Social Media Impact: सोशल मीडिया के ज्यादा शौकीन हैं तो हो जाएं सतर्क, बना रहा है डिप्रेशन का शिकारआजकल के समय में मोबाइल और कंप्यूटर हमारे जीवन से ऐसे जुड़े हुए हैं कि इन्हें अलग करना नामुमकिन है। इन पर कई ऐसे ऐप्स पाए जाते हैं जो बच्चों के बीच बेहद मशहूर हैं। यहां तक की मोबाइल ऐप्स ने तो बच्चों से उनका बचपन ही छीन लिया है। ऐसे में एक रिसर्च सामने आई है जो युवाओं के माता-पिता होने के नाते आपकी चिंता बढ़ा सकती है।
दरअसल, सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल करने वाले युवा में छह महीने के अंदर अवसाद विकसित होने का अंदेशा रहता है। एक नए शोध में यह बात सामने आई है। जर्नल ऑफ अफेक्टिव डिसॉर्डर रिपोर्ट्स में प्रकाशित निष्कर्षो से पता चला है कि उच्च सहमति वाले लोगों में कम सहमति वाले लोगों की तुलना में उदास होने की संभावना 49 प्रतिशत कम थी।
Raisins health benefits: खाली पेट रोजाना करें किशमिश का सेवन, गैस-एसिडिटी जैसी हर समस्या से मिलेगा छुटकारा
क्या है रिसर्च में
अलबामा विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर चुनहुआ काओ ने कहा, 'हालांकि, साहित्य में इस तरह के अध्ययनों की कमी रही है, जिसमें इस बात पर ध्यान केंद्रित हो कि विभिन्न व्यक्तित्व सोशल मीडिया के उपयोग और अवसाद के बीच सामंजस्य कैसे बिठाते हैं।' टीम ने यह भी पाया कि प्रतिदिन 300 मिनट से अधिक सोशल मीडिया का उपयोग करने पर उच्च विक्षिप्तता वाले लोगों में कम विक्षिप्तता वाले लोगों की तुलना में अवसाद विकसित होने की संभावना दोगुनी थी। टीम ने 18 से 30 वर्ष आयु के 1,000 से अधिक अमेरिकी वयस्कों पर अध्ययन किया।
Vitamin B deficiency: इन खानों में भी मिलता है विटामिन B, जरूर करें डाइट में शामिल
रोगी स्वास्थ्य प्रश्नावली का उपयोग करके अवसाद को मापा गया। प्रतिभागियों से पूछा गया कि लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का उपयोग वे रोजाना कितनी देर तक करते हैं। शोधार्थियों ने बिग फाइव इन्वेंटरी का उपयोग करके व्यक्तित्व को मापा गया और खुलेपन, कर्तव्यनिष्ठा, अपव्यय, सहमतता और विक्षिप्तता का आकलन किया। लेखकों का सुझाव है कि समस्याग्रस्त सामाजिक तुलना स्वयं और दूसरों के बारे में नकारात्मक भावनाओं को बढ़ा सकती है, जो यह बता सकती है कि सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के साथ अवसाद का जोखिम कैसे बढ़ता है।
आपकी एक हंसी कई बीमारियों को करेगी दूर, स्वामी रामदेव से जानिए इसका कारगर तरीका