांस छोड़ते हैं। इस आसन के लिए कूल्हे को ऊपर की ओर उठाएं और एड़ियों को जमीन में टिका कर रखें। यानी आपके शरीर का आकार V की तरह होना चाहिए।
9- वामअश्व संचालन
अब भी इस मुद्रा में और इसमें बाएं पैर को आगे रखें और दाएं पैर को आगे करके ऊपर की ओर देखें।
10- पादहस्तासन
अब इस आसन में अब सांस धीरे-धीरे छोड़ते हुए हाथों को ऊपर उठाए हुए ही आगे की ओर झुकने की कोशिश करें। कमर से नीचे की ओर झुकते हुए हाथों को पैरों के बगल में ले आएं। ध्यान रहे कि इस अवस्था में आने पर पैरों के घुटने मुड़े हुए न हों। इसके साथ ही सिर से घुटनों को छुने की कोशिश करें।
11- हस्तउत्तनासन
इस आसन को अर्धचंद्रासन भी कहा जाता है। पाहहस्तासन के बाद सीधे इस आसन को करेंगे। इसमें अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाकर सीधा रखें। अब हाथों को प्रणाम की अवस्था में ही पीछे की ओर ले जाएं और कमर को पीछे की तरफ झुकाएं। इस दौरान आप आधे चांद का आकार बनाएंगी।
12- चतुरंग दंडासन
इस आसन में आप फिर से पहली स्थिति में आ जाएं यानी दोनों हाथों जोड़कर सीधे खड़े हो जाएं।
सूर्य नमस्कार करने से फायदे
स्वामी रामदेव के अनुसार सूर्य नमस्कार करने से आप हर तरह की बीमारियों से कोसों दूर रहेंगे।
- पाचन तंत्र ठीक रहता है। जिसके कारण आप कब्ज, अपच या पेट संबंधी अन्य समस्याएं नहीं होती है।
- शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा को बढ़ा देता है। जिससे शरीर से विषाक्त तत्व आसानी से बाहर निकल जाते हैं।
- दिमाग शांत रखने के साथ तनाव से दिलाएं मुक्ति।
- शरीर को लचीला बनाता है।
- हड्डियों की होने वाली हर समस्या से निजात दिलाता है।
- रीढ़ की हड्डी मजबूत होती हैं।
- वजन को कम करने में मदद करता है।
- हमेशा आपको जवां रखता है।
- हार्ट, फेफड़ों आदि को हेल्दी रखता है।