वर्टिगो (Vertigo) से पीड़ित व्यक्ति को अचानक चक्कर आने या फिर जी मिचलाने की समस्या हो जाती है। कई लोगों को चलने में असमर्थ होने के साथ अधिक पसीना आने की भी समस्या हो जाती हैं। अगर समय पर किसी व्यक्ति को इस बीमारी के बारे में पता चल जाए तो योग के द्वारा इस समस्या से आसानी से निजात पाया जा सकता है। वहीं दूसरी ओर कई लोगों को गर्दन में दर्द होना, गर्दन अकड़ जाना और हिलान-डुलाने में परेशानी होती है। यह समस्याएं सर्वाइकल पैन के लक्षण है। सर्वाइकल स्पाइन यानी गर्दन के हिस्से वाली रीढ़ की हड्डी के जोड़ों और डिस्क में होने वाली समस्या सर्वाइकल पैन की स्थिति बना देती हैं। इन सभी समस्याओं की जड़ आपकी रीढ़ की हड्डी में समस्या है।
स्वामी रामदेव के अनुसार रीढ़ की हड्डी संबंधी हर समस्या को कुछ योगासनों और औषधियों के द्वारा आसानी से खत्म किया जा सकता है।
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वर्टिगो और सर्वाइकल पैन से निजात पाने के लिए करें प्राणायाम
उद्गीथ
लंबी सांस खींचते हुए कम से कम 8 बार ऊं का उच्चारण करें। इससे पूरा शरीर एक्टिव हो जाता है। इसके साथ ही हर तरह के पैन से निजात मिलेगा।
भ्रामरी
कई बार बीपी, हीमोग्लोबिन या फिर कान के अंदर मौजूद लिक्विड कम होने के कारण भी चक्कर आने लगते हैं। इस अवस्था में भ्रामरी काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
कपालभति
कपालभाति करने से पूरे शरीर सकारात्मक ऊर्जा के साथ हर रोग से मुक्ति मिलती है। इसे रोजाना कम से कम 5-10 मिनट करना चाहिए।
जिसने आज तक एक भी योगसन नहीं किया, उन लोगों के लिए योग के बेहद आसान स्टेप्स, सीखिए स्वामी रामदेव से
अनुलोम-विलोम
सबसे पहले पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं वाले नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे अनामिका और सबसे छोटी उंगली को मिलाकर बंद कर लें। इसके बाद दाएं नाक की ओर से अंगूठे को हटाकर सांस बाहर निकाल दें। इस आसन को 5 मिनट से लेकर आधा घंटा कर सकते हैं।
सूक्ष्म व्यायाम
रोजाना कम से कम 10 मिनट करें। इससे आपका पूरा शरीर वर्टिगों की समस्या से निजात मिल जाता है। इसके साथ ही रीढ़, कमर कंधें, जोड़ों के दर्द से भी निजात मिलता है।
सर्वाइकल-वर्टिगों के लिए करें ये योगासन
ताड़ासन- इस आसन को करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं और दोनों पैरों के बीच 6 इंच का फासला रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों की अंगुलियों को इंटरलॉक करें और हाथों को ऊपर करके धीरे धीरे खीचें इसके साथ ही एडियों को उठाएं।
तिर्यक ताड़ासन- इस आसन को करने से पूरे शरीर की मांसपेशियों का अच्छी तरह से खिंचाव होता है। इसके साथ ही रीढ़ की हड्डी के दर्द से भी निजात मिलता है।
उष्ट्रासन- इस आसन को धीरे-धीरे करें। पूरा पीछे जाने की कोशिश न करें। जितना हो सके उतना ही जाए।
भुजंगसान- गर्दन और कंधे की जकड़न को दूर करता है और सर्वाइकल की समस्याओं के लिए भी एक अच्छा उपाय है।
कटिचक्रासन- इस आसन को से से वजन कम होने के साथ रीढ़ की हड्डी में खिंचाव होता है। जिससे आपको हर तरह के दर्द से निजात मिलता है।
उत्तान मंडूकासन- इस आसन के लिए सबसे पहले व्रजाजन में बैठ जाएं और दोनों घुटनों को फैलाएं। अब दाएं बांह को उठाएं और मोड़े फिर दाएं कंधे को ऊपर करके पीठ तक लाएं। इस आसन को करने से सर्वाइकल, वर्टिगों में फायदेमंद मिलेगा।
कंधरासन- इस आसन से हाथ-पैर, कंधे और घुटनों का दर्द तो दूर होता ही है।इसके साथ ही सर्वाइकल और वर्टिगों की समस्या से भी निजात मिलता है।
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उष्ट्रासन- इस आसन को करने से पेट की चर्बी कम होने के साथ-साथ डायबिटीज, आंखों संबंधी समस्याओं से निजात मिलता है। इसके साथ ही रीढ़ की हड्डी के दर्द से निजात मिलता है।
अर्ध चंद्रासन- इस आसन को करने से डिप्रेशन, चिंता, पेट संबंधी समस्याओं से निजात मिलने के साथ सर्वाइकल और वर्टिगो के पैन से निजात मिलता है।
मकरासन- इस आसन के लिए पेट के बल लेट जाएं कोहनियों के सहारे सिर और कंधो उठाएं। हथेली को ठोड़ी में चिपकाए। आंखों को बंदकर शरीर को ढीला करें। इसके बाद दोनों पैर ऊपर-नीचे करें।
शलभासन- इस आसन को करने से स्लिप डिस्क, कमर दर्द, साइटिका, सर्वाइकल पैन आदि समस्याओं से निजात मिल जाता है।
धनुरासन- इस आसन को करने से स्लिप डिस्क के साथ सर्वाइकल पैन से निजात मिलेगा।
गोमुखासन- इस आसन को करने से कंधे, गर्दन और कमर के दर्द से तुरंत निजात मिल जाता है। इसके अलावा ये आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करने में भी मदद करता है।
व्रकासन- इस आसन को करने से शरीर का अच्छी तरह से खिंचाव होता है। जिससे आप हर तरह के दर्द से निजात मिल जाता है।
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रीढ़ संबंधी रोगों के लिए औषधियां
- गिलोय का जूस पिएं
- खीरा, करेला का जूस पिएं
- चुकंदर, गाजर को सलाद के रूप में खाएं
- चंद्र प्रभावटी
- अश्वशीला वटी
- ज्यादा बीपी की समस्या है तो मुक्तावटी का सेवन करें।
- लहसुन की कली का सेवन फायदेमंद साबित हो सकता है।
- बहुत ज्यादा दर्द और पित्त बढा़ हुआ है तो गिलोय, निरगुंडी, अश्वगंधा का सेवन करें।
- त्रियोदंशाक गुग्गुल
- पीडांतक
- दूध में हल्दी और शीलाजीत डालकर पिएं।