आयरलैंड..कनाडा..ऑस्ट्रेलिया..फ्रांस के बाद अब..स्वीडन ने भी बच्चों को लेकर बड़ा फैसला लिया है--2 साल के बच्चों के सामने स्वीडन में अब फोन ऑफ रखना होगा। वैसे 'फोन ऑफ' वाली एडवाइजरी की जरूरत तो अब भारत को भी है। हर एंगल से ब्रेन स्ट्रोमिंग की जरूरत है बच्चों के लिहाज से युवाओं को ध्यान में रखकर स्टूडेंट्स टीचर्स प्रोफेशनल्स किसको कितनी देर का स्क्रीन टाइम चाहिए कहां और कब फोन बंद रखना है ये तय करने का वक्त आ गया है क्योंकि अब हर घर के बेबी को स्मार्ट फोन पसंद है बिना फोन देखे वो खाना नहीं खाते खेलने के लिए खिलौने नहीं। अब उन्हें फोन चाहिए। इसकी वजह से हेल्थ इश्यूज किसी मॉन्स्टर की तरह डरावनी शक्ल लेने लगे हैं- बच्चों के दिमाग पर निगेटिव चीजें हावी हो रही हैं। मेंटल और फिजिकल ग्रोथ धीमी हो रही है। बच्चे स्लीप डिसऑर्डर, पर्सनैलिटी डिसऑर्डर की गिरफ्त में आ रहे हैं।
यहां तक की 22% बच्चे ऑटिज्म के शिकार हो रहे हैं। मोटापा, टाइप टू डायबिटीज, दिल से जुड़ी बीमारी, वीक आई मसल्स, हियरिंग प्रॉब्लम अब ये छोटे-छोटे बच्चों की परेशानी बन गई है। बच्चों को छोड़िए बड़े-बुजुर्ग खुद भी स्मार्ट फोन के ट्रैप में आ चुके हैं। 43% लोगों को मोबाइल खोने का डर रहता है तो उतने ही लोग फोन ना बजने से घबराहट महसूस करते हैं। 25% ऐसे हैं जिन्हें हर घड़ी फोन रिंग होने का आभास होता है।चिंता की एक बड़ी बात अब ये भी है कि ज्यादातर लोग ड्राइविंग करते मोबाइल फोन यूज करते हैं। नतीजा इससे होने वाले एक्सीडेंट से मौत के मामले चार गुना बढे हैं। सड़क दुर्घटना में मरने वाले 10% वे लोग होते हैं..जो उस वक्त मोबाइल पर होते हैं। इसमें कोई शक नहीं कि मोबाइल आने से काम करने का तरीका और जिंदगी आसान हुई है लेकिन इसका बेजा इस्तेमाल हर लिहाज से खतरनाक हो रहा है योगगुरु स्वामी रामदेव बता रहे हैं आप इसका इस्तेमाल स्मार्टली कैसे कर सकते हैं?
डिटॉक्स के लिए 4 उपाय
- सुबह
- नोटिफिकेशन ऑफ रखें
- उठते ही फोन ना देखें
- वर्क आउट जरूर करें
- दोपहर
- खाने के वक्त 'नो फोन रुल'
- परिवार साथ हों तो फोन दूर रखें
- शाम
- बच्चों के साथ खेलने में फ्लाइट मोड ऑन रखें
- ईवनिंग वॉक पर जरूर जाएं
- फोटो खींचते वक्त फ्लाइट मोड पर रखें
- रात
- ऑडिबल एप्स का इस्तेमाल करें
- सोने से पहले फोन इस्तेमाल ना करें
- मोबाइल को बिस्तर से दूर रखें
फोन का मिसयूज - पेरेंट्स कन्फ्यूज
- बच्चों के फोन यूज से अंजान माता पिता
- 90% नहीं देते बच्चों पर ध्यान
स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम
- नजर कमजोर ड्राईनेस
- पलकों में सूजन रेडनेस
- तेज रोशनी से दिक्कत
- एकटक देखने की आदत
आंखों का दुश्मन स्मार्टफोन
- ब्लू लाइट --->रेटिना डैमेज--->नज़र कमज़ोर
- कानों का दुश्मन - स्मार्टफोन
- ईयरफोन--->तेज शोर--->बहरापन
WHO की रिपोर्ट
- तेज शोर से घट रही सुनने की ताकत
- पूरी दुनिया में 150 करोड़ लोगों को हियरिंग लॉस
- 2050 तक ढाई सौ करोड़लोग बहरेपन के शिकार