कोरोना वायरस को लेकर एक नई जानकारी सामने आई है। वैज्ञानिकों के अनुसार भारत का CRISPR 'फेलुदा' नामक किट रैपिड एंटीजन टेस्ट की तुलना में अधिक सटीक और त्वरित जानकारी देती है। इसके साथ ही वायरस का पता लगाने के लिए इसका रंग जल्दी बदलता है। वैज्ञानिकों के अनुसार ये कोरोना वायरस का पता लगाने का सबसे सस्ता, तेज और सरल विकल्प है।
क्या है रैपिड एंटीजन टेस्ट किट
टेस्टिंग की इस तकनीक के जरिए 15 से 30 मिनट के अंदर ही मरीज की रिपोर्ट आ जाती है। वहीं RTPCR टेस्ट में रिपोर्ट 24 से 48 घंटे में आती है। इसलिए ये रैपिड टेस्टिंग किट इन दिनों ज्यादा चर्चा में है। इस टेस्ट के लिए नाक से स्वेब लिया जाता है। लोकेशन पर एक एम्बुलेंस लगाकर उसी में लैब बनाई गई है जिसमें टेस्टिंग की जा रही है। अगर टेस्टिंग प्लेट पर 2 लाइंस आती हैं तो इसका मतलब है कि रिपोर्ट पॉजिटिव है और अगर 1 लाइन आती है तो रिपोर्ट नेगेटिव है।
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जानें क्या है 'फेलुदा' टेस्ट किट
वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के वैज्ञानिकों ने कोरोना महामारी के जांच के लिए कम लागत वाली पेपर स्ट्रिप टेस्ट तकलीन बनाई। इस टेस्ट किट को फेलुदा नाम दिया। इस किट से परीक्षण की लागत करीब 500 से 700 रुपये आती है। फेलुदा किट पेपर बेस्ड डायग्नॉस्टिक टेस्ट हैं, जिसमें एक सोलियुशन लगा होता है। कोरोना वायरस के RNA को निकालने के बाद, इस पेपर पर रखते ही एक खास तरह का बैंड देखने को मिलता है। इसी बैंड से पता चलता है कि मरीज कोरोना संक्रमित है या फिर नहीं।
'फेलुदा' टेस्ट किट की स्ट्रिप पर दो बैंड होंगे- पहला बैंड है कंट्रोल बैंड, इस बैंड का रंग बदने का मतलब होगा की स्ट्रिप का इस्तेमाल सही ढंग से किया गया है। दूसरा बैंड है टेस्ट बैंड, इस बैंड का रंग बदलने का मतलब होगा कि मरीज कोरोना पॉजिटिव है। कोई बैंड नहीं दिखने का मतलब है कि मरीज कोरोना संक्रमित नहीं है।