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किडनी और गॉल ब्लैडर स्टोन के लिए स्वामी रामदेव से जानें रामबाण इलाज

स्वामी रामदेव के अनुसार जब शरीर में कैल्शियम और कोलेस्ट्राल की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो पथरी की समस्या हो जाती हैं। इसे कुछ योग और घरेलू उपायों के द्वारा आसानी से सही किया जा सकता है।

Written by: India TV Lifestyle Desk
Updated on: April 10, 2020 10:40 IST
स्वामी रामदेव- India TV Hindi
स्वामी रामदेव

रोजमर्रा की भागदौड़ और अव्यवस्थि‍त लाइफस्टाइल के चलते बहुत से लोगों किडनी और गाल ब्लैडर में स्टोन की समस्या हो जाती हैं। पथरी में यूं तो कोई परेशानी नहीं होती है लेकिन जब इसका दर्द उठता है तो वो असहनीय हो जाता है। स्वामी रामदेव के अनुसार जब शरीर में कैल्शियम और कोलेस्ट्राल की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो पथरी की समस्या हो जाती हैं। इसे कुछ योग और घरेलू उपायों के द्वारा आसानी से सही किया जा सकता है। 

स्वामी रामदेव के अनुसार पथरी 2 तरह की होती है गॉल ब्लैडर स्टोन और किडनी स्टोन।

गॉल ब्लैडर स्टोन

स्वामी रामदेव के अनुसार यह स्टोन शरीर में अधिक मात्रा में कोलेस्ट्राल होने के कारण होती हैं।  पित्त यानी बायल लिवर में बनता है और इसका भंडारण गॉल ब्लैडर में होता है। यह पित्त फैट युक्त भोजन को पचाने में मदद करता है। लेकिन जब पित्त में कोलेस्ट्रॉल और बिलरुबिन की मात्रा ज्यादा हो जाती है, तो पथरी बन जाती हैं। 

गॉल ब्लैडर स्टोन ने निजात पाने के लिए रोजाना कपालभाति योगासन करें। इससे साथ-साथ अधिक मात्रा में पानी और लिक्विड चीजों का सेवन करें। इसके अलावा पत्थर चट्टा का सेवन करें। इसके लिए पत्थरचट्टा के दो पत्तों को तोड़कर उसे अच्छे से पानी में साफ कर लें और सुबह-सुबह खाली पेट गर्म पानी या ऐसे ही इसका सेवन करें। 

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किडनी का स्टोन
स्वामी रामदेव के अनुसार जब शरीर में कैल्शियम की मात्रा ज्यादा हो जाती है तो किडनी में स्टोन जैसी समस्याएं हो जाती है। इसके लिए रोजाना अधिक से अधिक पानी का सेवन करें।  इसके साथ-साथ कपालभाति, योग मुद्रासन और मंडूक आसन करें। 

रोजाना उडद की दाल में हींग, सेंधा नमक डालकर पिएं। इससे लाभ मिलेगा। 

अगर आप चाहते हैं कि पथरी की समस्या बार-बार न हो तो इसके लिए  जौ का आटा और दलिया और मूली का सेवन करें।  इसके साथ ही दूध, दही, छाछ और टमाटर जैसी बीज वाली चीजों का सेवन ना करें। 

अगर पथरी का एक माह पहले ही ऑपरेशन कराया तो कम से कम 3 माह बाद प्राणायाम और योगासन 2 माह बाद करें।  इसके साथ ही किसी भी योगासन और प्राणायाम को ज्यादा तेज करने से बचें। इससे आप टांके खुल सकते है साथ ही जख्म भरने में भी समय लग सकता है। 

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