कबूतरों से फैल रही सांस की बीमारी, बाबा रामदेव से जानें कैसे बनाएं फेफड़ों को फौलादी?
कबूतरों से फैल रही सांस की बीमारी, बाबा रामदेव से जानें कैसे बनाएं फेफड़ों को फौलादी?
कबूतर की बीट फ्लोर-दीवारों पर गिरने के बाद डस्ट बनकर हवा में मिल जाती है और सांसों के जरिए रेस्पिरेटरी ट्रैक तक पहुंच जाती है। फिर लंग्स में पहुंचकर ये इम्यून सिस्टम को अफैक्ट करती है और इंफेक्शन की वजह बनती है। बाबा रामदेव से जानें बचे लंग्स को इतना मजबूत कैसे बनाएं कि किसी भी इंफेक्शन का असर ना हो।
कबूतरों को देखकर आप भी जरुर गुनगुनाते होंगे, कबूतर कभी लव स्टोरी में संदेशे लेकर जाते हैं तो कभी देशभक्ति में उन्हें शांति दूत बनाकर उड़ाया जाता है। चाहे वो शांतिदूत सफेद कबूतर हों या फिर खबर लाने वाला जासूस कबूतर हरेक की अपनी अहमियत और ख़ूबसूरती है। वैसे घरों की बालकनी में छतों पर आकर बैठे ये कबूतर बहुत ही प्यारे लगते हैं। लेकिन ये कबूतर सेहत के लिए हानिकारक बन गए हैं एक्सपर्टस के मुताबिक कबूतर से 'इंटर-स्टिशिअल लंग्स डिजीज' यानि ILD फैल रही है।अब ये भारी भरकम बीमारी ILD आखिर है क्या ? इसे आप ऐसे समझिए कि ये--लंग्स इंफेक्शन से होने वाली बीमारियों का फुल पैकेज है जिसमें 'हाइपर सेंसिटिविटी ''न्यू-म-नाइटस'' सबसे जानलेवा है जिसकी गिरफ्त में ILD के 50% पेशेंट आते हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह है- कबूतर की बीट जो फ्लोर-दीवारों पर गिरने के बाद डस्ट बनकर हवा में मिल जाती है और सांसों के जरिए रेस्पिरेटरी ट्रैक तक पहुंच जाती है। फिर लंग्स में पहुंचकर ये इम्यून सिस्टम को अफैक्ट करती है और इंफेक्शन की वजह बनती है जिससे फेफड़ों में ऑक्सीजन का फ्लो रुकने लगता है और धीरे-धीरे ILD यानि लंग्स की दूसरी तमाम बीमारियों का गेटवे बनता है।
अगर इस इंफेक्शन का पता दो-ढाई महीने के अंदर चल जाए तो ये क्योर हो सकता है। लेकिन ऐसा होता कहां है ज्यादातर मामलों में पता तब लगता है जब लंग्स डैमेज होकर इर्रिवर्सेबल कंडीशन में पहुंच जाते हैं। लंग्स के सेल्स डैमेज होकर सख्त हो जाते हैं सांस लेने में तकलीफ होती है और फिर शरीर में ऑक्सीजन का लेवल घटने लगता है जिससे एंग्जायटी अटैक आते हैं अब ऐसे में बाबा रामदेव से जानें बचे कैसें और लंग्स को कैसे इतना मजबूत बनाएं कि इंफेक्शन का असर ना हो।
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